★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{शिया वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष की चांद-तारे वाले हरे झंडे पर बैन की मांग पर SC ने केन्द्र सरकार से जवाब देने को कहा}
[वसीम रिज़वी ने तर्क रखा कि पैग़म्बर मोहम्मद जब मक्का गए तब उनके हाथ मे था सफेद झंडा,1906 में जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग का था ये झंडा जिसे बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने बनाया राष्ट्रीय ध्वज]
(चेयरमैन ने कहा पाकिस्तान परस्त कट्टर मुस्लिमो ने लोगो मे भ्रम फैलाया की ये है इस्लामिक झंडा,अज्ञानतावश लोग झंडा लगा लेते हैं जिससे बढ़ता है सम्प्रदायिक तनाव)

♂÷यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने चांद-तारे वाले हरे झंडे पर पाबंदी की मांग की है।इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई,इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है। बता दें कि यूपी शिया वक्फ बोर्ड का इस झंडे पर बैन के पीछे तर्क ये है कि इसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है
यूपी शिया वक्फ बोर्ड ने चांद-तारे वाले हरे झंडे पर पाबंदी की मांग की है।इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा है। यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस झंडे पर बैन लगाने की मांग ये कहते हुए कि है कि इसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।चेयरमैन ने कहा कि इस झंडे से बेवजह सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है।

बता दें कि पिछले साल ही कोर्ट ने सरकार से मसले पर जवाब मांगा था।उस समय कोर्ट ने कहा था, “कई बार सरकार के लिए किसी मसले पर कदम उठाना मुश्किल होता है,उसे डर होता है कि लोग उसके कदम को दुर्भावनावश उठाया हुआ मान लेंगे. अब ये मामला कोर्ट में है। अगर आपको इस मसले पर कुछ कहना है तो कह सकते हैं।” सरकार ने आज जवाब के लिए 2 हफ्ते का समय मांगा कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी है।
वसीम रिज़वी की याचिका में कहा गया है कि इस झंडे का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है,पैगंबर मोहम्मद जब मक्का गए, तब उनके हाथ में सफेद झंडा था।मध्य युग में भी इस्लामिक फौजों के अलग-अलग झंडे होते थे उन्होंने कहा कि चांद तारे वाले हरे झंडे का 1906 से पहले कोई वजूद नहीं था।

याचिका में कहा गया है कि 1906 में ढाका में इसे मुस्लिम लीग के झंडे के तौर पर डिजाइन किया गया। बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने इसमें मामूली बदलाव कर इसे राष्ट्रीय ध्वज बनाया। अब भी पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायदे-आज़म नाम की पार्टी इसी झंडे का इस्तेमाल करती है।
रिज़वी के मुताबिक कतिपय पाकिस्तान परस्त कट्टर लोगों ने भ्रम फैलाया है कि ये इस्लामिक झंडा है,ज़्यादातर लोगों को सच्चाई पता नहीं, उनके मकानों में कुछ स्वार्थी लोग ये झंडा लगा जाते हैं। वो इसे धार्मिक झंडा समझ कर लगा रहने देते हैं. मुस्लिम बस्तियों में भी यहां वहां इस झंडे को लगा दिया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम इलाकों में अज्ञानतावश लोग ये झंडा लगाते हैं।इसे अक्सर हिन्दू पाकिस्तान का झंडा समझ लेते हैं,ये सांप्रदायिक तनाव की वजह बनता है।
कुल मिलाकर अब सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते में जवाब दाख़िल करने की मोहलत दे दी है देखना दिलचस्प रहेगा कि केंद्र सरकार क्या जवाब देती है सुप्रीम कोर्ट वसीम रिज़वी के तर्क व तथ्य पर क्या फैसला देती है तब तक दो हफ्तों के लिए इंतजार करना पड़ेगा इस मामलात में।