(मुकेश शर्मा)
(ग्वालियर)
√ अरबों रुपयों का भूमि घोटाला कर चुका भू माफिया मन माफिक CEO की पोस्टिंग के लिए राजधानी में डाला है डेरा
ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नरोत्तम भार्गव को सीईओ पद से हटवाने के लिए उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर का निवासी एक व्यक्ति जो वर्त्तमान में ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा विकासित शताब्दीपुरम कॉलोनी में निवासरत है ओर ग्वालियर शहर का बदनाम भू माफिया है। वह एकबार पुनः जीडीए के सीईओ का ट्रांसफर कराने की जुगाड़ में भोपाल में अपनी पूरी मंडली के साथ आकाओं की शरण में हाजिरी लगा रहा है।
दरसल ग्वालियर विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ के.के सिंह गौर के समय ग्वालियर विकास प्राधिकरण की शताब्दीपुरम कॉलोनी साहित कई अन्य कॉलोनियों में अरबों का घोटाला कर चुके उक्त भू माफिया के कारनामे ग्वालियर से लेकर भोपाल तक चर्चा में रहे हैं।
तत्कालीन शिवराज सिंह सरकार ने अपनी बदनामी होते देख के.के सिंह गौर के स्थान पर प्रदीप शर्मा को बतौर सीईओ पदस्थ कर दिया था।प्रदीप शर्मा ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण में हुए कई घोटाले उजागर कर भू माफिया पर नकेल कसने का सराहनीय कार्य किया था।श्री शर्मा यहीं से भू माफिया की आँख की किरकिरी बन गए और कुछ ही समय में प्रदीप शर्मा को भू माफिया ने सीईओ के पद से हटवा दिया तब आम जनता और प्राधिकरण के हितग्राहियों में प्रदीप शर्मा के सीईओ पद से हटाए जाने की काफी कड़ी प्रतिक्रिया हुई ।प्रदीप शर्मा के बाद जो भी सीईओ रहे उन पर चालू प्रभार रहा तो उन्होंने न कोई सही काम किया न गलत।
वर्तमान में ग्वालियर विकास प्राधिकरण के सीईओ नरोत्तम भार्गव हैँ, श्री भार्गव को आम जनता में काफी साफ एवं स्वच्छ छवि का अधिकारी माना जाता है।
कुल मिलाकर कहा जाये कि नरोत्तम भार्गव भू माफिया के दवाव में काम नहीं कर रहे हैं और भू माफिया डीए में अपनी पसंद का सीईओ चाहता है। इसलिए भोपाल में डटा हुआ है और ग्वालियर विकास प्राधिकरण के सीईओ पद की बोली लगाकर नेताओं,मंत्रियों से गोटी भिड़ाने में प्रयास रत है। हालाँकि भू माफिया के काले कारणामों की फ़ेहरिस्त मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री, लोकायुक्त के साथ ईओडब्ल्यू को भी काफी समय पहले पहुंच चुकी है, यहां तक नेता प्रतिपक्ष के साथ साथ एक कांग्रेस के विधायक भी इसकी जानकारी ले चुके हैं परन्तु सरकारी जांच एजेंसीज ने अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है।
कानपुर से आकर ग्वालियर के एक निजी स्कूल में मामूली वेतन पर पढ़ाने वाला उक्त व्यक्ति विकास प्राधिकरण की जमीनों में गड़बड़ी कराकर अरबपति कैसे बन बैठा यह गंभीर जांच का विषय है।इसकी गृह निर्माण समितियों में क्या घपले हुए उनके कितनी बार अध्यक्ष,उपाध्यक्ष ओर सदस्य बदले गए तथा उन समितियों ने जो भूखंड विक्री किये हैं क्या वो अपने सदस्यों को ही विक्री किये है?
सूत्र बताते हैँ कि जीडीए की जमीन की हैराफेरी कांड में जीडीए के कुछ तत्कालीन अधिकारी और भाजपा के तब के दो ताकतबर नेता भी शामिल रहे हैँ । यहां सवाल यह खड़ा होता है कि एक मामूली प्राइवेट स्कूल टीचर से उक्त व्यक्ति जीडीए का इतना बड़ा भू माफिया कैसे बना जो सीईओ का भी ट्रांसफर और पोस्टिंग कराने की हैसियत रखने लगा है?आखिर वे कौन लोग हैं जिनका संरक्षण इस भू माफिया को प्राप्त है यह बड़ा प्रश्न उठ खड़ा हुआ है?