★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{बंटवारे के दौरान मुज्जफरनगर के जमींदार परिवार के लियाक़त अली खान चले गए थे पाकिस्तान,लम्बी अदालती कार्रवाई के बाद राज्य सरकार के नाम दर्ज हुई उनकी निष्क्रांत संपत्ति}
[एसडीएम दीपक कुमार की कोर्ट ने सैकड़ो बीघा ज़मीन किया गया सरकार के खाते में दर्ज,अब प्रशासन काबिज़ लोंगो से ख़ाली कराएगी जमीनें व सम्पत्तियां]
(तमाम लोगों ने कूटरचित ढंग से इस शत्रु सम्पत्ति को कराई थी अपने नाम दर्ज,जो जाँच के दौरान पाई गई जालसाज़ी, गाँधी कॉलोनी से भोपा रोड की लिंक रोड स्थित कमला फ़ार्म और भावना फ़ार्म हाऊस भी हैं शामिल)
[मुस्लिम लीग के नेता रहे जिन्ना के ख़ासमखास लियाक़त अली खान जमींदार रुस्तम अली ख़ान के बेटे थे,पाकिस्तान बनने पर मोहम्मद अली जिन्ना ने उनको पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया था]
♂÷उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर एसडीएम कोर्ट के आदेश के बाद पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री और मुजफ्फरनगर के जमींदार रहे लियाकत अली खां के परिवार के नाम दर्ज निष्क्रांत भूमि को राजस्व अभिलेखों में प्रदेश सरकार के नाम दर्ज कर दिया गया है। अब प्रशासन इन लोगों से जमीनों को खाली कराने की कार्रवाई करेगा। जिन जमीनों को प्रदेश सरकार के नाम दर्ज किया गया है, उनमें गांधी कॉलोनी से भोपा रोड की लिंक रोड स्थित कमला फार्म और भावना फार्म हाउस भी शामिल है।

भोपा रोड की शहर के अंदर की ग्राम यूसुफपुर महाल रुस्तम अली खां की सैकड़ों बीघा जमीन को लेकर उपजिलाधिकारी दीपक कुमार की कोर्ट ने जमीन को राजस्व अभिलेखों में प्रदेश सरकार के नाम दर्ज करने का निर्णय दिया था। रुस्तम अली खां के बेटे लियाकत अली खां अपने तीन भाइयों के साथ वर्ष 1947 में बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चले गए थे और वहां वह पाकिस्तान का पहले प्रधानमंत्री बने थे। जो लोग पाकिस्तान चले गए थे उन सबकी जमीन निष्क्रांत संपत्ति घोषित हो गई थी। बावजूद इसके महाल रुस्तम अली खां के खेवट नंबर 4/1 में लाला रघुराज स्वरूप के नाम से प्रविष्टि हो गई थी। प्रविष्टि शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कुछ भूमि पर 1360 फसली से पूर्व ही लाला रघुराज स्वरूप ने अवैध तरीके से संक्रमणीय अधिकार अर्जित कर लिए थे। इस मामले में तहसीलदार रणजीत सिंह की जांच रिपोर्ट को सही माना गया और समस्त जमीनों को राज्य सरकार में दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। एसडीएम कोर्ट के आदेश के बाद तहसील के रिकार्ड में जमीनों को अभिलेखों में प्रदेश सरकार के नाम दर्ज कर दिया गया है।
तीन भाइयों के पास थी शहर का जमींदारी
देश की आजादी से पहले मुजफ्फरनगर शहर की जमीनों पर तीन भाइयों उम्रदराज अली खां, रुस्तम अली खां और अजमत अली खां का जमींदारा था। आजादी से पहले अजमत अली खां ने अपने नाम दर्ज जमीन को वक्फ घोषित कर दिया था। अजमत अली खां इंटर, डिग्री और अन्य संस्थाएं इसी जमीन पर है। कुछ जमीन पर अवैध कब्जे हैं। रुस्तम अली खां की समस्त भूमि निष्क्रांत भूमि में आ गई थी, उनका परिवार जिसमें उनके बेटे पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खां भी शामिल हैं। वे पाकिस्तान चले गए थे। उम्रदराज अली खां की अधिकतम जमीन भी निष्क्रांत में आ गई थी।
एसडीएम कोर्ट मुजफ्फरनगर का आदेश पढ़े
न्यायालय : – उपजिलाधिकारी
मण्डल :सहारनपुर , जनपद :मुजफ्फर नगर , तहसील :सदर
कम्प्यूटरीकृत वाद संख्या:- T202009550102452
वाद संख्या:- 02452/2020
U.P Govt बनाम Anil Swaroop and alok swaroop
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता – 2006 , अंतर्गत धारा:- 38(2)
” अंतिम आदेश “
आदेश तिथि:- 31/12/2020
निर्णय
प्रस्तुत वाद की कार्यवाही तहसीलदार सदर की आख्या दिनांक 21-3-2020 पर प्रारम्भ की गई जिसमें उल्लेख किया गया कि ग्राम-यूसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर के महाल नवाब मौ0 रूस्तम अली खां वर्ष 1356फ0 खेवट नं0-4/1 मालकान दुर्गाप्रसाद वगैरा का अवलोकन करने पर पाया गया कि जमन 10 अ-काबिजान आराजी बिला रज़ामन्दी जमींदार के अन्तर्गत खाता सं0-45 के खसरा नं0-386 रकबा 0-1-0 बीघा पुख्ता अर्थात 100 वर्गमीटर भूमि पर लाला रघुराज स्वरूप पिसर सेठ लछमन स्वरूप कौम वैश अग्रवाल साकिन मुजफ्फरनगर का नाम अवधि 4 वर्ष से दर्ज है। वर्ष 1356 फसली खतौनी के खेवट नं0-4/1 में लाला रघुराज स्वरूप के नाम उपरोक्त एक बिस्वा भूमि के अतिरिक्त बतौर जमींदार/कृषक/अवैध कब्जेदार के रूप में अन्य कोई भूमि दर्ज होना नहीं पाया जा रहा है।
ग्राम-यूसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर के महाल नवाब मौ0 रूस्तम अली खां वर्ष 1359 फसली के खेवट नं0-4/1 मालकान दुर्गाप्रसाद वगैरा पर जमन 10अ-काबिजान आराजी बिला रजामन्दी जमींदार के अन्तर्गत खाता सं0-48 के खसरा नं0-386 रकबा 0-1-0 बीघा पुख्ता अर्थात 100 वर्ग मीटर भूमि पर लाला रघुराज स्वरूप पिसर सेठ लछमन स्वरूप कौम वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर का नाम अवधि 6 वर्ष से दर्ज है। उक्त के अतिरिक्त खतौनी वर्ष 1359 फसली के हिस्सा दोयम शिकमीयान के अन्तर्गत जमन 19-काश्तकार शिकमी के अन्तर्गत खाता सं0-2/33 के खसरा नं0-37/0-11-0, 39/0-8-0, 43/0-8-0, 44/0-9-0 व 45/0-9-0 कुल 5 किते रकबई 2-5-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 2 वर्ष से (जहाँ अवधि 1 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 2 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/25 के खसरा नं0-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0 व 384/2-9-0 कुल 10 किते रकबा 8-13-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 3 वर्ष से (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/25 के खसरा नं0-203 रकबा 0-8-0 एवं खसरा नं0-204 रकबा 0-7-0 बीघा पुख्ता कुल 2 किते रकबा 0-15-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 3 वर्ष से (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/24-ज के खसरा नं0-369/3-3-0, खसरा नं0-182/1-4-0, 202/0-6-0, 361/0-13-10, 363/0-9-0 व 364/0-7-0 कुल 5 किता/2-19-10 बीघा पुख्ता एवं खाता सं0-2/24 के खसरा नं0-370/1-3-0, 374/0-12-0, 375/0-8-0, 376/0-14-0 व 378/0-6-0 कुल 5 किते/3-3-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 2 वर्ष से (जहाँ अवधि 1 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 2 वर्ष बनाया गया है) पर लाला रघुराज स्वरूप का नाम अंकित है। इस प्रकार कुल 27 किते रकबा 17-15-10 बीघा पुख्ता पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप जाति वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर के नाम शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि खतौनी वर्ष 1359 फ0 में लाला रघुराज स्वरूप का खसरा नं0-182/1-4-0, 202/0-6-0, 203/0-8-0, 361/0-13-10, 363/0-9-0 व 364/0-7-0 के आंशिक क्षेत्रफलो के रूप में कब्जा अंकित किया गया परन्तु खसरा गश्ती वर्ष 1359 फसली में खसरा नं0-182/2-15-0, 202/3-5-0, 203/1-14-0, 361/1-13-0, 363/0-16-0 एवं 364/0-12-0 के सम्पूर्ण क्षेत्रफलों पर कब्जा अंकित किया जाना पाया जा रहा है। इस प्रकार वर्ष 1359 फसली के भू-अभिलेखो में लाला रघुराज स्वरूप द्वारा खतौनी में अंकित कब्जे के रकबे के विपरीत खसरा गश्ती में भी कब्जे के रकबो में वृद्धि करायी गयी है।
वर्ष 1359 फसली की उपरोक्त खतौनी से स्पष्ट है कि खतौनी के भाग दोयम में श्रेणी-19 काश्तकार शिकमी के अन्तर्गत कब्जे की प्रविष्टि करायी गयी। परन्तु ग्राम-यूसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर के खसरा गश्ती 1359 फसली का अवलोकन करने पर पाया गया कि खतौनी में लाला रघुराज स्वरूप के कब्जे में प्रदर्शित किए गए खसरा नंम्बरान-37/0-11-0, 39/0-8-0 एवं 45/0-9-0 के सम्मुख जदीद-1 भूमि खसरा नम्बरान-43/0-8-0 एवं 44/0-9-0 के सम्मुख बंजर भूमि तथा खसरा नम्बरान-182/2-15-0, 202/3-5-0, 203/1-14-0, 204/0-7-0, 361/1-13-0, 363/0-16-0, 364/0-12-0, 365/1-18-0, 366/1-7-0, 369/3-3-0, 370/1-3-0 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 374/0-12-0, 375/0-7-0, 383/0-7-0 एवं 384/2-9-0 के सम्मुख परती जदीद दर्ज है, जिसका तात्पर्य यह है कि उक्त वर्णित समस्त खसरा नम्बरान वर्ष 1359 फसली में मौके पर खाली पडे़ थे, जिनमें कोई फसल किसी के द्वारा नहीं बोई गयी थी। अस्तु लाला रघुराज स्वरूप द्वारा भी फसल नहीं बोई गयी थी। अर्थात लाला रघुराज स्वरूप का उक्त गाटा नम्बरान पर कोई कब्जा नहीं था। राजस्व सुरक्षालय में अभिरक्षित खतौनी वर्ष 1362 फ0 महाल रूस्तम अली खां खेवट नं0-4/1 का परीक्षण करने पर पाया गया कि श्रेणी 10अ-काबिजान भूमि बिला आज्ञा उस पुरूष के जबकि खसरा के स्तम्भ 5 में किसी का भी नाम दर्ज नहीं है, काबिज है, के अधीन खाता सं0-36 के खसरा नम्बरान-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0, 384/2-9-0 एवं 386मि/0-1-0 कुल 11 किता रकबा 8-14-0 बीघा पुख्ता पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र लछमन स्वरूप निवासी-मुज़फ्फरनगर का नाम दर्ज है। लाला रघुराज स्वरूप का नाम खतौनी भाग दोयम की श्रेणी 19-काश्तकार शिकमी से खतौनी भाग अव्वल की श्रेणी 10अ-में किस आदेश से अंकित किया गया तथा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो पाया है। यदि खतौनी 1359फ0 व खतौनी 1362 फ0 का तुलनात्मक परीक्षण किया जाये, तो यह तथ्य ज्ञात होता है कि वर्ष 1359 फ0 में खसरा नम्बरान 365, 366, 371, 372, 373, 377, 379, 382, 383 व 384 के कब्जे की अवधि 3 वर्ष लिखी गयी है। (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है) परन्तु वर्ष 1362 फ0 की खतौनी में उक्त समस्त खसरा नम्बरान पर कब्जे की अवधि 2 वर्ष दर्शायी गयी है, जबकि यह अवधि 6 वर्ष होना चाहिए थी। इससे यह परिलक्षित होता है कि वर्ष 1359 फ0 में लाला रघुराज स्वरूप का उक्त भूमि पर कब्जा ही नही था, जैसा की खसरा गश्ती वर्ष 1359 फ0 में किसी फसल की प्रविष्टि के न होना से सिद्ध होता है।
वर्ष 1359 फ0 के खतौनी खाता सं0-33 के खसरा नम्बर-37/0-11-0, 39/0-8-0, 43/0-8-0, 44/0-9-0 एवं 45/0-9-0 पुख्ता कुल 5 किते रकबा 2-5-0 पुख्ता पर ताराचन्द पिसर महताब, मंगल सैन व धर्म सिंह पिसरान बारू कहार साकिनान मुज़फ्फरनगर के नाम श्रेणी 7 के अन्तर्गत दर्ज है। इसी खतौनी के भाग दोयम में उक्त खसरा नम्बरान पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर का नाम श्रेणी 19 के अन्तर्गत काश्तकारान शिकमी के रूप में दर्ज है, जिसमें कब्जे की अवधि को बढाकर 2 वर्ष किया गया है। खाता खतौनी सं0-33 में उक्त वर्णित खसरा नम्बरान से काश्तकारान ताराचन्द आदि का नाम खारिज किये जाने के सम्बन्ध में कोई आदेश दर्ज होना नहीं पाया जा रहा है। अपितु खाता सं0-33 के सम्मुख यह अंकित है कि सनंद भूमिधरी 3/40541 बनाम लाला रघुराज स्वरूप खसरा नं0-37/0-11-0, 39/0-8-0, 43/0-8-0, 44/0-9-0 एवं 45/0-9-0 पुख्ता लगान 7 रू0 की जारी हुई।
वर्ष 1359 फ0 की खतौनी के खाता सं0-25 के खसरा नं0-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377-0-18-0, 379-0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0 व 384/2-9-0 पुख्ता कुल 10 किते रकबा 8-13-0 पुख्ता पर भरतू व रायमल पुत्रगण मंगत जाति चमार साकिन मुज़फ्फरनगर के नाम श्रेणी 6 (1) के अन्तर्गत दखीलकार काश्तकार के रूप में दर्ज है, जिन पर खतौनी भाग दोयम श्रेणी-19 क अन्तर्गत लाला रघुराज स्वरूप द्वारा शिकमी काश्तकार के अधिकार अवैध कब्जा दर्शाते हुए अर्जित कर लिये।
वर्ष 1359फ0 की खतौनी खाता सं0-24 के परीक्षण पर पाया गया कि खसरा नं0-182म/1-4-0, 202म/0-6-0, 361/0-13-10, 363/0-14-2, 364म/0-7-0, 370/1-3-0, 374/0-12-0, 375/0-8-0, 376/0-14-0 व 378/0-6-0 हे॰ पर आसाराम व दाताराम पुत्रगण कालूराम पिसरान संगत कौम चमार साकिनान मुज़फ्फरनगर के नाम बतौर असामियान दखीलकार कृषक के रूप में दर्ज है। लाला रघुराज स्वरूप का नाम खतौनी भाग दोयम के अन्तर्गत श्रेणी 19 के काश्तकारान शिकमी के रूप में दर्ज किये गये है, जिन पर बाद में सक्रमणीय अधिकार लाला रघुराज स्वरूप द्वारा अर्जित कर लिये गये।
वर्ष 1359 फ0 की खतौनी खाता सं-25 के अवलोकन करने पर पाया गया कि खसरा नं0-20म/0-8-0 पर भरतू व रायमल पुत्रगण मंगत जाति चमार निवासी-मु0नगर के नाम श्रेणी-6 दखीलकार काश्तकार के अन्तर्गत दर्ज है। इसी खतौनी के खाता सं0-50 के खसरा नं0-204/0-7-0 पर श्रेणी 14 (1) परती जदीद के अन्तर्गत जदीद भूमि के रूप में दर्ज है, जिन पर रघुराज स्वरूप ने शिकमी काश्तकार के रूप में कब्जा दिखाकर बाद में संक्रमणीय अधिकार अर्जित कर लिये।
महाल रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 की खतौनी वर्ष 1363 फ0 के खाता सं0-2/22 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि खसरा नं0-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0़-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 384/2-9-0, 203/0-8-0 एवं 204/0-7-0 हे॰ पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप जाति वैश्य अग्रवाल निवासी-मुज़फ्फरनगर का नाम श्रेणी 19 शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है। उक्त खाता नं0-2/22 पर उक्त वर्णित वर्णित भूमि को श्रेणी 10-अ के अन्तर्गत दर्ज किये जाने के सम्बन्ध में कोई आदेश खतौनी में अंकित होना नहीं पाया जा रहा है। राजस्व सुरक्षालय में उपलब्ध खतौनी 1376 फ0 महाल रूस्तम अली खां के खाता खतौनी सं0-7 के खसरा नम्बरान-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0़-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 384/2-9-0, 386/0-1-0 कुल 11 किते रकबा 8-14-0 पुख्ता पर रघुराज स्वरूप पुत्र लछमन स्वरूप निवासी-मुज़फ्फरनगर का नाम श्रेणी 10-अ बिना आगम के भूमि के अध्यासीन जबकि खसरे के स्तम्भ 5 में पहले से किसी व्यक्ति का नाम अंकित न हो, के अन्तर्गत दर्ज है। इसी प्रकार वर्ष 1377 फ0 व 1378 फ0 की खतौनियो में भी उपरोक्त वर्णित भूमि पर रघुराज स्वरूप का नाम श्रेणी-10-अ के अन्तर्गत दर्ज है।
यहां यह भी उल्लेख करना समीचीन होगा कि महाल रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 की कुल भूमि 189-0-15 बीघा पुख्ता के सम्बन्ध में लाला दीपचन्द पिसर पीरूमल कौम वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर और लाला दुर्गाप्रसाद पुत्र रामविलास एवं इनके साझीदारान लाला मीरीमल पुत्र सुन्दरलाल कौम वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर के मध्य विवाद था, जिसे मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद से दिनांक-29.05.1950 को निर्णित होने के पश्चात् लाला दुर्गाप्रसाद आदि ने उक्त आदेश के विरूद्ध मा0 उच्चतम न्यायालय में एस0एल0पी0 नं0-86/1950 लाला दुर्गाप्रसाद एवं अन्य बनाम लाला दीपचन्द एवं अन्य योजित कर दी थी, जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय में दिनांक-18.11.1953 को आदेश पारित किये गये। स्पष्ट है कि खेवट नं0-4/1 के असल जमींदार रूकनुद्दौला नवाब मौ0 सज्जाद अली खां द्वारा उक्त खेवट को विक्रय करने का इकरारनामा लाला दीपचन्द से दिनांक-07.02.1942 को करने के पश्चात् लाला दुर्गाप्रसाद आदि के हक में दिनांक 04.04.1942 को बैनामा करने के कारण और भारत विभाजन के समय नवाब मौ0 सज्जाद अली खां के पाकिस्तान चले जाने कारण तथा लाला दीपचन्द एवं लाला दुर्गाप्रसाद के मध्य उच्चतम न्यायालय तक चले विवाद के कारण और स्पष्ट रूप से खेवट नं0-4/1 का कोई जमींदार तय नहीं होने के कारण लाला रघुराज स्वरूप द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से भू-अभिलेखो में फर्जी कब्जे भरवाकर खसरा गश्ती में कब्जों का गलत इन्द्राज कराकर खेवट नं0-4/1 की कुल 17-15-10 बीघा पुख्ता भूमि को हड़प लिया। उक्त वर्णित खसरा नम्बरान की भूमियां बहुमूल्य थी।
ग्राम-यूसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर के वर्तमान भू-अभिलेखो का परीक्षण किया गया। जमींदारी खात्मा के पश्चात् खसरा नम्बरान 37/0-11-0, 39/0-8-0, 43/0-8-0, 44/0-9-0, 45/0-9-0, 182/1-4-0, 202/0-6-0, 203/0-8-0, 204/0-7-0, 361/0-13-10, 363/0-9-0, 364/0-7-0, 365/1-18-0, 366/1-7-0, 370/1-3-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 374/0-12-0, 375/0-8-0, 376/0-14-0, 377/0-18-0 ,378/0-6-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0 व 384/2-9-0 कुल 27 किते रकबा 17-15-10 बीघा पुख्ता की वर्तमान अभिलेखीय स्थिति निम्न प्रकार है-
1-ग्राम-यूसुफपुर नाॅन जैड0ए0 परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर की वर्तमान खतौनी वर्ष 1427 फ0 के परीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि श्रेणी 2 (क)-खुदकाश्त जो 1333 फ0 में शुरू हुई हो, के अन्तर्गत खाता सं0-5 के खसरा नं0-365/0.3890 हे॰ (1-18-0 पुख्ता) एवं खसरा नं0-366म/0.2360 हे॰ (1-3-0 पुख्ता) पर ललिता कुमारी, कुसुम कुमारी पुत्री लाला दीपचन्द, ओमप्रकाश पुत्र लाला बनारसीदास, अतुल गुप्ता पुत्र ओम प्रकाश व कु0 अपर्णा पुत्री ओमप्रकाश निवासीगण-मुज़फ्फरनगर के नाम 1401 फ0 से दर्ज है। इसी प्रकार उक्त खतौनी के खाता सं0-7 के खसरा नं0-366म/0.0410 हे॰ (0-4-0 पुख्ता), 371/0.1020 हे॰ (0-10-0 पुख्ता), 372/0.0920 हे॰ (0-9-0 पुख्ता), 373/0.0310 हे॰ (0-3-0 पुख्ता), 377/0.1840 हे॰ (0-18-0 पुख्ता), 379/0.0510 हे॰ (0-5-0 पुख्ता), 382/0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता), 383/0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता) एवं 384/0.5020 हे॰ (2-9-0 पुख्ता) कुल 9 किते क्षेत्रफल 1.1470 हे॰ पर श्रेणी 8 भूमि जिस पर मौरूसी कृषक काबिज हो, के अन्तर्गत आलोक कुमार, अनिल कुमार पुत्रगण विनोद कुमार पौत्र लाला रघुराज स्वरूप निवासी-मुज़फ्फरनगर के नाम वर्ष 1401 फ0 से दर्ज है। उपरोक्त भूमि के लाला रघुराज स्वरूप अवैध कब्जेदार थे और उन्होने यह भूमि भू-राजस्व अभिलेखो में छलसाधित प्रविष्टि के आधार पर प्राप्त कर राज्य सरकार को क्षति पहूँचायी गयी थी। उपरोक्त भूमि पर नुमाईशी बंटवारे के आधार पर वाद सं0-01/93-94 धारा इजराय अमरनाथ आदि बनाम आलोक कुमार आदि में पारित आदेश दिनांक-04.03.1994 के द्वारा भू-राजस्व अभिलेखो में नाम दर्ज किये गये थे। इसी खतौनी के खाता नं0-12 के खसरा नं0-203/1 रकबा 0.0870 हे॰ (0-8-5 पुख्ता) एवं खसरा नं0-204 रकबा 0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता) पर श्रेणी 14-मद 3 (ड.) के अन्तर्गत बंजर भूमि के रूप में दर्ज है। उपरोक्त वर्णित समस्त भूमि से अभिलेखो में दर्ज वर्तमान प्रविष्टि खारिज होकर भूमि राज्य सरकार के नाम दर्ज किया जाना उचित है।
2-ग्राम-यूसुफपुर नाॅन जैड0ए0 परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर के खेवट चैसाला वर्ष 1425 से 1428 फ0 महाल नवाब मौहम्मद रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 में भी उपरोक्त व्यक्तियो आलोक कुमार स्वरूप, अनिल कुमार स्वरूप पुत्रगण विनोद कुमार निवासी-भोपा रोड, मुज़फ्फरनगर के नाम जो कि श्रेणी-8 भूमि जिस पर मौरूसी कृषक काबिज हो, के अन्तर्गत दर्ज किये जाने के आदेश दिनांक-04.03.1994 को पारित किये गये थे, का इन्दराज जमींदार के रूप में जमींदारो की पंजी खेवट चैसाला में भी साजिशन खसरा नम्बरान-366म/0.0410 हे॰ (0-4-0 पुख्ता), 371/0.1020 हे॰ (0-10-0 पुख्ता), 372/0.0920 हे॰ (0-9-0 पुख्ता), 373/0.0310 हे॰ (0-3-0 पुख्ता), 377/0.1840 हे॰ (0-18-0 पुख्ता), 379/0.0510 हे॰ (0-5-0 पुख्ता), 382/0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता), 383/0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता) एवं 384/0.5020 हे॰ (2-9-0 पुख्ता) कुल 9 किते क्षेत्रफल 1.1470 हे॰ दर्ज कर दिये गये। यह अनाधिकृत प्रविष्टि अभिलेख खेवट चैसाला में बने रहने योग्य नहीं है और निरस्त होने योग्य है।
3-ग्राम-यूसुफपुर अन्दर हदूद परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर की वर्तमान खतौनी 1425 ता 1430 फ0 के खाता सं0-7 के परीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि खसरा नं0-182/1/0.2460 हे॰ (1-4-0 पुख्ता), 202/1/0.0610 हे॰ (0-6-0 पुख्ता), 361/1/0.1380 हे॰ (0-13-10 पुख्ता), 363मि/0.1440 हे॰ (0-14-2 पुख्ता), 364/0.0720 हे॰ (0-7-0 पुख्ता), 370/0.2360 हे॰ (1-3-0 पुख्ता), 374/0.1230 हे॰ (0-12-0 पुख्ता), 375/0.0820 हे॰ (0-8-0 पुख्ता), 376/0.1430 हे॰ (0-14-0 पुख्ता) एवं 378/0.0610 हे॰ (0-6-0 पुख्ता) पर श्रेणी 1 (क) भूमि जो संक्रमणीय भूमिधरो के अधिकार में हो, के अन्तर्गत आलोक कुमार, अनिल कुमार पुत्रगण विनोद कुमार निवासीगण-ग्राम के नाम दर्ज है। यह भूमि खातेदारान के पूर्वज रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप कौम वैश्य अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर द्वारा छलसाधित प्रविष्टि के आधार पर अर्जित की गयी थी। उक्त भूमि से वर्तमान प्रविष्टि खारिज करते हुए राज्य सरकार के नाम किया जाना उचित होगा।
4-ग्राम-यूसुफपुर बाहर हदूद परगना व तहसील व जिला-मुज़फ्फरनगर की वर्तमान खतौनी 1425 ता 1430 फ0 के खाता सं0-3 के परीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि खसरा नं0-37/0.1130 हे॰ (0-11-0 पुख्ता), 39/0.0820 हे॰ (0-8-0 पुख्ता), 43/0.0820 हे॰ (0-8-0 पुख्ता), 44/0.0920 हे॰ (0-9-0 पुख्ता) एवं 45/0.0920 हे॰ (0-9-0 पुख्ता) पर श्रेणी 1 (क) भूमि जो संक्रमणीय भूमिधर के अधिकार में हो, के अन्तर्गत मदन मोहन मालवीय इण्टर काॅलिज मुज़फ्फरनगर का नाम 1363 फ0 से संक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज है। प्रश्नगत भूमि मदन मोहन मालवीय इण्टर काॅलिज के नाम सेठ रघुराज स्वरूप द्वारा किस प्रकार हस्तान्तरित हुई, इसका कोई अभिलेखीय साक्ष्य प्रकाश में नहीं आया है।
उत्तर प्रदेश नगरीय क्षेत्रों में जमींदार उन्मूलन हेतु वर्ष 1356 में अधिनियम तैयार किया गया, जिसका गजट दिनांक-12.03.1957 को प्रकाशित हुआ। अधिनियम की धारा-3 में व्यवस्था दी गयी थी कि नगरीय क्षेत्रो मंे मध्यवर्तियों के अधिकार और हितों का अर्जन करने के प्रयोजन से शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा आदेश दे सकती है कि ऐसे क्षेत्र में स्थित कृषि क्षेत्र का सीमांकन किया जाये और मुजफ्फरनगर म्यून्सिपिल्टी क्षेत्र में जमींदारा खात्मा करने के लिए राजस्व विभाग का गजट नोटिफिकेशन नं0-3235/आई0ए0-168-1960 दिनांक-29.06.1961 को प्रकाशित हुआ, जो उक्त दिनांक से लागू हुआ। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत क्षेत्र, जिसमें विवादित भूमि स्थित है, वह अरबन ऐरिया के अन्तर्गत स्थित है। उत्तर प्रदेश नगरीय क्षेत्रो में जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था हेतु वर्ष 1956 में अधिनियम लाया गया और जनपद मुज़फ्फरनगर के मुज़फ्फरनगर म्यूनिस्पिलटी क्षेत्र में अरबन जमींदारी खात्मा हेतु दिनांक-29.06.1961 को गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित किया गया, परन्तु खतौनी भाग दोयम श्रेणी-19 शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज व्यक्ति लाला रघुराज स्वरूप ने 1952-1953 में ही अरबन जमींदारी खात्मा का गजट नोटिफिकेशन होने से पूर्व ही कब्जे वाली भूमि पर संक्रमणीय अधिकार अवैध तरीके से अर्जित कर लिये, जबकि प्रश्नगत भूमि में किसी भी प्रकार के अधिकार लाला रघुराज स्वरूप को प्राप्त नहीं होते है और तत्समय से ही भूमि राज्य सरकार में निहित मानी जानी योग्य है। यदि तत्समय अरबन जमींदारी के खात्मा के कारण असामी अधिकार प्राप्त भी होते है, तो एक निश्चित अवधि के पश्चात् भूमि पुनः राज्य सरकार में निहित हो जाती है।
उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 की धारा-32 एवं 55 में व्यवस्था दी गयी है कि धारा-32 में विनिर्दिष्ट भूमि पर खेती करने वाले या अन्यथा कब्जा करने वाले व्यक्तियो का रजिस्टर प्रत्येक खातेदार के विषय में खण्ड क, ख एवं ग में दिये गये विवरण के अनुसार तैयार किया जाता है और धारा-32 (ड) के अन्तर्गत धारा-55 द्वारा वांछित विशिष्टियो का उल्लेख करते हुए खेती करने या भूमि पर अन्यथा कब्जा करने वाले व्यक्तियो का रजिस्टर तैयार किया जाता है। परन्तु प्रश्नगत भूमि पर लाला रघुराज स्वरूप के कब्जो के सम्बन्ध में ऐसा कोई रजिस्टर प्रकाश में नहीं आया है, जिसमें उनके कब्जो की प्रविष्टि का उल्लेख किया गया हो।
उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा-16 (2) में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे अभिलेख, जो यू0पी0 लैण्ड रेवेन्यू एक्ट, 1901 की धारा-32 के खण्ड (ड) के अधीन फ0 वर्ष 1956 के लिये तैयार किया गया हो, में जिस व्यक्ति का नाम किसी भूमि के अध्यासीन के तौर पर अभिलिखित हो और जो पूर्वोक्त दिनांक पर प्रश्नगत भूमि पर काबिज रहा हो, यह समझा जायेगा कि वह व्यक्ति उक्त भूमि का मौरूसी काश्तकार है और उपर्युक्त दिनांक पर ऐसे काश्तकारो का लागू दरो से लगान का देनदार है। परन्तु उपरोक्त प्रकरण में लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन दास स्वरूप का वर्ष 1356 फ0 की खतौनी में मात्र खसरा नम्बर-386 रकबा 0-1-0 पुख्ता (100 वर्गमीटर भूमि) पर 6 वर्ष अर्थात 1350 फ0 से कब्जा दर्ज है और शेष भूमि खसरा नम्बरान-37/0.1130, 39/0.0820, 43/0.0820, 44/0.0920, 45/0.0920, 182/1/0.2460, 202/1/0.0610, 361/1/0.1380, 363/0.1440, 364/0.0720, 370/0.2360, 374/0.1230, 375/0.0820, 376/0.1430, 378/0.0610, 365/0.3890, 366/0.2770, 371/0.1020, 372/0.0920, 373/0.0310, 377/0.1840, 379/0.0510, 382/0.0720, 383/0.0720, 384/0.5020, 203/1/0.0820 व 204/0.0720 हे॰ पर वर्ष 1356 फ0 की खतौनी में किसी भी प्रकार के कब्जेदार के रूप में लाला रघुराज स्वरूप का नाम नहीं दर्ज है। लाला रघुराज स्वरूप द्वारा वर्ष 1359 फ0 की खतौनी में अवैध रूप से कब्जो की प्रविष्टि कराकर और कब्जे को 1356 फ0 से कब्जे की अवधि को ओवर राईटिंग द्वारा बढवाकर उक्त वर्णित भूमि पर अवैध रूप से संक्रमणीय अधिकार अर्जित किये गये है, जबकि उक्त भूमि तत्समय से ही राज्य सरकार में निहित होने योग्य थी।
यू0पी0 काश्तकारी अधिनियम, 1939 के अनुसार काश्तकार अपनी भूमि को दूसरे व्यक्ति को लगान पर उठा सकते थे। उनके इस अधिकार पर कुछ प्रतिबन्ध लगाये गये थे। जब कोई काश्तकार जिसे यह अधिकार था, अपनी भूमि शिकमी पर उठा देता था, तो वास्तविक जोतदार को शिकमी काश्तकार कहते थे। शिकमी काश्तकार को दखीलकारी हक भूमि में उत्पन्न नहीं होता था। शिकमी काश्तकार का हक न तो स्थायी था और न संक्रमणीय। यदि उसे बेदखल नहीं किया जाता था, तो उसके मरने पर उसका स्वत्व वंशानुगामी अवश्य होता था और यू0पी0 काश्तकारी अधिनियम, 1939 में दिये गये प्राविधान से उसके उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता था। जमींदारी समाप्ति पर शिकमी काश्तकार अधिवासी हो गये। किन्तु कुछ शिकमी काश्तकार आसामी ही बने, जिनके असल काश्तकार सक्षम व्यक्ति थे, जिनका उल्लेख उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा-20 तथा धारा-21 (1) (ज) के अन्तर्गत वर्णित है। इस प्रकार 1359 फ0 की खतौनी के भाग दोयम की श्रेणी-19 में दर्ज शिकमी काश्तकार को संक्रमणीय भूमिधर के अधिकार प्रदान नहीं किये जा सकते है। परन्तु अभिलेखो में कूट रचना से कब्जो की अवधि को बढवाकर लाला रघुराज स्वरूप ने गलत तरीके से संक्रमणीय तथा मौरूसी अधिकार अर्जित कर राज्य सरकार को क्षति पहूँचायी है। ग्राम-यूसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुजफ्फरनगर के महाल रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 की वर्ष 1359 फसली की खतौनी के अवलोकन से स्पष्ट है कि लाला रघुराज स्वरूप का नाम शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है, जिसने अरबन जमींदार खात्मा कानून लागू होने से पहले ही खसरा नं0-37, 39, 43, 44, 45, 182, 202, 203, 204, 361, 363, 364, 369, 370, 374, 375, 376 व 378 पर संक्राम्य अधिकार अर्जित कर लिये, जबकि शिकमी काश्तकार को संक्रमणीय अधिकार नहीं प्राप्त होते है।
महाल रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 में लाला रघुराज स्वरूप के नाम की गयी प्रविष्टि के अवलोकन से ज्ञात होता है कि लाला रघुराज स्वरूप की प्रविष्टि शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज थी, जिसमें से कुछ भूमि पर पूर्व 1360 फ0 से पूर्व ही लाला रघुराज स्वरूप ने अवैध तरीके से संक्रमणीय अधिकार अर्जित कर लिए थे तथा शेष भूमि खसरा नं0-365, 366, 371, 372, 373, 377, 379, 382, 383, 384 पर अधिवासी/आसामी अधिकार जमींदारी खात्मा के दौरान वर्ष 1961 में लाला रघुराज स्वरूप को प्राप्त होने थे और भूमि नियमानुसार तत्समय ही नियत अवधि के पश्चात् राज्य सरकार में निहित होनी चाहिए थी, परन्तु लाला रघुराज स्वरूप द्वारा राज्य सरकार में निहित नहीं होने दी गयी और राज्य सरकार की मूल्यवान भूमियो को हड़पकर राज्य सरकार को क्षति पहूँचायी गयी।
तत्कालीन परगनाधिकारी सदर, मुज़फ्फरनगर के यहां वाद सं0-01/93-94 धारा इजराय अमरनाथ ट/ै आलोक कुमार योजित कर दिनांक-04.03.1994 को निर्णित कराते हुए डिग्रीदारान ललिता कुमारी पुत्री लाला दीपचन्द, कुसुम कुमारी पुत्री लाला दीपचन्द, ओमप्रकाश पुत्र लाला बनारसीदास, अतुल गुप्ता पुत्र ओमप्रकाश व कुमारी अर्पणा गुप्ता पुत्री ओमप्रकाश को इजराय हाजा में प्रस्तुत सुलहनामा दिनांक-21.06.1993 के आधार पर गाटा नं0-365/1-18-0 एवं गाटा सं0-366/1-3-0 कुल 2 किते रकबा 3-1-0 बीघा पुख्ता पर श्रेणी 2 खुदकाश्त तथा आलोक कुमार, अनिल कुमार पौत्रगण लाला रघुराज स्वरूप पुत्र विनोद कुमार को गाटा नं0-366/0-4-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0 व 384/2-9-0 कुल 9 किते रकबा 5-13-0 बीघा पुख्ता पर मौरूसी काश्तकार के लाभ प्रदान करते हुए अभिलेखो में दर्ज किए गए। उक्त आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर लाला रघुराज स्वरूप के उत्तराधिकारियो आलोक कुमार आदि को लाभ प्रदान करने के लिये पारित किए गए है। उक्त व्यक्तियों को जमींदारी अधिकार किस अधिनियम की किस धारा के अन्तर्गत प्रदान किये गये है, इसका कोई उल्लेख आदेश में नहीं है। प्रश्नगत आदेश पारित करते समय राज्य सरकार/म्यूनिशपिल बोर्ड, मुज़फ्फरनगर/नगरपालिका परिषद मुज़फ्फरनगर को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। वाद की कार्यवाही चुपके-चुपके करायी गयी है। आधार रहित और विधिविधान के विपरीत पारित किया गया आदेश शून्य एवं निष्प्रभावी होता है और ऐसे शून्य एवं निष्प्रभावी आदेश को किसी भी न्यायालय व अधिकार द्वारा दुरूस्त किया जा सकता है। यदि जाली एवं फर्जी प्रविष्टि के आधार पर कोई आदेश पारित करा लिया जाता है, तो वह निरस्त किया जा सकता है। सन्दर्भित आदेश त्रुटिपूर्ण एवं दूषित होने तथा क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर पारित किये जाने के कारण सर्वथा निरस्त किये जाने योग्य है। भू-राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा-32 के खण्ड (ड.) के अनुसार प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जो किसी भूमि पर वर्ष 1356 फसली में काबिज दर्ज हो और निहित होने के दिनांक के ठीक पहले के दिनांक पर प्रश्नगत भूमि पर काबिज रहा हो, तो उसे उस भूमि का मौरूसी काश्तकार (भ्मतमकपजंतल ज्मदंदज) हुआ समझा जायेगा, परन्तु महाल रूस्तम अली खां के वर्ष 1356 फसली की खतौनी के अवलोकन से स्पष्ट है कि उक्त वर्णित भूमियों में खसरा नं0-386मि रकबा 0-1-0 बीघा पुख्ता को छोड़कर शेष समस्त भूमि पर काबिज व्यक्ति के रूप में लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमनदास का नाम किसी भी रूप में नहीं दर्ज है। वर्ष 1359 फ0 में लाला रघुराज स्वरूप का नाम शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज तो पाया गया परन्तु उसमें कब्जे की अवधि ओवर राईटिंग करके बढाई गयी है, जिसके आधार पर उसे मौरूसी काश्तकार के अधिकार नहीं प्रदान किये जा सकते थे, जबकि खसरा गश्ती 1359 फसली से परिलक्षित है कि लाला रघुराज स्वरूप उक्त वर्णित खसरा नम्बरान में वर्ष 1359 फ0 में भी काबिज नहीं था। इस प्रकार लाला रघुराज स्वरूप अथवा उसके वारिसान को खसरा नं0-366, 371, 372, 373, 377, 383 व 384 कुल रकबा 5-0-0 बीघा पुख्ता पर मौरूसी काश्तकार के अधिकार नहीं प्रदान किए जा सकते थे।
यू0पी0 काश्तकारी अधिनियम, 1939 में मौरूसी काश्तकार (भ्मतमकपजंतल ज्मदंदज) की परिभाषा को इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि-
(क)-प्रत्येक व्यक्ति जो इस अधिनियम (उ0प्र0 काश्तकारी अधिनियम) के प्रारम्भ काल में स्थायी जोतदार शरहमुअय्यन काश्तकार, अवध में विशेष शर्तो वाला काश्तकार, गतस्वामित्व काश्तकार, दखिलकार काश्तकार के अतिरिक्त कोई काश्तकार था या अधिनियम में अन्यथा जब तक न प्राविधानित हो, सीर का एक काश्तकार या शिकमी काश्तकार को छोड़कर कोई काश्तकार था।
(ख)-प्रत्येक व्यक्ति जो इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के पश्चात् सीर के काश्तकार या शिकमी काश्तकार के अतिरिक्त अन्य रूप में किसी भूमि में दाखिल किया गया।
(ग)-प्रत्येक व्यक्ति जिसमें इस अधिनियम के प्राविधानानुसार मौरूसी अधिकार प्राप्त किया।
दिनांक-04.03.1994 को मौरूसी काश्तकार के अधिकार अर्जित कर लेने के उपरान्त लाला रघुराज स्वरूप की परिपाटी पर चलते हुए श्री आलोक कुमार स्वरूप आदि ने खतौनी में मौरूसी काश्तकार के साथ-साथ खेवट चैसाला में भी जमींदार के रूप में एन्ट्री करा ली और जमींदार के रूप में ट्रान्सफरेबल अधिकार अर्जित कर लिए। स्पष्ट है कि भू-अभिलेखो में प्रत्येक स्तर पर आरम्भ से अन्त तक मैनुपुलेशन कराकर भूमि को हड़पा गया और अनुचित लाभ अर्जित किए गए। जालसाजी, कूटरचना या कपट से प्राप्त की गयी भूमि में लाला रघुराज स्वरूप एवं उसके उत्तराधिकारियों श्री आलोक कुमार स्वरूप एवं अनिल कुमार स्वरूप पुत्रगण कुंवर विनोद कुमार सिंह निवासीगण राजभवन भोपा रोड, मुजफ्फरनगर तथा श्रीमती ललिता कुमारी गुप्ता पत्नी गोपाल दास, श्रीमती कुसुम कुमारी पत्नी लक्ष्मी चन्द, ओमप्रकाश गुप्ता पुत्र लाला बनारसी दास, अतुल गुप्ता पुत्र ओमप्रकाश, अपर्णा पुत्री ओमप्रकाश वारिसान लाल दीपचन्द को कोई अधिकार नहीं प्राप्त होते है। मौरूसी काश्तकार की परिभाषा की छाायाप्रति संलग्नक-12 है।
राजस्व अभिलेखो में कूट रचना अथव कपट का सहारा लेकर कोई फर्जी प्रविष्टि करवा लेता है या छलसाधित प्रविष्टियो के आधार पर अमलदरामद कराकर अभिलेखो में अपना नाम दर्ज करवा लेता है, तो मामला प्रकाश में आने पर ऐसी प्रविष्टियो को निरस्त किया जाना आवश्यक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अभिलेखो में करायी गयी कूट रचित प्रविष्टियो के मामले में ऐसी प्रविष्टि के आधार पर दावा करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाना उचित नहीं है। सुनवाई का अवसर निहित सिविल अधिकार की प्रतिरक्षा के लिये होता है न कि अभिलेखो में कूट रचना तथा कपट की प्रतिरक्षा के लिये होता है। खतौनी में करायी गयी जालसाजी सार्वजनिक सम्पत्ति के अपहरण के समान है। इसलिये प्रश्नगत भूमि से वर्तमान प्रविष्टियां हटाकर राज्य सरकार में निहित किया जाना उचित होगा।
अतः ग्राम-यूसुफपुर बाहर हदूद के खाता सं0-3 के खसरा नं0-37/0.1130, 39/0.0820, 43/0.0820, 44/0.0920 एवं 45/0.0920 हे॰, ग्राम-यूसुफपुर अन्दर हदूद के खाता सं0-7 के खसरा नं0-182/1/0.2460, 202/1/0.0610, 361/1/0.1380, 363/0.1440, 364/0.0720, 370/0.2360, 374/0.1230, 375/0.0820, 376/0.1430, 378/0.0610 हे॰, ग्राम-यूसुफपुर नाॅन जैड0ए0 के खाता सं0-5 के खसरा नं0-365/0.3890 एवं 366/0.2770 हे॰, खाता सं0-7 के खसरा नं0-371/0.1020, 372/0.0920, 373/0.0310, 377/0.1840, 379/0.0510, 382/0.0720, 383/0.0720 व 384/0.5020 हे॰ तथा खाता सं0-12 के खसरा नं0-203/1/0.0820 व 204/0.0720 हे॰ से वर्तमान प्रविष्टि को धारा-38 (5) उ0प्र0 राजस्व संहिता, 2006 के अन्तर्गत निरस्त कर भूमि को राज्य सरकार में निहित करते हुए अभिलेख संशोधित किये जाने की संस्तुति सहित आख्या सेवा में सादर प्रेषित है।
उक्त के सम्बन्ध में वाद पंजीकृत कर क्षैत्रीय लेखपाल के द्वारा वर्तमान अधतन स्थिति के अनुसार उल्लेखित सूचि में उक्त नम्बरान पर वर्तमान मंे अध्यासित व्यक्तियो को पत्र संख्या 22/रीडर दिनांक 15-6-2020 को नोटिस निर्गत किया गया। विपक्षी संख्या-10 के द्वारा दिनांक 30-6-2020 को नोटिस निर्गत किया गया। विपक्षी नं0 10 के द्वारा दिनांक 30-6-2020 को प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कर जवाब हेतु समय चाहा गया। विपक्षी 3 ता 7 के द्वारा दिनांक 7-7-2020 को प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करके जवाब दाखिल करने हेतु समय चाहा गया। दिनांक 4-7-2020 को अधिकृत प्रतिनिधि सुकम गौरव लिमिटेड के द्वारा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा कई पत्रो को डाक से भेजा गया। प्रतिवादी संख्या-1 के द्वारा नोटिस की प्रति प्राप्त न करने के कारण उक्त नोटिस की प्रति उनके दक्षिण मुहाने पर चस्पा की गई। प्रतिवादी संख्या-9 के सम्बन्ध में कारकुन के द्वारा भावना फार्म पहुच कर तामीली रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तकि भावना फार्म में 2012 से अध्वनी रहेजा, पवन छाबडा, सनीत ठकराल, विनोद कगर उक्त फार्म को किराये पर चला रहे है तथा उनके मैनेजर राजु श्र्मा भावना फार्म को उक्त तामीली कराई गई। कमला फार्म की ओर प्रणव स्वरूप पुत्र आलोक स्वरूप के द्वारा वकालतनामा व प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कर जवाब हेतु समय चाहा गया दिनांक 7-7-2020 को प्रार्थी अनिल कुमार शर्मा निवासी द्वारिका पुरी के द्वारा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया। उक्त के अतिरिक्त विद्वान अधिवक्ताओ क्रमश डा0 माधुरी सिंह व मेधगना सिंह के द्वारा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करके विपक्षीयो की ओर से जवाब हेतु समय चाहा गया।
उक्त प्रतिवादीगणो के द्वारा वाजूद सूचना के कोई जवाब व साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया। प्रतिवादीगणो को जवाब व साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु प्र्याप्त अवसर प्रदान किया गया लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब व साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया । इसलिए प्रतिवादीगणो के विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए प्रतिवादीगणो का जवाब व साक्ष्य का अवसर समाप्त किया गया।
मेरे द्वारा प़त्रावली का सम्यकपूर्वक अवलोकन किया गया तथा जिला शासकीय अधिवक्ता की बहस सुनी गई ।पत्रावली में उपलब्ध नकल 1356खेवट ग्राम युसुफपुर परगना व तहसील व जिला-मुजफ्फरनगर के महाल नवाब मौ0 रूस्तम अली खा खेवट न0 4/1 मालकान दुर्गाप्रसाद आदि का अनुशीलन किया गया जिससे विदित हुआ कि जमन 10अ-काबिजान आराजी बिला रजामन्दी जमींदार के अन्तर्गत खाता सं0-48 के खसरा नं0-386 रकबा 0-1-0 बीघा पुख्ता अर्थात 100 वर्ग मीटर भूमि पर लाला रघुराज स्वरूप पिसर सेठ लछमन स्वरूप कौम वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर का नाम अवधि 6 वर्ष से दर्ज है। उक्त के अतिरिक्त खतौनी वर्ष 1359 फसली के हिस्सा दोयम शिकमीयान के अन्तर्गत जमन 19-काश्तकार शिकमी के अन्तर्गत खाता सं0-2/33 के खसरा नं0-37/0-11-0, 39/0-8-0, 43/0-8-0, 44/0-9-0 व 45/0-9-0 कुल 5 किते रकबई 2-5-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 2 वर्ष से (जहाँ अवधि 1 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 2 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/25 के खसरा नं0-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0 व 384/2-9-0 कुल 10 किते रकबा 8-13-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 3 वर्ष से (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/25 के खसरा नं0-203 रकबा 0-8-0 एवं खसरा नं0-204 रकबा 0-7-0 बीघा पुख्ता कुल 2 किते रकबा 0-15-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 3 वर्ष से (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है), खाता सं0-2/24-ज के खसरा नं0-369/3-3-0, खसरा नं0-182/1-4-0, 202/0-6-0, 361/0-13-10, 363/0-9-0 व 364/0-7-0 कुल 5 किता/2-19-10 बीघा पुख्ता एवं खाता सं0-2/24 के खसरा नं0-370/1-3-0, 374/0-12-0, 375/0-8-0, 376/0-14-0 व 378/0-6-0 कुल 5 किते/3-3-0 बीघा पुख्ता पर अवधि 2 वर्ष से (जहाँ अवधि 1 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 2 वर्ष बनाया गया है) पर लाला रघुराज स्वरूप का नाम अंकित है। इस प्रकार कुल 27 किते रकबा 17-15-10 बीघा पुख्ता पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप जाति वैश अग्रवाल साकिन मुज़फ्फरनगर के नाम शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है। इसके अतिरिक्त खतौनी वर्ष 1359 फ0 में लाला रघुराज स्वरूप का खसरा नं0-182/1-4-0, 202/0-6-0, 203/0-8-0, 361/0-13-10, 363/0-9-0 व 364/0-7-0 के आंशिक क्षेत्रफलो के रूप में कब्जा अंकित किया गया परन्तु खसरा गश्ती वर्ष 1359 फसली में खसरा नं0-182/2-15-0, 202/3-5-0, 203/1-14-0, 361/1-13-0, 363/0-16-0 एवं 364/0-12-0 के सम्पूर्ण क्षेत्रफलों पर कब्जा अंकित किया जाना पाया जा रहा है। इस प्रकार वर्ष 1359 फसली के भू-अभिलेखो में लाला रघुराज स्वरूप द्वारा खतौनी में अंकित कब्जे के रकबे के विपरीत खसरा गश्ती में भी कब्जे के रकबो में वृद्धि करायी गयी है तथा खसरा नंम्बरान-37/0-11-0, 39/0-8-0 एवं 45/0-9-0 के सम्मुख जदीद-1 भूमि खसरा नम्बरान-43/0-8-0 एवं 44/0-9-0 के सम्मुख बंजर भूमि तथा खसरा नम्बरान-182/2-15-0, 202/3-5-0, 203/1-14-0, 204/0-7-0, 361/1-13-0, 363/0-16-0, 364/0-12-0, 365/1-18-0, 366/1-7-0, 369/3-3-0, 370/1-3-0 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 374/0-12-0, 375/0-7-0, 383/0-7-0 एवं 384/2-9-0 के सम्मुख परती जदीद दर्ज है, जिसका तात्पर्य यह है कि उक्त वर्णित समस्त खसरा नम्बरान वर्ष 1359 फसली में मौके पर खाली पडे़ थे, जिनमें कोई फसल किसी के द्वारा नहीं बोई गयी थी। अस्तु लाला रघुराज स्वरूप द्वारा भी फसल नहीं बोई गयी थी। अर्थात लाला रघुराज स्वरूप का उक्त गाटा नम्बरान पर कोई कब्जा नहीं था। खतौनी वर्ष 1362 फ0 महाल रूस्तम अली खां खेवट नं0-4/1 का परीक्षण करने पर पाया गया कि श्रेणी 10अ-काबिजान भूमि बिला आज्ञा उस पुरूष के जबकि खसरा के स्तम्भ 5 में किसी का भी नाम दर्ज नहीं है, काबिज है, के अधीन खाता सं0-36 के खसरा नम्बरान-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 383/0-7-0, 384/2-9-0 एवं 386मि/0-1-0 कुल 11 किता रकबा 8-14-0 बीघा पुख्ता पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र लछमन स्वरूप निवासी-मुज़फ्फरनगर का नाम दर्ज है। लाला रघुराज स्वरूप का नाम खतौनी भाग दोयम की श्रेणी 19-काश्तकार शिकमी से खतौनी भाग अव्वल की श्रेणी 10अ-में किस आदेश से अंकित किया गया तथा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो पाया है। यदि खतौनी 1359फ0 व खतौनी 1362 फ0 का तुलनात्मक परीक्षण किया जाये, तो यह तथ्य ज्ञात होता है कि वर्ष 1359 फ0 में खसरा नम्बरान 365, 366, 371, 372, 373, 377, 379, 382, 383 व 384 के कब्जे की अवधि 3 वर्ष लिखी गयी है। (जहाँ अवधि 2 वर्ष को ओवर राईटिंग करके 3 वर्ष बनाया गया है) परन्तु वर्ष 1362 फ0 की खतौनी में उक्त समस्त खसरा नम्बरान पर कब्जे की अवधि 2 वर्ष दर्शायी गयी है, जबकि यह अवधि 6 वर्ष होना चाहिए थी। इससे यह परिलक्षित होता है कि वर्ष 1359 फ0 में लाला रघुराज स्वरूप का उक्त भूमि पर कब्जा ही नही था, जैसा की खसरा गश्ती वर्ष 1359 फ0 में किसी फसल की प्रविष्टि के न होना से सिद्ध होता है। महाल रूस्तम अली खां के खेवट नं0-4/1 की खतौनी वर्ष 1363 फ0 के खाता सं0-2/22 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि खसरा नं0-365/1-18-0, 366/1-7-0, 371/0-10-0, 372/0़-9-0, 373/0-3-0, 377/0-18-0, 379/0-5-0, 382/0-7-0, 384/2-9-0, 203/0-8-0 एवं 204/0-7-0 हे॰ पर लाला रघुराज स्वरूप पुत्र सेठ लछमन स्वरूप जाति वैश्य अग्रवाल निवासी-मुज़फ्फरनगर का नाम श्रेणी 19 शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है। उक्त खाता नं0-2/22 पर उक्त वर्णित वर्णित भूमि को श्रेणी 10-अ के अन्तर्गत दर्ज किये जाने के सम्बन्ध में कोई आदेश खतौनी में अंकित होना नहीं पाया जा रहा है।
इस प्रकार पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यो से स्पष्ट है कि प्रतिवादीगण के द्वारा राजस्व अभिलेखो में कूट रचना करके उक्त प्रविष्टियो का इन्द्राज कराया गया है। राजस्व अभिलेखो में कूट रचना अथवा कपट का सहारा लेकर कोई फर्जी प्रविष्टि करवा लेता है या छलसाधित प्रविष्टियो के अधार पर अमलदरामद कराकर अभिलेखो में अपना नाम दर्ज करवा लेता है तो मामला प्रकाश में आने पर ऐसी प्रविष्टियो को निरस्त किया जाना आवश्यक है। यहा यह भी उल्लेखनीय है कि अभिलेखो में करायी गयी कूट रचित प्रविष्टियो के मामले में ऐसी प्रविष्टि के आधार पर दावा करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिया जाना उचित नही है। सुनवाई का अवसर निहित सिविल अधिकार की प्रतिरक्षा के लिये होता है न कि अभिलेखो में कूट रचना तथा कपट की प्रतिरक्षा के लिये होता है किन्तु इस प्रकरण मे प्रतिवादीगणो को फिर भी नोटिस भेजकर जवाब व साक्ष्य हेतु प्र्याप्त अवसर दिया गया है लेकिन उनके द्वारा बार-बार तारीख ली गई लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब व साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया है। इसलिए प्रश्नगत भूमि से वर्तमान प्रविष्टिया हटाकर भूमि को राज्य सरकार में निहित किया जाना उचित होगा, इसलिए तहसीलदार सदर की आख्या दिनांक 21-3-2020 स्वीकार किये जाने योग्य है तथा उक्त कूट रचित प्रविष्टि को राजस्व अभिलेखो में निरस्त किया जाना न्यायोचित है।
आदेश,
अतः तहसीलदार सदर की आख्या दिनंाक 21-3-2020 स्वीकार की जाती है। ग्राम-यूसुफपुर बाहर हदूद के खाता सं0-3 के खसरा नं0-37/0.1130, 39/0.0820, 43/0.0820, 44/0.0920 एवं 45/0.0920 हे॰, ग्राम-यूसुफपुर अन्दर हदूद के खाता सं0-7 के खसरा नं0-182/1/0.2460, 202/1/0.0610, 361/1/0.1380, 363/0.1440, 364/0.0720, 370/0.2360, 374/0.1230, 375/0.0820, 376/0.1430, 378/0.0610 हे॰, ग्राम-यूसुफपुर नाॅन जैड0ए0 के खाता सं0-5 के खसरा नं0-365/0.3890 एवं 366/0.2770 हे॰, खाता सं0-7 के खसरा नं0-371/0.1020, 372/0.0920, 373/0.0310, 377/0.1840, 379/0.0510, 382/0.0720, 383/0.0720 व 384/0.5020 हे॰ तथा खाता सं0-12 के खसरा नं0-203/1/0.0820 व 204/0.0720 हे॰ से वर्तमान प्रविष्टि को धारा-38 (5) उ0प्र0 राजस्व संहिता, 2006 के अन्तर्गत निरस्त कर भूमि को राज्य सरकार में दर्ज किया जाता है। आदेश की एक प्रति तहसीलदार सदर को अनुपालन हेतु भेजी जाये। तहसीलदार सदर की आख्या आदेश का अंग रहेगी। पत्रावली बाद पूर्ति दाखिल दफ्तर की जाये।
दिनांक 31-12-2020 (दीपक कुमार)
उपजिलाधिकारी-सदर,
मुजफ्फरनगर।
Disclaimer :
उपरोक्त सूचना मात्र सूचनार्थ है तथा राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली (RCCMS) में उपलब्ध अद्यतन सूचना पर आधारित है , इस सूचना की कोई विधिक मान्यता नहीं होगी। वास्तविक सूचना की पुष्टि सम्बंधित न्यायलय / न्यायालयों की पत्रावली / पत्रावलियों से की जा सकती है।”