★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{गृहमंत्री शाह ने राज्यसभा में पेश किया जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक,जम्मू कश्मीर केंद्र शासित राज्य व लद्दाख को बनाया केंद्र शासित प्रदेश}
[अनुच्छेद 35A को 1954 में नेहरू सरकार के प्रस्ताव पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने 1954 में अस्थायी तौर पर जोड़ा था संविधान में]

♂÷अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है तथा विधान सभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में बयान देते हुए सदन को ऐतिहासिक निर्णय के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़ कर सभी हटाये गए, और जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटा गया।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख।
अनुच्छेद 370 के हटने से ही अनु. 35A भी हट जाएगा। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 35A एवं 370 द्वारा विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस विशेष दर्जे को हटाने अथवा बनाये रखने के लिए चर्चा आरंभ की गयी थी।

संविधान का यह प्रावधान राजनीतिक विवाद का केंद्र भी रहा है। यह एक अस्थायी अनुच्छेद है जिसे आवश्यकता पड़ने पर समाप्त भी किया जा सकता है इसलिए कुछ राजनीतिक पार्टियां इसके विरोध में भी रही हैं।
• अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा इसे संविधान में जोड़ा गया.
• यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधान सभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है.
• राज्य जिन नागरिकों को स्थायी घोषित करता है केवल वही राज्य में संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी प्राप्त करने एवं विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार रखते हैं.
• यदि जम्मू-कश्मीर का निवासी राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करता है तो वह यह नागरिकता खो देगा.
• 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था.
अनुच्छेद-370
• धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये.
• इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
• इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है.
• जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
• भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
• जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.