★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{इराक़ कुवैत में अमेरिकी सेना में रह चुकी तुलसी गबार्ड ने कहा कि इस युद्ध मे इस्लामिक स्टेट समेत अन्य आतंकी गुटों को युद्ध मे जाने का मिल जाएगा मौका}
[ये युद्ध सिर्फ़ ईरान इराक़ ही नही बल्कि सीरिया लेबनान तक फैल जाएगा जताई आशंका तुलसी ने]
(लाखों शरणार्थियों को लेनी होगी यूरोप में शरण जिससे निरर्थक अर्थव्यवस्था का पैदा हो जाएगा संकट कहा तुलसी ने)
♂÷राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार तुलसी गबार्ड ने कहा है कि ईरान के साथ युद्ध होता है, तो भारी तबाही होगी।हवाई से कांग्रेस डेमोक्रेट प्रतिनिधि और इराक तथा कुवैत में अमेरिकी सेना में रह चुकी तुलसी ने कहा कि ईरान के साथ युद्ध होता है तो जान-माल की भारी तबाही होगी और उन्हें नहीं लगता कि अमेरिकी जनता ऐसी भारी तबाही के लिए तैयार होगी।
38 वर्षीय तुलसी ने कहा कि इस युद्ध में इस्लामिक स्टेट तथा अन्य आतंकवादी गुटों को युद्ध की आग में जाने का मौका मिलेगा। ऐसी स्थिति में अमेरिकी सेना को अपने जवानों को प्रशिक्षण देने की बजाए युद्ध में कूदना पड़ेगा। इससे पूरे क्षेत्र में भयंकर तबाही होगी। इससे यह युद्ध ईरान और इराक तक नहीं, सीरिया और लेबनान तक फैल जाएगा।
इराक युद्ध में अमेरिका को अपने चार हजार जवान गंवाने पड़े थे। लेकिन ईरान के साथ युद्ध होने पर ज़्यादा सैन्य बल और नागरिकों को जान गंवानी पड़ सकती हैं। इससे लाखों शरणार्थियों को यूरोप की शरण लेनी होगी, जिससे निरर्थक अव्यवस्था का संकट पैदा होगी।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को पेंटागन ने खाड़ी में बढ़ते तनाव को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प के सम्मुख अतिरिक्त सैन्य बल खाड़ी में भेजे जाने का प्रस्ताव दिया है।
♂÷राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार तुलसी गबार्ड ने कहा है कि ईरान के साथ युद्ध होता है, तो भारी तबाही होगी।हवाई से कांग्रेस डेमोक्रेट प्रतिनिधि और इराक तथा कुवैत में अमेरिकी सेना में रह चुकी तुलसी ने कहा कि ईरान के साथ युद्ध होता है तो जान-माल की भारी तबाही होगी और उन्हें नहीं लगता कि अमेरिकी जनता ऐसी भारी तबाही के लिए तैयार होगी।
38 वर्षीय तुलसी ने कहा कि इस युद्ध में इस्लामिक स्टेट तथा अन्य आतंकवादी गुटों को युद्ध की आग में जाने का मौका मिलेगा। ऐसी स्थिति में अमेरिकी सेना को अपने जवानों को प्रशिक्षण देने की बजाए युद्ध में कूदना पड़ेगा। इससे पूरे क्षेत्र में भयंकर तबाही होगी। इससे यह युद्ध ईरान और इराक तक नहीं, सीरिया और लेबनान तक फैल जाएगा।
इराक युद्ध में अमेरिका को अपने चार हजार जवान गंवाने पड़े थे। लेकिन ईरान के साथ युद्ध होने पर ज़्यादा सैन्य बल और नागरिकों को जान गंवानी पड़ सकती हैं। इससे लाखों शरणार्थियों को यूरोप की शरण लेनी होगी, जिससे निरर्थक अव्यवस्था का संकट पैदा होगी।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को पेंटागन ने खाड़ी में बढ़ते तनाव को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प के सम्मुख अतिरिक्त सैन्य बल खाड़ी में भेजे जाने का प्रस्ताव दिया है।