★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{विज्ञान भवन में सरकार व किसान नेताओं के बीच 9वें दौर की बातचीत में सरकार ने फ़िर कहा दो टूक किसी भी सूरत में वापस नहीं होगा क़ानून}
[किसानों ने कोर्ट जाने से किया इनकार, अपने रुख पर अड़े है संगठन कानून वापसी की मांग को लेकर, NIA द्वारा की गई गिरफ्तारी पर भी हुई बात]
(किसान संगठन के साथ खुलकर दो-दो हाथ कर रही है काँग्रेस व तमाम विपक्षी दल,राहुल गांधी ने कहा है कि वापस ले सरकार काला व ख़ूनी क़ानून)
♂÷मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए नए कृषि क़ानून के मुद्दे पर विपक्ष ख़ासकर काँग्रेस किसानों की आड़ में सरकार से दो-दो हाथ करने में लगी हुई है तो वहीं किसान संगठन भी अपनी आस्तीन चढ़ाये केंद्र सरकार को धमकी भरे अंदाज में साफ़ कह रहे हैं कि क़ानून वापसी तो घर वापसी।
उधर भारत सरकार प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री समेत तमाम मन्त्री व प्रवक्ता कई बार कह चुके हैं कि किसान नेता वार्ता में क़ानून के किन नियमों, प्राविधानों से किसानों को समस्या है या नुकसान होने का अंदेशा है बताए हम लोग उसपर उनकी चर्चा कर उनकी आपत्तियों को दूर करेंगे।
लगभग 50 दिनों से ऊपर चल रहे आंदोलन के बीच आज 10वें राउंड की बैठक जारी है।
इस बैठक से पहले ही किसान अपने तेवर जाहिर कर कर चुके हैं। वहीं सूत्रों के मुताबिक सरकार की तरफ से भी कृषि कानून रद्द किए जाने से साफ इनकार कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसानों से कहा है कि अगर वे चाहें तो कोर्ट जा सकते हैं लेकिन किसानों ने कोर्ट जाने से इनकार कर दिया है।
10वें दौर की बैठक में किसान नेताओं ने NIA का मुद्दा उठाया, शिमला में गिरफ्तार हुए किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी NIA के निशाने पर हैं।इस पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि निर्दोष लोगों की आप लिस्ट दे दीजिए। उन्होंने आश्वासन दिया है कि किसी भी निर्दोष के साथ गलत नहीं होगा। साथ ही किसानों को तीनों बिलों के फायदे बताते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि बिल किसानों के हित में हैं,अगर फिर भी कोई संशोधन चाहिए तो हम करने के लिए तैयार हैं।
मालूम हो कि नए कृषि क़ानून को वापस लेने के लिए किसानों का धरना,प्रदर्शन और आंदोलन लगभग 50 दिनों से भी ऊपर होने जा रहे हैं, अब तक 8 वें राउंड की बैठक सरकार व किसान प्रतिनिधि मंडल के बीच हो चुकी है आज 9वें राउंड की बैठक थी।
केंद्र सरकार किसानों से नए कृषि कानूनों में किस प्राविधान से दिक्कत है उसको हर बैठक में पूछ रही है कि जिसे दूर किया जा सके तो वहीं किसान संगठन अड़े हुए हैं कि कृषि क़ानून को ही पूरी तरह से वापस लिया जाए।
उधर विपक्ष ख़ासकर काँग्रेस किसानों के पाले में खम ठोंककर खड़ी है और कह रही है कि मोदी सरकार को ये काले क़ानून को वापस लेना चाहिए।जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि हमारे द्वारा बनाये गए चार सदस्यीय कमेटी से दोनों पक्ष बैठक करके गतिरोध का हल निकालते हुए किसानों के हित को देखा जाए।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानून पर दो महीने के लिए अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है।
कुल मिलाकर जहाँ सरकार कई बार स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह किसी भी सूरत में क़ानून को वापस लेने नही जा रही है, संगठन लिखित में बताए कि किस नियम से उनको दिक्कत है तो वहीं किसान संगठन दिक्कतें बताने में कुछ ख़ास नही कह पा रही है बल्कि धमकी भरे अंदाज में सरकार को चेता रही हैं कि पूरी तरह से कृषि क़ानून को वापस करवाये बिना वह यहाँ से जाने वाले नही हैं।
ट्रैक्टर रैली निकालने की किसानों की तैयारी तेज हो गयी है।
