★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हवाई दौरा कर जायजा लेने के पश्चात कहा कि बाढ़ आने का कारण तत्काल पता नही चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हिमखण्ड टूटने से नदी में बाढ़ आ गयी है}
[बाढ़ आने के वक्त 13.2 मेगावॉट की ऋषिगंगा प्रोजेक्ट व एनटीपीसी की 480 मेगावॉट तपोवन विष्णुघाट प्रोजेक्ट में करीब 176 मजदूर कर रहे थे काम,दो पुलिस कर्मी भी हैं लापता]
(प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री रावत से दिन में ही फोन पर बात कर हरसम्भव मदद देने की बात कही)
♂÷ उत्तराखंड के चमोली ज़िले में आज सुबह लगभग 11 बजे के क़रीब नन्दा नदी में हिमखण्ड टूटने से आयी सैलाब में 150 लोगों के लापता होने की चर्चा है तो 10 की मौत और 16 लोगों को राहत बचाव कार्य दल ने बचा लिया है।वहीं बन रहे हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।अधिकारियों द्वारा जहाँ नुकसान का आंकलन किया जा रहा है तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी हेलिकॉप्टर के जरिये मौका मुआयना कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बात कर हरसम्भव मदद दिए जाने का भरोसा दिलाया है।
हालात का जायज़ा लेने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मृतकों के परिवार वालों के लिए 4-4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा कर दी गयी है, अभी भी 125 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए बचाव टीमें कार्य कर रही हैं।
फिलहाल 16 लोगों को बचाया जा चुका है, जबकि 10 की मौत हो चुकी है
उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से दो हाइड्रोलिक पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे 150 से ज्यादा मजदूर लापता हो गए। प्रभावित इलाकों का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि अभी तक आपदा में 10 व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं।
सीएम ने कहा कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, NDRF, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और पुलिस के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं और तपोवन में स्थित जिन दो सुरंगों में मजदूर फंसे हुए हैं वहां मुस्तैदी से बचाव कार्य चल रहा है। करीब 1 घंटे पहले तक ITBP के जवान रस्सी से सुरंग के अंदर करीब 150 मीटर तक पहुंच पाए थे। ये सुरंग करीब 250 मीटर लंबी है, अभी तक 16 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
सीएम त्रिवेंद्र ने आगे कहा कि जिन लोगों की हादसे में मौत हो गई है उन सभी के परिवार वालों को राज्य सरकार की तरफ से 4-4 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। हांलांकि, बाढ़ आने का कारण तत्काल पता नहीं चल पाया है,लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हिमखंड टूटने से नदी में बाढ़ आ गई है।
बाढ़ आने के समय 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा प्रोजेक्ट और NTPC की 480 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड प्रोजेक्ट में करीब 176 मजदूर काम कर रहे थे जिसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं की।इनके अलावा, ऋषिगंगा परियोजना में ड्यूटी कर रहे दो पुलिसकर्मी भी लापता हैं। बाढ़ से दोनों हाई हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है। दोनों परियोजनाओं के शीर्ष अधिकारी नुकसान का आंकलन करने में जुट गए हैं।
बाढ़ आने के बाद समूचे गढ़वाल क्षेत्र में स्थित अलकनंदा और गंगा नदियों के आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। लेकिन शाम होते—होते बाढग्रस्त ऋषिगंगा नदी के पानी में भारी कमी आई जिससे अलर्ट वाली स्थिति समाप्त हो गई।प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि अब खतरे की स्थिति नहीं है और अलकनंदा नदी में जलस्तर सामान्य है।
गौरतलब है कि नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी ने विकराल रूप घारण कर लिया था जिससे गढ़वाल क्षेत्र के कई हिस्सों में दहशत का माहौल पैदा गया था। चश्मदीदों के अनुसार, सुबह अचानक जोर-जोर की आवाजों के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा।पानी तूफान की शक्ल में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहा कर ले गया। रैंणी में एक मोटर मार्ग तथा चार झूला पुल बाढ़ की चपेट में आकर बह गए है। 7 गांवों का संपर्क टूट गया है, जहां राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य सेना के हैलीकॉप्टरों के जरिए किया जा रहा है।
