★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{पूर्व वित्तमंत्री जेटली ने अंतिम समय में कई लोगों को किया याद ट्विटर पर ट्वीट कर,अंतिम ट्वीट पर महान संत तुलसीदास जी को किया नमन}
[9 अगस्त को साँस लेने में तकलीफ होने की वजह से भर्ती कराया गया था एम्स में,देखने पहुँचे थे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत महत्वपूर्ण शख्सियते]
(पिछले दिनों अपनी मन्त्रीमंडलीय सहयोगी सुषमा स्वराज व कांग्रेसी दिग्गज रहे जयपाल रेड्डी को ट्वीट कर दी थी श्रधांजलि)
[अधिवक्ता से हरदिल अजीज दिग्गज राजनेता बने जेटली ने बीजेपी को शिखर पर पहुँचाने में पर्दे के पीछे से निभायी है महत्वपूर्ण भूमिका]

♂÷बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली अब इस दुनिया में नहीं रहे। दिल्ली के अखिल भारतीय अयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया। बीते 9 अगस्त को अरुण जेटली को सांस लेने में तकलीफ के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था,66 साल के अरुण जेटली को देश कई गुणों के लिए याद करेगा।जेटली ने आखिरी बार 6 अगस्त को श्री रामचरितमानस के रचयिता और महान संत तुलसीदास की जयंती पर उनको नमन किया था।5 से 6 अगस्त के बीच अरुण जेटली अपने ब्लॉग arunjaitley.com और फेसबुक पेज पर लगातार सक्रिय रहे।
अरुण जेटली कानून के जानकार तो थे ही साथ में एक हाजिर जवाबी राजनेता भी थे,मीडियाकर्मियों के कठिन से कठिन सवाल पर भी वह बड़े ही बेबाकी से जवाब दे कर निकल जाते थे। बीजेपी को गंभीर से गंभीर संकट से बाहर निकालने में उनको महारथ हासिल थी। बीजेपी के लिए वह एक संकटमोचक के तौर पर लंबे समय तक याद किए जाएंगे।
अरुण जेटली बीते दो दशकों से भी ज्यादा समय से देश की नीति निर्धारण और महत्वपर्ण विषयों पर अपनी राय ऱखते आ रहे थे।
सत्ता में रहें तो भी और जब सत्ता में नहीं थे तब भी अरुण जेटली की कही बातों पर देश में बहस शुरू हो जाती थी।कानून के जानकार तो थे ही साथ ही वह एक सुलझे राजनेता भी थे। किस विषय पर कब बोलना है और किस तरह बोलना है वह अरुण जेटली से ही कोई सीख सकता है।
पिछले कुछ महीनों से बीमार होने के बावजूद सोशल साइट्स पर काफी सक्रिय रहते थे।बीते कुछ महीनों से मीडिया के सामने तो नहीं आते थे लेकिन, सोशल साइट्स के जरिए अपनी बात मीडिया तक पहुंचाते रहे थे बीते 7 अगस्त अरुण जेटली आखिरी तौर पर सोशल साइट्स पर सक्रिय नजर आए थे।बीते 9 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ के कारण उनको एम्स में भर्ती कराया गया था,उसके बाद से ही जेटली एम्स में भर्ती थे।इस बीच उनके स्वास्थय को लेकर काफी उतार-चढ़ाव आते रहे।देशभर के तमाम नेता उनको एम्स देखने पहुंचते रहे आखिरकार 24 अगस्त को वह लंबी लड़ाई हार गए।
जेटली ने आखिरी बार 6 अगस्त को श्री रामचरितमानस के रचयिता और महान संत तुलसीदास की जयंती पर उनको नमन किया था।5 से 6 अगस्त के बीच अरुण जेटली अपने ब्लॉग arunjaitley.com और फेसबुक पेज पर लगातार सक्रिय रहे। सुषमा स्वराज के निधन पर भी अरुण जेटली ने सोशल साइट्स के जरिए ही अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की थी।
बीते 6 अगस्त को 3 बज कर 14 मिनट पर भी जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर संसद के सफल सत्र पर लंबा ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को विशेषतौर पर धन्यवाद किया था।अरुण जेटली ने तीन तलाक से लेकर जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार के फैसले की तारीफ की थी।
अरुण जेटली ने अपने अंतिम फेसबुक ब्लॉग में लिखा, ‘संसद का वर्तमान सत्र सबसे अधिक लाभदायक रहा है इस सत्र में ऐतिहासिक विधान पारित किए गए हैं।ट्रिपल तालाक कानून, भारत के आतंकवाद विरोधी कानूनों को मजबूत करना और अनुच्छेद 370 पर निर्णय सभी अभूतपूर्व हैं।लोकप्रिय धारणा है कि अनुच्छेद 370 पर बीजेपी ने जो वादा किया था, उसकी उपलब्धि अविश्वसनीय है। सरकार की नई कश्मीर नीति के समर्थन में जनता का मूड इतना मजबूत है कि कई विपक्षी दलों ने जनता की राय के आगे घुटने टेक दिए।राज्यसभा के लिए दो-तिहाई बहुमत से इस फैसले को मंजूरी देना किसी की भी कल्पना से परे है, मैं इस निर्णय के प्रभाव का विश्लेषण करता हूं, जम्मू-कश्मीर मुद्दे को हल करने में विफल प्रयासों का इतिहास।
जेटली कानून के जानकार तो थे ही साथ ही वह एक सुलझे राजनेता भी थे
अरुण जेटली बीते 6 अगस्त को शाम 4 बजे के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट किए. जेटली के सभी ट्वीट्स जम्मू-कश्मीर पर सरकार के फैसले को लेकर किए गए कुछ ट्वीट्स में तो जेटली कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया था।वहीं कुछ ट्वीट्स में उन्होंने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की थी।
अरुण जेटली खुद एक राजनेता और वकील तो थे ही साथ ही उनका धर्म-कर्म में भी बहुत आस्था रहता था।वह राष्ट्रप्रेम और क्रांतिकारी वीरों को भी सम्मान देने में नहीं हिचकिचाते थे।समय-समय पर अपने ट्वीट के जरिए जेटली लोगों को धार्मिक पर्व-त्योहारों पर भी बधाई देने से नहीं भूलते थे, बीते कारगिल विजय दिवस हो या फिर बाल गंगाधर तिलक या फिर चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर जेटली ने बीमारी की हालत में भी याद किया। पिछले दिनों सुषमा स्वराज और कांग्रेस के कद्दावर नेता जयपाल रेड्डी के निधन पर भी जेटली ने सोशल साइट्स के जरिए ही शोक व्यक्त किया था।
अरुण जेटली पर्दे के पीछे से बीजेपी को सत्ता के शिखर पर पहुँचाने वाले लोंगो में से एक महत्वपूर्ण किरदार रहे हैं, उनकी तथ्यात्मक तर्को व जनता के मूड को समझने के काबिलियत से भाजपा के दिग्गजों के बीच उनकी गहरी साख रही है।