★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
25 मई 1886 में अखण्ड भारत के बंगाल प्रान्त के सुबालदह गाँव में जन्मे बोस नें ब्रिटिश राज के विरुद्ध आज़ाद हिंद फौज व इंडियन इंडिपेंडेंस लीग सन्गठन की स्थापना में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
जापान सरकार ने उनको”ऑर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन” उपाधि की थी प्रदान,आज़ादी की आस लिए उनका देहावसान 21 जनवरी 1945 को हुआ
♂÷देश को आज़ादी”बिना खड्ग बिना ढाल”और साथ ही कमाल करके नही मिली है बल्कि माँ भारती के लाखों लाख अमर बलिदानी सपूतों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया,क्रूर अंग्रेजी सत्ता से खड्ग ढाल लेकर लोहा लिया तब जाकर देश को ग़ुलामी की दासता से निजात मिली वह भी खंडित भारत के रूप में।
ऐसे ही एक अमर क्रांतिकारी रहे हैं रासबिहारी बोस जी,जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए वह सबकुछ करने का जतन किया जिससे उनका यह राष्ट्र सदैव ऋणी रहेगा।
स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रासबिहारी बोस जी की आज जयंती है और उनकी जयंती पर राष्ट्र उनका नमन कर रहा है।
श्री बोस का जन्म 25 मई वर्ष 1886 को अखण्ड भारत के बंगाल प्रान्त स्थित बर्धमान जिले के सुबालदह गाँव में हुआ था। इनकी आरम्भिक शिक्षा चन्दननगर में हुई। देश को अंग्रेजी कम्पनी सरकार में दासता की सिसकियों को सुनकर वे बचपन से ही राष्ट्र की स्वतन्त्रता के स्वप्न देखा करते थे और क्रान्तिकारी गतिविधियों में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।
प्रारम्भ में श्री बोस ने देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में कुछ समय तक हेड क्लर्क के रूप में काम किया।उन्होंने ब्रिटिश राज के विरुद्ध गदर,षडयंत्र एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस के “आजाद हिन्द फौज” के संगठन का कार्य किया।उन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, अपितु विदेश में रहकर भी वह भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के प्रयास में आजीवन लगे रहे।
दिल्ली में तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने, गदर की साजिश रचने ततपश्चात बाद में जापान जाकर “इंडियन इंडिपेंडेस लीग” और “आजाद हिंद फौज” की स्थापना करने में रासबिहारी बोस की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही।
यद्यपि देश को स्वतन्त्र कराने के लिये किये गये उनके ये प्रयास सफल नहीं हो पाये, तथापि स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी भूमिका का महत्व बहुत ऊँचा है।21 जनवरी 1945 को भारत को अंग्रेजी हुकुमत से मुक्ति दिलाने की आस लिए उनका देहावसान हो गया। उनके निधन से कुछ समय पहले जापानी सरकार ने उन्हें “आर्डर ऑफ द राइजिंग सन” के सम्मान से अलंकृत भी किया था।
आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अमर क्रांतिकारी रासबिहारी बोस की जयंती पर राष्ट्र उनको सादर नमन कर खुद को धन्य महसूस कर रहा है।