★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
[13300 वर्ग किलोमीटर में फैला है POK बेशुमार जुल्म ढाता है पाकिस्तान यहाँ के नागरिकों पर,बोली जाती है पश्तो, ऊर्दू, कश्मीरी व पंजाबी]
{पाकिस्तान से आज़ादी के लिए आवाज़ उठाते रहते हैं पीओके के लोग जिस पर दमनचक्र चलाती है पाक सेना}

♂÷गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव का कांग्रेस ने विरोध किया है। हालांकि, कई विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया।
भारत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छदे 370 का अंत कर दिया है।
इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित राज्य का दर्जा देने की सिफारिश की जिसपर राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर दिए है।
अब दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह जम्मू और कश्मीर दोनों की अपनी विधानसभाएं होंगी जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास होगी। अनुच्छेद 370 समाप्त हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान पूरी तरह से लागू होगा।
शाह ने कहा-1954 में शामिल हुआ अनुच्छेद 370
कश्मीर और अनुच्छेद 370 का मसला काफी पुराना है। भारत की आजादी के समय कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत के साथ अपने राज्य का विलय करने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं जिसके बार कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ कश्मीर के विलय के दस्तावेजों पर 27 अक्टूबर 1947 को हस्ताक्षर किए और 1954 में अनुच्छेद संविधान में शामिल हुआ। शाह ने कहा कि यह कहना कि अनुच्छेद 370 भारत और कश्मीर के जुड़ाव का आधार है, गलत है।
दरअसल, 1947 में आजादी के समय अंग्रेजों ने यहां की रियासतों को अपनी इच्छानुसार भारत अथवा पाकिस्तान के साथ जाने का विकल्प दिया था। इस विकल्प के बाद उस समय 500 से ज्यादा रियासतों ने भारत में अपना विलय कर दिया। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने विलय के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को चुना। यह बात पाकिस्तान को बुरी लगी और उसने कश्मीर को अपने कब्जे में करने के लिए वहां हमला बोल दिया। पाकिस्तानी फौज से सुरक्षा के लिए महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य मदद मांगी। इसके बाद भारतीय फौज कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी पश्तून लड़ाकों को वहां से मार भगाया। पाकिस्तान की हार के बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में यह प्रावधान था कि कश्मीर के रक्षा, विदेश और संचार मामले भारत के अधीन रहेंगे जबकि अन्य विषयों पर जम्मू-कश्मीर राज्य अपना अधिकार रखेगा।
13,300 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है पीओके
साल 1947 में ही पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने इस हिस्से को दो भागों आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में विभाजित किया। आजाद कश्मीर 13,300 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है और इसकी आबादी करीब 45 लाख है। पाकिस्तान अपने कब्जे वाले हिस्से को ‘आजाद कश्मीर’ कहता है लेकिन असलियत यह है कि यहां उसका ही नियंत्रण है। पीओके की सीमाएं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, अफगानिस्तान के वखान कॉरीडोर,चीन के शिनजियांग क्षेत्र और भारतीय कश्मीर के पूर्वी क्षेत्र से मिलती हैं। आजाद कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद है और इसमें आठ जिले और 19 तहसीलें हैं। पाकिस्तान ने गिलगित बाल्टिस्तान का एक हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया है।
पीओके के लोग मुख्य रूप से मक्का और गेहूं की खेती करते हैं। यहां मुख्य रूप से पश्तो, उर्दू, कश्मीरी और पंजाबी बोली जाती है। इस क्षेत्र में स्कूलों एवं कॉलेजों की कमी है लेकिन यहां की साक्षरता दर 72 प्रतिशत है। पीओके का अपना सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट है। पीओके के लोग पाकिस्तानी सेना की ज्यादती का शिकार हैं और समय-समय पर वे पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आजादी के लिए आंदोलन करते आए हैं लेकिन पाक सेना उनकी आवाज दबाती रही है। पाकिस्तानी सेना की ज्यादती के कई वीडियो सामने आए हैं।