(आलोक तिवारी)
(मथुरा)
50-50 प्रमोशन पॉलिसी बैकलॉग समाप्त करने से कर्मचारी हैं नाराज
वैसे तो इंडियन ऑयल देश को ऊर्जा प्रदान करने के लिए देश-विदेश में पहचानी जाती है, लेकिन इन दिनों इंडियन ऑयल के कर्मचारी अपनी ही कॉर्पोरेशन प्रबंधन के खिलाफ अनिश्चितकाल भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ, कि देशहित में ऊर्जा उत्पादन करने वाली कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को भूख हड़ताल पर बैठने के लिए विवश होना पड़ा। दरअसल मामला यह है कि इंडियन ऑयल के चेयरमैन ए. एस. साहनी की सहमति पर इंडियन ऑयल डायरेक्टर एचआर रश्मि गोविल ने भाग लेते हुए इंडियन ऑयल कर्मचारियों की 50-50 प्रमोशन पॉलिसी बैकलॉग को एकतरफा समाप्त करने का इंडियन ऑयल प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है। प्रबंधन द्वारा लिए गए इस निर्णय की वजह से इंडियन ऑयल कर्मचारियों ने 11 जून से अनिश्चितकाल के लिए देशभर में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इसी का हिस्सा बनते हुए इंडियन ऑयल कर्मचारियों ने मथुरा रिफाइनरी कर्मचारी संघ के बैनर तले मथुरा रिफाइनरी में भी भूख हड़ताल शुरू कर प्रबंधन के इस निर्णय को तानाशाही प्रबंधन का निर्णय बताया है। मथुरा रिफाइनरी में चल रही भूख हड़ताल पर रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल ने भी मौनधारण कर लिया है। जिसकी वजह से मथुरा रिफाइनरी कर्मचारी संघ द्वारा अनिश्चितकाल भूख हड़ताल को भी सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक ही रखा जा रहा है, ताकि कर्मचरियों को भी भूख हड़ताल करने में थोड़ी राहत मिल सके। जबकि अन्य रिफाइनरियों में भूख हड़ताल 24 घंटे अनिश्चितकाल के लिए चल रही है। यह सोचने का विषय है कि, ऐसा आखिर क्यों हो रहा है। सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि देश की ऊर्जा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इंडियन ऑयल कर्मचारियों के ऐसे दिए आ गए हैं, कि उन्हें अपने ही प्रबंधन के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करते हुए अनशन पर बैठना पड़ रहा है। मथुरा रिफाइनरी में भूख हड़ताल पर बैठे मथुरा रिफ़ाइनरी कर्मचारी संघ के महामंत्री रामकिशन, अध्यक्ष देवेन्द्र चौधरी सहित फतेह सिंह, हरीश पहल व अन्य पदाधिकारियों सहित मथुरा रिफाइनरी कर्मचारियों ने भूख हड़ताल में भाग लिया।