(मुकेश शर्मा)
(ग्वालियर)
√ शताब्दीपुरम,आदित्य पुरम में किसके इशारे पर हा रहा रेत का अवैध भंडारण!
√ गुरुवार की रात रेत माफियाओं नें भिंड कलेक्टर के उपर हमला कर डॉ मोहन यादव सरकार के इकबाल को दे रहे हैं चुनौती
√ पुलिस के वरदहस्त से रेत माफियाओं के आतंक से आम आदमी पुलिस में शिकायत करने की नही जुटा पाता हिम्मत
देश में सबसे अलग और ईमानदार पार्टी और सरकार देने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी की डॉ मोहन यादव की सरकार में सरकारी कर्मियों के भ्रष्टाचार और रेत माफियाओं की गल बहियाँ से आमजन त्रस्त और दहशत जदा है। जिसके चलते आम आदमी के बीच सरकार की छवि खराब हो रही है।
और तो और रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि एक दिन पहले ही भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के उपर भी हमला कर दिया गया।
मालूम हो कि ग्वालियर के महाराजपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत आनेवाली पॉस कॉलोनी आदित्यपुरम,शताब्दीपुरम में वैसे तो रेत माफिया का जंगल राज चल रहा है।क्षेत्र के आदित्यपुरम में दंडोतिया मार्केट के पास चौराहे पर सरकारी भूमि में रेत माफिया सत्ते गुर्जर,संदीप गुर्जर और हरेंद्र गुर्जर ने खुलेआम रेत का फड़ डालकार प्रशासन को चेलेंज कर रखा है।रेत का काला कारोबार करने बाले इन माफियाओं का इतना आतंक है कि आम आदमी इनकी शिकायत करने से भी घबड़ाता है।इसके अलावा शताब्दीपुरम में दानेबाबा मंदिर ओर गदाई पुरा को जोड़ने बाले रेलवे पुल के आस पास,शताब्दीपुरम में ही बालाजी काम्प्लेक्स के पास,अनिल भाटिया कॉम्पलेक्स के सामने रेत के अवैध भंडारण कर रखे हैं ।सबसे ज्यादा आश्चयर्जनक बात तो ये कि पटरी रोड़ पर कंशाना कोठी से आगे नीम बाले तिराहे पर बनी पुलिस चौकी के पास रेत के अवैध फड़ डालकर पुलिस ओर प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं।
क्योंकि यहां अवैध रेत का कारोबार खुलेआम् बीच चौराहे पर हो रहा है और पुलिस को पता नहीं हो ऐसा होसकता है क्या?अब सवाल यह पैदा होता है कि जो पुलिस बगैर पैसे लिए छोटे मोटे कवाड़ियों,हाथ ठेले वालों को काम नहीं करने देती बो इन रेत माफियाओं पर इतनी मेहराबान कैसे?नहीं जरूर दाल में कुछ काला है या यूँ कहा जाये कि पूरी दाल ही काली है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।महाराजपुरा पुलिस थाने के पुलिस कर्मी नीमबाले तिराहे पर शाम 9 बजे से चंबल ओर सिंध नदी से रेत लेकर आने वाले भारी वाहनों से बासुूली करते हैं क्योंकि शहर में भारी वाहन प्रतिबंधित हैं पर प्रतिबंध के बाद भारी वाहनों का बे रोक टोक आना जारी है।ऐसा लगता है कि पुलिस ओर खनिज विभाग वार्ड 18 की जनता की जान का सौदा रेत माफिया से कर चुके हैं।वैसे भी महाराजपुरा पुलिस के बारे में चौक चौराहों पर चर्चा आम है कि महाराजपुरा थाने के सिपाही से लेकर सीएसपी स्तर के पुलिसकर्मी रेत माफिया,भू माफिया और नशे के काले कारोबार में हिस्सेदार हैं?
एक चर्चा यह भी है कि महाराजपुरा थाना जनता के लिए नहीं भू माफिया,रेत मफिया और शराब मफिया के काम करता है क्योंकि इन सभी से पुलिस के आर्थिक हित पूरे होते हैं।बजरी के भारी वाहनों से आदित्यपुरम, शताब्दीपुरम,दीनदयाल नगर साहित लगभग आधा दर्जन कॉलोनियों की सड़कें कंडम होचुकी हैं इनपर वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होगया है वहीं दिनभर उड़ते धूल के गुबारों से आम आदमी का सांस लेना भी दुश्वार होगया है इस जानलेवा धूल के चलते क्षेत्र में दमा ओर सांस जैसी गंभीर बीमारी फेल रही है।फिर भी बजरी भंडारण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।क्षेत्र में
2 दर्जन से अधिक बजरी माफियाओं द्वारा बजरी का बे सुमार भंडारण कर रेत के पहाड़ लगा दिये है।ग्वालियर शहर में बजरी भंडारण की परमिशन किसी के पास नहीं है। बगैर परमिशन के रेत का भंडारण किसके इशारे पर हो रहा है? आखिर कॉलोनियों की सड़कों का सुपारी किलर कौन है?

क्योंकि माफिया धड़ल्ले से बजरी भंडारण को अंजाम दे रहे हैं। बता दें कि शहर के महाराजपुरा थाना अंतर्गत सिंध और चंबल नदी का रेत बड़े पैमाने पर अवैध रूपसे किया जा रहा है। इन रेत माफियाओं को स्थानीय पुलिस ओर जिला प्रशासन का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो पा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और प्रभावी कार्यवाही न होने से माफिया के होंसले बुलंद हैं। रेत के अवैध भंडारण से क्षेत्र की कानून-व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है ।लेकिन इस बात की चिंता पुलिस को नहीं है क्योंकि जितनी कानून व्यवस्था खराब होगी उतनी पुलिस की इनकम होगी ओर पुलिस का काम पुलिसिंग नहीं वसूली करना है…?
शहर में भारी वाहनों की का आवागमन बंद है बाबजूद इसके रेत से भरे डम्फर ओर् ट्रेक्टर खुलेेआम शहर के अंदर आर रहे हैं।रेत के इन भारी वाहनों को स्थानीय पुलिस कर्मी या बीट प्रभारियों का संरक्षण प्राप्त होता है।इसके अलावा खनिज विभाग भी इस मामले में कम दोषी नहीं है।क्योकि जब शहर में रेत भंडारण की परमिशन किसी के पास नहीं है तो रेत का भंडारण कैसे ओर किसके संरक्षण में हो रहा है।