★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{मोदी सरकार दुबारा मुल्क़ की हुकूमत की वापसी देख बोर्ड के इस खत ने देश मे छेड़ दी है बहस }
[बोर्ड के महासचिव वली रहमानी ने 23 को चुनावी रिजल्ट आया 24 को जारी कर दिया ख़त]
(हमारे बड़े बुजुर्गों ने बहुत सोच समझकर इस मुल्क़ में रहने का फ़ैसला किया था,इससे भी सख़्त हालात का सामना मुसलमानों ने किया है लिखे है खत में वली रहमानी ने)
[पाकिस्तान से युद्ध के बाद बांग्लादेश बनवाने के बाद इंदिरा गाँधी के शह पर बना था देश मे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड]
(जिस बातों से जनता ने चिढ़कर कथित सेक्युलर दलों को पहुँचाती जा रही रसातल में तो उसी डर की राजनीति अब कर रहा बोर्ड)
♂÷मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों के नाम एक खत लिखा है, जिसके मजमून को लेकर विवाद हो रहा है।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने खत की हैडलाइन दी है, ‘मुसलमान अपने अंदर हिम्मत, यक़ीन और हौंसला पैदा करें’।
खत में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव की तरफ से कहा गया कि इसमें कोई शक नहीं कि चुनावी नतीजें सामने है, जो होना था, हो चुका और कोई शक की बात नहीं कि आने वाले दिनों में हालात तनावपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन अहले ईमान की ये जिम्मेदारी है कि मुश्किल से मुश्किल वक़्त में भी वो सब्र की राह पर चलें और मायूसी या ना उम्मीदी का शिकार ना हो।
वली रहमानी आगे लिखते हैं कि हमारे बड़े बुजुर्गों ने बहुत सोच समझकर इस मुल्क में रहने का फैसला किया था और हम इस फैसले पर कायम है, ये बात भी मुसलमानों के जहन में रहनी चाहिए कि पहले भी मुसलमानों के सामने इससे भी ज्यादा सख़्त हालात आ चुके हैं और ऐसा भी दौर गुजरा है, जब चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था, लेकिन फिर अल्लाह ने अंधेरे के दरमियान उजाले की किरन जाहिर फरमाई।
चुनाव के बाद भी किया था ट्वीट
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जिसमें कहा गया कि चुनाव राजनीतिक पार्टियों के बीच हुआ और राजनीतिक पार्टियां ही जीती और हारी,किसी भी समुदाय को डरने की जरूरत नहीं है जनता ने जो फैसला सुनाया है, उसका सम्मान करना चाहिए,हम उम्मीद करते है कि देश में शांति और सम्प्रदायिक सौहार्द बना रहेगा और देश तरक्की करेगा।
अब उठ रहें हैं ये सवाल कि बोर्ड मुसलमानों को क्यों डरा रहा है,जबकि गत सोलहवीं लोकसभा के मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पूरे देश मे कही भी हिन्दू मुस्लिमो में कभी भी साम्प्रदायिक दंगे नही हुए न ही मोदी ने कभी महज़ हिन्दुओ की बात की उन्होंने जब भी कहा सबका साथ लेकर सबका विकास करना है और ये सरकार सवा सौ करोड़ लोगों की ताक़त से चल रही है,जबकि गैर मोदी सरकार वाले सेक्युलर पार्टियों के कार्यकाल में अनगिनत दंगो में अब लाखो नागरिकों को जान से हाथ धोना पड़ा था तो देश मे सांप्रदायिक तनाव छाए रहते थे।मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड क्या किसी राजनीतिक दल के हाथों की कठपुतली बन उसके राजनैतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मुसलमानों को हर हाल में बीजेपी-मोदी नाम की दहशत दिलोदिमाग में ताजा रख कथित सेक्युलर दलों के एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी है या फ़िर मुसलमानों को हक़ीक़त से दूर रखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम मतों की ठेकेदार साबित कर उन राजनीतिक दलों में अपनी जरूरत बनाये रखना चाहती है जिसने 70 के दशक में पाकिस्तान से युद्ध कर बांग्लादेश बनाये जाने के बाद देश के मुस्लिमों को खुश करने की कोशिश में तत्कालीन आयरन लेडी इंदिरा गाँधी के पीछे से भरपूर सहयोग से देश मे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पैदा किया गया।आखिर क्यों नतीजे आने के बाद उसे ये लेटर लिखने की जरूरत पड़ी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को क्यों लगता है कि आने वाले वक्त में हालात तनावपूर्ण हो सकते है ? क्या बोर्ड ये नही जानता कि अब हिंदुस्तान के हिन्दू-मुस्लिम अमनपसंद बनते जा रहे है उनको अब दुनियां के साथ आगे जाना है,इन तमाम बातों से आपसी भाईचारा ख़राब करने जे पीछे कहीं न कहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी प्रासंगिकता मुसलमानों व कुछेक अपने राजनैतिक आकाओ में खोने के डर को ही दिखा रही है। कहना समाचीन होगा कि अब इस तरह के डर पैदा कर हिन्दू मुस्लिम के बीच दरारे-खाई की जगह अमन-एकता की दिशा में बोर्ड अगर बात करे काम करे तो निश्चित रूप अपने काम को तरक्की की राह पे ले जाकर आर्थिक-सामाजिक रूप से ताकतवर बना सकता है।
कुल मिलाकर बोर्ड के इस ख़त ने देश मे बहस छेड़ दी है कि क्यों चुनावी परिणाम आते ही दुबारा मोदी सरकार बनते देख बोर्ड ने ये क्यो किया।