★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{EC के द्वारा 24 घण्टे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगाए जाने से भड़की मुख्यमंत्री बनर्जी कोलकाता में बैठी हैं धरने पर}
[DMK नेता एम के स्टॉलिन ने कहा कि यह किस तरह की नजीर पेश कर रहा चुनाव आयोग तो शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा संवैधानिक संस्थाओं पर मौजूदा सरकार दवाव बना रही जो शुभ नही है]
(चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को हुगली में चुनावी रैली के दौरान कथित तौर पर साम्प्रदायिक आधार पर मतदाताओं से अपील करने पर मिली है नोटिस)
♂÷केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ 24 घण्टे के लिए चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाए जाने से जहाँ तृणमूल नेता बनर्जी भड़की हुई हैं तो वहीं उनके समर्थन में और भी दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
इलेक्शन कमीशन के फैसले के खिलाफ कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी आज एक दिवसीय धरने पर बैठी हुई हैं और उन्होंने कहा केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा चुनाव आयोग।
उधर ममता के समर्थन में डीएमके के एम के स्टालिन भी राजनीतिक मैदान में उतरे एवं कहा कि चुनाव आयोग किस तरह की नजीर पेश कर रहा है।
तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी चुनाव आयोग के फैसले के विरुद्ध कोलकाता में धरने पर बैठीं हुईं हैं।
उनका कहना है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर कार्य कर रहा है। जिस तरह से उन्हें प्रचार करने से रोका गया है वो अपने आपमें यह बताने हेतु पर्याप्त है कि बीजेपी हताश हो चुकी है। ममता के समर्थन में डीएमके के एम के स्टालिन भी मैदान में उतरे एवं कहा कि चुनाव आयोग किस तरह की नजीर पेश कर रहा है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने ममता पर 12 अप्रैल की रात 8 बजे से 13 अप्रैल की रात 8 बजे तक किसी भी तरह से प्रचार करने पर 24 घंटे का प्रतिबंध लगाया है। दरअसल कुछ ही दिन पहले चुनाव आयोग ने ममता को उनके एक बयान हेतु नोटिस भेजा था। ममता को हुगली में चुनाव रैली के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं से अपील करने हेतु नोटिस जारी किया गया था।
ममता बनर्जी के समर्थन में दूसरे दल भी केंद्र सरकार व इलेक्शन कमीशन पर भड़ास निकाल रहे हैं।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के मुताबिक जिस तरह से संवैधानिक संस्थाओं पर मौजूदा सरकार दबाव बना रही है वो अपने आप में शुभ संकेत नहीं है। प्रश्न यह है कि जब इस तरह से संस्थाएं कार्य करना शुरू कर देंगी तो लोगों का यकीन ही समाप्त हो जाएगा। बंगाल में आज जो कुछ भी हो रहा है वो सिर्फ और सिर्फ स्वतंत्र आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके पहले चुनाव आयोग ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी ऊपर तीन दिनों का चुनावी प्रतिबंध लगाने के साथ ही नोटिस भेज चुका है।