लेखक -सुभाषचंद्र
लोकसभा के 1984 के चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की 414 सीट आई थी जब वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर जनता में सहानुभूति पैदा कर वोट मांग रही थी। वह 8th लोकसभा का चुनाव था और उसके बाद कांग्रेस को किसी भी लोकसभा में चुनाव में बहुमत भी नहीं मिला उस चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीट मिली थी।
वर्ष 2014 के 16th लोकसभा के चुनाव में यानी 30 साल बाद भाजपा पहली बार ऐसी पार्टी बनी जिसे बहुमत मिला और 282 सीटों के साथ उनकी सरकार बनी।
1984 की 2 सीटों के मुकाबले भाजपा की 2014 में 14000% की बढ़ोतरी हुई ,लेकिन कांग्रेस की 1984 में 414 सीटों के मुकाबले 2014 में यानी 30 साल बाद केवल 44 सीट रह गई यानी 89% सीटों में कमी हुई।
अब देखते हैं राज्यसभा में जहां 1990 में कांग्रेस के 108 सदस्य थे जो उसके बाद घटते चले गए लेकिन फिर भी 2004 से लेकर 2014 तक 64 से 69 तक सदस्य रहे और इसलिए खुद कांग्रेस के लिए विधेयकों को पास करवाना आसान रहता था लेकिन भाजपा को 2014 में सत्ता में आने के बाद यह कठिन था क्योंकि कांग्रेस अपना रौब दिखाती थी ।
लेकिन आज की हालत देखिये, राज्यसभा में 1990 के 108 सदस्यों के मुकाबले कांग्रेस के 2024 में (34 साल बाद) मात्र 27 सदस्य रह गए हैं यानी एक चौथाई रह गए,
दूसरी तरफ भाजपा के 1990 में 17 सदस्यों के मुकाबले आज 2024 में 96 सदस्य हैं यानी 5.65 गुणा ज्यादा।
लेकिन कांग्रेस की सीटें कम होने के बाद भी हुड़दंगबाजी चरम पर है, कांग्रेस नेतृत्व को इस पर विचार करना चाहिए कि वह मजबूत सकरात्मक विपक्ष की भूमिका निभा कर अपनी छवि को बदलने का प्रयास करे।
यह कहानी है कांग्रेस के पतन की और भाजपा के उत्थान की।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं )