लेखक राघवेन्द्र पाठक
√ ध्वनि प्रदूषण और खुले में शौच बंद करने को लेकर जागरूकता और दंड के विधान की है जरूरत
देश और प्रदेश में नित नए बन रहे हाईवेज भारत की नई विकास गाथा लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की अगुवाई में सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस मंत्रालय को नए आयाम दिए हुए हैं। खबर है कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी मुजफ्फरपुर के मझोलिया से सीतामढ़ी के चोरौत तक 60 किलोमीटर से अधिक लंबे नेशनल हाईवे क्रमांक 527 सी का उद्घाटन करने आने वाले हैं। यहाँ के लिए यह हाईवे जीवन धारा बनने वाला है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी हमेशा याद किए जाते रहेंगे। इस योजना के साथ केंद्र को विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों, खुले में शौच से मुक्ति जैसे अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर भी नजर बनाए रखना चाहिए ताकि हर एक नेशनल हाईवे खुले में शौच की जद में न आ जाए। इस विषय में मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि नवनिर्मित यह नेशनल हाईवे खुले में शौच करने का अड्डा बनता दिख रहा है। समझना मुश्किल नहीं कि रोड, स्वास्थ्य और स्वच्छता सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सभी जरूरी हैं।
आवागमन और व्यापार के लिए जहाँ हमारे लिए अच्छी सड़कें जरूरी हैं, वहीं बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा पर्यावरण भी जरूरी है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि शहरों की तुलना में गांवों में हमें स्वास्थ्य के अनुरूप वातावरण मिलता है। क्योंकि वहाँ न गाड़ियों का शोर होता है और न इनसे निकलने वाले धुएं का प्रदूषण।
समय के साथ हमारे गाँव भी विभिन्न विकारों का शिकार हो चले हैं। इसी कारण गांवों में अब गैर परंपरागत रोगों ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं, जो पहले शहरों और महानगरों तक सीमित थे।
चाय प्लास्टिक के कपों में बिकने लगी, सो कैंसर के मरीज बढ़ने लगे। दुकानों में गंदे पानी का प्रयोग होने लगा सो लीवर और फेंफड़ों के मरीज बढ़ रहे हैं।
गांवों में ध्वनि प्रदूषण बड़ी तेजी से बढ़ा है। मंदिरों और मस्जिदों में सुबह चार बजे से ही चार घंटों के लिए तेज आवाज में लाउडस्पीकर चला दिए जाते हैं। शाम को फिर तीन- चार घंटे। धार्मिक समारोह हो या निजी आयोजन कोई नहीं सोचता कि कानफोडू शोर से बुजुर्गों, बच्चों और मरीजों को कितनी दिक्कत होती है। हाईपरटेंशन, ब्लडप्रेशर और शुगर आदि के मरीजों के लिए आठ घंटों की नींद आवश्यक है लेकिन हम लाउडस्पीकर के शोर से महज उन्हें पांच-छह घंटे ही सोने दे रहे हैं।
जबकि सुप्रीम कोर्ट या उच्चतम न्यायालय के लाउडस्पीकर के शोर को लेकर स्पष्ट गाईडलाइन्स हैं कि रात्रि 10 से सुबह छह बजे तक पूरे देश में लाउडस्पीकर बजाना प्रतिबंधित है।
दिन में यदि बजाते हैं तो भी शोर आपके कैंपस से बाहर नहीं जाना चाहिए। यानि लाउडस्पीकर की ध्वनि का डेसीबल तय हैै। डेसीबल ध्वनि को मापने का पैमाना है जो ध्वनि मानव के कानों को बर्दाश्त करने लायक है या नहीं, यह बताता है। और इस आधार पर ध्वनि फैलाने वाली संस्था या व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जाहिर है पड़ोसियों और गांववासियों की सुविधा का ध्यान रहते हुए हमें मानव धर्म और अच्छे शहरी होने का धर्म निभाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमें इस बात के लिए दलगत राजनीति से परे जाकर समर्थन करना चाहिए कि उन्होंने स्वच्छता की बात की। नारी सम्मान की बात की। इसके लिए उन्होंने घर- घर शौचालय बनवा कर हमारी गरीब माताओं- बहनों को सम्मान और सुरक्षा दी। उन्होंने खुद झाड़ू थाम कर सफाई की और एक संदेश दिया। लेकिन जहाँ शौचालय देने में स्थानीय स्तर पर कदाचार की शिकायतें आम हैं वहीं सुंदर और मजबूत बने नेशनल और स्टेट हाईवे के दोनों ओर रात्रि के अंधेरे में शौच करतीं महिलाएं आम देखीं जा सकतीं हैं।
बिहार के मधुबनी जिले के पिरोखर, सुजातपुर तथा एकारी गाँव होकर नेशनल हाईवे क्रमांक 527 सी निर्माण के अपने अंतिम चरण में है। अपुष्ट जानकारी के अनुसार स्वयं प्रधानमंत्री मोदी हाईवे का उद्घाटन करने आने वाले हैं।
जरा सोचिए ग्रामीण होने के कारण जब हाईवे पर शौच किया जाना हमें अच्छा नहीं लग रहा है तो उन्हें कितना बुरा लगेगा।
सरकार से भी आग्रह है कि ऐसे कार्यों के लिए एक सरकारी मैकेनिज्म की जरूरत है जो लोगों को जागरूक करे और आवश्यकता पड़ने पर दंडित भी करे। इसका दूसरा पहलू है जन सहभागिता और जागरूकता। लेकिन राजनीति के कारण ऐसे आवश्यक कार्यों को निम्नकोटि का मानकर उसे करने में रुचि नहीं दिखाई जाती। नेता लोग भी जनता का विरोध नहीं लेना चाहते। उन्हें अपने वोटों की फिकर जो बनी रहती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं)