★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{RBI के खजाने से मिले 1.76 लाख करोड़ को मोदी सरकार विभिन्न मदों में करेगी ख़र्च जिससे मंदी से निपटने में सफ़ल हो इकोनॉमी}
[10 हज़ार करोड़ NHB को देगी केन्द्र सरकार जिससे होमलोन सेक्टर में नकदी प्रवाह बेहतर हो सके]
(रिजर्व बैंक से मिले सरप्लस रिजर्व से सरकार को वित्तीय घाटा कम करने में मिलेगी मदद, जून तिमाही में पहुँच चुका है वित्तीय घाटा 4.32 लाख करोड़)

♂÷केंद्र सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से 1.76 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।RBI बोर्ड ने सोमवार को पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश को मंजूरी देते हुए सरकार को सरप्लस कैश रिजर्व को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी,इस मंजूरी के बाद केंद्र सरकार को RBI से 1,76,051 करोड़ रुपये मिलेंगे और सरकार विभिन्न मदों में ख़र्च कर मंदी से निपटेगी।
सरकारी बैंकों में डालेगी 70 हजार करोड़ रुपये-RBI द्वारा सरप्लस ट्रांसफर का इस्तेमाल केंद्र सरकार सार्वजनिक कर्ज चुकाने और बैंकों में पूंजी डालने के लिए करेगी।केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में 5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है।
इकोनॉमी बूस्ट करने में खर्च होगी रकम-एस्कॉर्ट सिक्योरिटी रिसर्च हेड आसिफ इकबाल का कहना है कि इस पैसे का इस्तेमाल सरकार इकोनॉमी को बूस्ट करने में करेगी।एनबीएफसी सेक्टर इस समय मुश्किलों से जूझ रहा है। इस सेक्टर को उबारने के लिए सरकार एनबीएफसी को राहत पैकेज दे सकती है इसके अलावा सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करेगी, जिससे आम जनता को फायदा पहुंचे।
NHB को 10 हजार करोड़ रुपये देगी सरकार-एनएचबी सस्ते आवासों के लिए व्यक्तिगत आवास ऋण उपलब्धता बढ़ाने के वास्ते 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता उपलब्ध कराएगा,यह सुविधा आवास वित्त क्षेत्र के नियामक राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मौजूदा वित्तीय योजनाओं से अलग है। इससे होम लोन सेक्टर में नकदी प्रवाह बेहतर होगी।
राहत पैकेज पर खर्च कर सकती है सरकार-मंदी से निपटने के लिए मोदी सरकार उन सेक्टर्स को राहत पैकेज दे सकती है जो वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है। राहत पैकेज मिलने से नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे।
वित्तीय घाटा कम करने में मिलेगी मदद-आरबीआई से सरप्लस रिजर्व मिलने से सरकार को वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी। सरकार का जून तिमाही में वित्तीय घाटा 4.32 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह 2019-20 वित्त वर्ष के लिए बजट अनुमान का 61.4 फीसदी है। वित्तीय या राजकोषीय घाटा रेवेन्यू और खर्च के बीच का अंतर होता है,एक साल पहले वित्तीय घाटा 2018-19 बजट अनुमान का 68.7 फीसदी रहा था। सरकार का अनुमान है कि 2019-20 में वित्तीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये रहेगा।सरकार का लक्ष्य मौजूदा वित्त वर्ष में वित्तीय घाटे को जीडीपी का 3.4 फीसदी रखना है,यही लक्ष्य पिछले वित्त वर्ष के लिए भी था।