★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{मोदी-शाह की बीजेपी को इस बार यूपी में 71+के पुराने नम्बर ही ला पाने में बुआ-बबुआ बन सकते है सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी}
[प्रियंका गाँधी ने हम वोटकटवा कहकर पहले ही काँग्रेस के चुनावी हथियार रखवा बना दिया रणछोड़]
(गत 2014 लोस चुनाव में बहुकोणीय लड़ाई में क्लीन स्वीप करने वाली मोदी-शाह की बीजेपी को इस बार सपा-बसपा छुड़ा रही पसीने)
♂÷7 राज्यो में छठे चरण के क्रम में 59 लोकसभा सीटों पर आज भारत के भाग्य निर्माता माने जाने वाले करोड़ों मतदाता ये तय कर देते अपने वोट से केI किन प्रत्याशियों को देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजना है अपना प्रतिनिधित्व देकर या फ़िर घर भेज देना है।
राजनैतिक ताक़त में सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में 2014 के मुक़ाबिल इस बार के आमचुनाव में मोदी-शाह वाली बीजेपी को इस तपती मई माह में विरोधियों खासकर बुआ-बबुआ की जोड़ी अर्थात बसपा-सपा गठबन्धन चुनावी युद्धभूमि में जमकर टक्कर दे पसीने छुड़ा रही है।
तो वही भारत की 125 साल से भी ज्यादे पुरानी पार्टी की महासचिव व काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की बहन प्रियंका वाड्रा गाँधी ने ये कह कर कॉंग्रेस व कॉंग्रेसियो को वेंटिलेटर पर डाल मरणासन्न कर दिया कि हम बीजेपी को हराने के लिए वोट कटवा का काम करेगें।

काँग्रेस पार्टी ने यू तो आज़ादी के बाद से सर्वाधिक वक़्त तक दिल्ली की सल्तनत पर नेहरु व गाँधी परिवार से आये लोंगो के ही बादशाहत में निर्द्वन्द राजपाट चलाया व ऐसे कई दौर भी देखें इस पार्टी ने जब वह मतदाताओं द्वारा कुर्सी से धकियाये भी गए किन्तु काँग्रेस निराश नही हुई वह लड़ती रही,अड़ती रही व फ़िर दिल्ली की कुर्सी पर अपवाद छोड़ गाँधी परिवार ने पीएम पैदा कर देश को देती रही।
देश के राजनैतिक पटल पर 2014 में आधी की तरह मोदी गुजरात से उठे और काँग्रेस के 10 साल के दौरान अनवरत से राजपाट में हुए लाखो करोड़ के घोटाले,मुम्बई अटैक व अनगिनत देश मे होते आतंकी हमलों से ऊबे -डरे देशवासियों के मनोमस्तिष्क पर छाते चले गए।
अगर काँग्रेस ने अहंकारी सत्तामद में चूर हो मनमोहन सरकार को गाँधी परिवार की चेरी बना यूपीए चेयरपर्सन सोनिया-राहुल गाँधी को Super PM न बनाती व देश की सुरक्षा को वोटबैंक के लिए परे न रखती और भ्रष्टाचार की झड़ी न यानी देश के ख़जाने पर डकैती जैसे घोटाले न होने देती तो मोदी आज भी गुजरात के ही पीएम होते और तब काँग्रेस का ये कहना देशवासियों को रास आ जाता कि “मोदी को गुजरात के बाहर कौन जानता है”।
मोदी शाह व उनकी बीजेपी जो आज अजेय से बनते जा रहे है व मोदी राजनेता से भीमकाय ब्राण्ड वाले जननेता हो गए तो इसके लिए सोनिया-राहुल-प्रियंका के साथ कॉंग्रेसियो की अहंकारी भाषा व चुनावी रणनीति सर्वाधिक जिम्मेदार है कि आज देश मे बच्चा-बच्चा भी मोदी-मोदी चिल्ला रहा है।
काँग्रेस व गाँधी परिवार इस भरम से जितने जल्दी अब निकल हकीकत स्वीकार कर ले कि अब गाँधी परिवार पीएम पैदा करने की फैक्ट्री नही रह गयी है,देश ने अब पीएम चुनना सीख लिए है।
यही वजह है कि जिस प्रियंका में काँग्रेस अपने को फिर से अजेय योद्धा मानने के मुगालते में राजनीतिक दुर्गा की अवतार व इंदिरा गाँधी की नाक की तरह ही प्रियंका की नाक मिलने से ही इतराई घूम रही थी कि इस नाक के बूते ही हम फ़िर से दिल्ली की कुर्सी पर काबिज़ हो जाएंगे वालों कॉंग्रेसियो को सर्वाधिक झटका व मनोबल राहुल गंधI की अपेक्षा प्रियंका ने तोड़ा है कि हम वोट काटने आये है कहकर।
उत्तर प्रदेश व बिहार में काँग्रेस अपने राजनैतिक वजूद को खो अस्तित्व मिटाने की तऱफ निकलती सी दिख रही है,जिन पार्टियों के अध्यक्षों से कभी सोनिया-राहुल-प्रियंका मिलने से इनकार करते रहे थे आज उनसे अपनी बपौती वाली रायबरेली व अमेठी सीट पर सोनिया-राहुल ख़ुद को जिताने के लिए चिरौरी कर रहे है।

दूसरी तऱफ लोकसभा में कोई भी सदस्य न भेज पाने वाली बसपा प्रमुख माया मैडम ने जमीनी हकीकत को समझा तो अखिलेश ने भी मोदी नाम की आंधी से महफ़ूज रखने व बचाने के लिए बुआ के पैर पकड़ने में देर न लगायी।
आज यूपी में मोदी-शाह की बीजेपी को वर्ष 2014 कि तरह 73 सीट जिनमे दो सहयोगी अपना दल भी शामिल है कि तरह क्लीन स्वीप करने से रोकने के लिए दमदारी से चुनावी मैदान में आ डटी है।
सपा बसपा गठबन्धन में शामिल न होकर काँग्रेस ने जहाँ अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर यूपी के राजनीतिक पर्दे से अंतर्ध्यान कर चुकी है तो एक बार फिर सपा-बसपा व बीजेपी की सीधी लड़ाई देख कभी काँग्रेस के बंधुआ से रहे अल्पसंख्यक मतदाता आज बुआ बबुआ के पीछे मज़बूती से खड़े होते नजऱ आ रहे है।
राजनैतिक इतिहास में दर्ज हसि तारीख़े की जब-जब बहुकोणीय लड़ाई रही तो बीजेपी के विरोधी मतदाता ख़ासकर अल्पसंख्यक वर्ग भरम में पड़ काँग्रेस-सपा-बसपा में बंट जाते थे जिसके चलते बीजेपी ने 2014 के चुनाव में मोदी को आंधी बना यूपी से 73 सीटे लोकसभा में अपने नाम कर ली।
आज काँग्रेस ने चुनाव पूर्व ही प्रियंका के अनुसार वोटकटवा बन मैदान से भग चुकी तो अब बीजेपी व सपा-बसपा गठबंधन की सीधी लड़ाई हो जाने से मोदी-शाह की बीजेपी को पुराने नम्बर ही ला पाना दुष्कर हो चुका है।
फ़िलहाल 23 मई को चुनावी परीक्षा में भाग ले रहे पार्टियों व प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हो जाएगा कि किनको दिल्ली व किसको दिल्ली दूर है समझायेगे भारत की सरकारों के भाग्य विधाता मतदाता।
उधर यूपी में 11 बजे तक की वोटिंग परसेंटेज इस प्रकार से रही।
यूपी में 11 बजे तक 21.98% वोटिंग,
सुल्तानपुर में 11 बजे तक 25.11% वोटिंग,
प्रतापगढ़ में 11 बजे तक 23.13% वोटिंग,
फूलपुर में 11 बजे तक 18.20% वोटिंग,
इलाहाबाद में 11 बजे तक 20% वोटिंग,
अम्बेडकरनगर में 11 बजे तक 25% वोटिंग,
श्रावस्ती में 11 बजे तक 21.34% वोटिंग,
डुमरियागंज में 11 बजे तक 19.20% वोटिंग,
बस्ती में 11 बजे तक 26.39% वोटिंग,
संतकबीरनगर में 11 बजे तक 22.90% वोटिंग,
लालगंज में 11 बजे तक 23.66% वोटिंग,
आजमगढ़ में 11 बजे तक 19.80% वोटिंग,
जौनपुर में 11 बजे तक 22.40% वोटिंग,
मछलीशहर में 11 बजे तक 18.40% वोटिंग,
भदोही में 11 बजे तक 21.90% वोटिंग।