लेखक-अरविंद जयतिलक
किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के महत्व-मूल्यांकन, उपलब्धियां-चुनौतियां एवं जनता की कसौटी पर खरा उतरने-परखने के लिहाज से आठ वर्ष का समय पर्याप्त होता है। इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश सरकार के आठ वर्ष के कालखंड का मीमांसा आवश्यक है। आमतौर पर एक कृषि प्रधान राज्य में सरकारों के कामकाज के मूल्यांकन का आधार कृषि, किसानों की दशा एवं वानिकी के साथ-साथ राज्य का विकास दर, कानून-व्यवस्था, उद्योग-धंधे, कल-कारखाने और सामाजिक समरसता होता है। इस कसौटी को आधार बनाएं तो योगी सरकार के आठ वर्ष का कामकाज सराहनीय रहा है। 2017 में सत्ता का लगाम थामते ही सरकार ने कैबिनेट की पहली बैठक में लघु एवं सीमांत किसानों के एक लाख रुपए तक का फसली ऋण माफ किया। इस निर्णय से 2.15 करोड़ किसान लाभान्वित हुए । आज आठ वर्ष बाद योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए लगातार काम कर रही है। सरकार ने विगत आठ वर्षों में गन्ना किसानों को 2.87 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर उनके चेहरे पर खुशियां ला दी है। गौर करें तो यह 1994 से 2016 यानि 22 वर्षों में हुए कुल भुगतान से भी 60 हजार करोड़ रुपए अधिक है। सफल कृषि नीति से राज्य में 23 हजार हेक्टेअर सिंचन भूमि में वृद्धि हुई है। इसी तरह अनाज उत्पादन में भी 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अच्छी बात यह कि सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को परंपरागत कृषि की जगह बाजार की मांग के अनुसार खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। गौर करें तो उत्तर प्रदेश की कृषि सूखा, बाढ़ और ओले के प्रहार से बर्बाद होती रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने किसानों को फसल बीमा योजना से आच्छादित किया है। इसके दायरें में बंटाईदारों को भी लाया है। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले हर चौथे महीने दो हजार रुपए का भुगतान को भी सुनिश्चित किया है। इससे किसानों को बड़ी राहत मिल रही है। कृषि को मजबूती देने के लिए सरकार ने गोवंश की रक्षा के लिए कानून बनाए हैं और अवैध बुचड़खानों को बंद कराया है। एक कृषि प्रधान राज्य के विकास के लिए कृषि के उत्थान के साथ-साथ उद्योग-धंधे और कल-कारखानों का विकास होना आवश्यक है। इस दिशा में सरकार ने 2018 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। आंकड़ों पर गौर करें तो विगत आठ वर्षों में राज्य में 45 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए हैं। इसमें से 15 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जा चुका है। इससे तकरीबन 60 लाख नौजवानों को रोजगार मिला है। इससे आठ वर्षों में प्रदेश का जीएसडीपी 2017 के मुकाबले दोगुना होकर 27.51 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। ‘इज ऑफ डूइंग’ बिजनेसे से उद्योगों एवं कल-कारखानों को नई संजीवनी मिली है। विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रैकिंग में उत्तर प्रदेश 2017 में 14 वें स्थान पर था, जो आज दूसरे स्थान पर है। सरकार ने राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक निवेश एवं रोजगार संवर्धन नीति-2017 लागू की जिसके परिणामस्वरुप निवेशकों को कर में छूट एवं सब्सिडी तथा जमीन आवंटन में मदद मिली है। सरकार ने राज्य में 33 सेक्टोरल पॉलिसी को धार दी है जिससे उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास का नया धूमकेतु बनकर उभरा है। सरकार की ठोस पहल के कारण डिफेंस कॉरिडोर, मेडिकल फॉर्मा सेक्टर को पंख लगा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन योजनाओं से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। नोएडा के बाद बीडा के रुप में उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त इलाके बुंदेलखंड में नया औद्योगिक शहर बसाया जा रहा है। बुंदेलखंड में ड्रग व फार्मा की स्थापना का काम तेजी पर है। बुंदेलखंड में रक्षा औद्योगिक गलियारा का काम भी तेजी पर है जो कि न सिर्फ इस इलाके को दुनिया के नक्शे पर लाएगा बल्कि इसके जरिए मेक इन इंडिया अभियान को भी प्रोत्साहन मिलेगा। करीब पांच हजार हेक्टेयर में यह गलियारा छह शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट में विकसित होगा। योगी सरकार ने इसमें रक्षा से जुड़े उद्योग लगाने वाले निवेशकों को विशेष रियायत देने की पेशकश की है। अच्छी बात यह है कि पांच दर्जन से अधिक कंपनियों ने रक्षा औद्योगिक गलियारा में निवेश करने के लिए अभिरुचि दिखायी है। बुंदेलखंड के विकास के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि इससे वहां के आधारभुत ढांचे के विस्तार में मदद मिलेगी और रोजगार का सृजन होगा। गौर करें तो यूपी सरकार क्षेत्रीय असंतुलन को पाटने के लिए एक्सप्रेसवे का जाल बिछा रही है। मौजूदा समय में 6 एक्सप्रेस वे संचालित हैं और 11 पर काम जारी है। गंगा एक्सप्रेस वे बनने के बाद देश के कुल एक्सप्रेस वे में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत हो जाएगी। उत्तर प्रदेश में 2017 तक एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 491 किमी थी जो आज 2024 में बढ़कर 1225 किलोमीटर हो गई है। 32 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई के मार्गों का नवनिर्माण हुआ है और 25 हजार किलोमीटर के मार्गों का चौड़ीकरण हुआ है। किसी भी राज्य के विकास के लिए कनेक्टिविटी बेहद आवश्यक है। कनेक्टिविटी बढ़ने से राज्य के विकास और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। सरकार इस दिशा में पहल कर राज्य के आठ शहरों को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ रही है। गौर करें तो 2017 तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ 4 एयरपोर्ट थे। आज उत्तर प्रदेश 21 एयरपोर्ट की ओर अग्रसर है जिनमें 5 इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। देश का सबसे बड़ा जेवर एयरपोर्ट लगभग तैयार हो चुका है जो देश का सबसे बड़ा कार्गो हब बनने जा रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, पर्यटन, निर्यात, रोजगार और कानून-व्यवस्था में मजबूती एक महत्वपूर्ण कारक होता है। 2017 में प्रतिव्यक्ति आय 46 हजार रुपए थी जो आज 2024 में बढ़कर एक लाख 24 हजार रुपए हो गई है। बेरोजगारी दर घटकर 3 प्रतिशत पर आ चुकी है। एमएसएमई एवं निजी क्षेत्र में दो करोड़ और ओडीओपी योजना से 2.54 लाख लोगों को रोजगार मिला है। निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के कारण तकरीबन 8.5 लाख लोगों को सरकारी नौकरी और 3.75 लाख लोगों को संविदा पर नौकरी मिली है। पर्यटन क्षेत्र को पंख लगा है और रोजगार की संभावनाओं के द्वार खुले हैं। 2017 से पहले 21 करोड़ पर्यटक आए थे लेकिन 2024 में यह संख्या बढ़कर 67 करोड़ हो गई है। अयोध्या, काशी, प्रयागराज, मथुरा-वृंदावन, चित्रकुट और विंध्याचल पर्यटकों से वर्ष भर गुलजार रहतेे हैं। सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए लगातार ठोस पहल कर रही है। मसलन अवकाशों में कमी कर शिक्षण कार्य दिवस में वृद्धि के साथ सभी 18 मंडल मुख्यालयों पर अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की है। 57 असेवित जिलों में सीएम मॉडल कम्पोजिट स्कूलों का निर्माण किया है। अलीगढ़, आजमगढ़, सहारनपुर, बलरामपुर, मिर्जापुर एवं मुरादाबाद में राज्य विश्वविद्यालयों के संचालन के अलावा गोरखपुर में सैनिक स्कूल, फॉरेस्ट्री कॉलेज एवं एनसीसी टेªेनिंग अकेडमी की स्थापना की है। प्राथमिक, माध्यमिक और डिग्री कॉलेजों में बड़े पैमाने पर अध्यापकों की नियुक्ति की है ताकि पठन-पाठन बाधित न हो। मदरसों के पाठ्यक्रम में आमूलचुल परिवर्तन करके उसे आधुनिक शिक्षा से जोड़ने का काम की है। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर सरकार का कदम सख्ती भरा है। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत 222 अपराधी मारे जा चुके हैं। 28000 से अधिक अपराधी जेल भेजे गए हैं। माफियाओं के अवैध कब्जे से लगभग 3000 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई है। कुल मिलाकर कहें तो अपने आठ वर्ष के कार्यकाल में योगी सरकार राज्य के विकास को गति देने, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और कानून का राज स्थापित करने के अलावा सांस्कृतिक धरोहरों और मूल्यों को संरक्षित व जीवंत बनाने की कसौटी पर खरा उतरी है। इसके लिए वह बधाई की पात्र है।
(लेखक राजनीतिक व सामाजिक विश्लेषक हैं)