लेखक -डॉक्टर विजय मिश्र
पेरिस ओलंपिक्स में एक पुरुष द्वारा महिलाओं के बॉक्सिंग कॉम्पिटिशन में भाग लेने की घटना पर कुछ लोगों को आश्चर्य हो रहा है, और कुछ लोगों को यह उम्मीद है कि यह घटना लोगों की आंखें खोल देगी और यह ट्रेंड पलट जायेगा।
लेकिन जो लोग लंबे समय से इस ट्रेंड को ऑब्जर्व कर रहे हैं उन्हें कोई आश्चर्य भी नहीं है और कोई उम्मीद भी नहीं है. बल्कि यह पश्चिम में प्रभावी फिलोसॉफिकल स्ट्रीम "पोस्ट मॉडर्निज्म" की प्राकृतिक उपपत्ति है, यह नहीं हुआ होता तो आश्चर्य होता।
मैं और Kumar Dipanshu लगातार इस ट्रेंड की ओर आपका ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, और यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि यह बात जितना हम सोचते हैं उससे अधिक गहरी जड़ें पकड़ चुका है। विश्वास नहीं है तो अपने टीन एज बच्चों से पूछें कि Cis और Trans क्या होता है और वे इसके बारे में क्या सोचते हैं।आप पाएंगे कि आपको यह जितना अस्वाभाविक और अतार्किक लगता है, बच्चों को नहीं लगता और आने वाले वर्षों में समाज पर और आपके बच्चों पर इस सोच का क्या प्रभाव पड़ने वाला है आप यह कल्पना नहीं कर पा रहे हैं।
जिनको यह उम्मीद है कि इसका विरोध होगा और यह ट्रेंड पलट जायेगा, उन्हें इसकी ताकत का अंदाजा नहीं है. बिना ताकतवर हुए ओलंपिक जैसे वैश्विक इवेंट को यह ट्रेंड ऐसे डोमिनेट नहीं कर सकता था। आपको शायद मालूम हो, दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति, एलोन मस्क इसके सामने कैसा असहाय हुआ, कि उसने अपना बेटा खो दिया और कुछ नहीं कर सका।
दुनिया की सबसे सफल और लोकप्रिय और अमीर ब्रिटिश लेखिका, जे.के रॉलिंग का उनके ही उपन्यास हैरी पॉटर की फिल्म की टीम ने बहिष्कार कर दिया और वे हैरी पॉटर फिल्मों के 25 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो सकीं। आपकी संपदा, आपकी प्रसिद्धि,सबकुछ इस एक मोर्चे पर दम तोड़ देता है हमारी आपकी नौकरियों और कैरियर की क्या ही औकात है।
अभी जब यह भारत में नया नया पहुंचा है, आपके इसके विरुद्ध कुछ कर सकते हैं पर उसके लिए आपको इस विषय को, इसके पीछे खड़ी फिलोसॉफी को, इस विचारधारा को समझना होगा। आपके बच्चों को क्या तर्क देकर कन्विंस किया जा रहा है और उनके काउंटर आर्गुमेंट्स क्या हैं यह जानना होगा. अन्यथा अगर एक बार बच्चों ने इसे स्वीकार कर लिया तो वे फिर आपकी कोई बात ही नहीं सुनेंगे।
एक तरीका है, समय रहते इसपर विचार करना और इन अतार्किक और एब्सर्ड बातों को अपने बच्चों तक पहुंचने से पहले रोकना।
हम लोग अपनी शक्ति भर इस समस्या की जड़ को आपतक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं,लगातार हम इस विषय पर सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं। नीरज अत्रि के चैनल पर इसपर एक कार्यक्रम भी किया है। अक्टूबर में ऋषिकेश में इनसे संबंधित सभी विषयों पर एक वर्कशॉप भी आयोजित कर रहे हैं।
(लेखक लंदन में चिकित्सक हैं)