★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{3 अप्रैल को बीजापुर में नक्सलियों के हमले में 22 जवान शहीद तो 31 हुए थे घायल और CRPF के कमाण्डो राकेश्वर सिंह को बनाया गया था बंधक}
[बुधवार को बंधक कमाण्डो का फ़ोटो जारी कर नक्सली चाहते थे सरकार से सशर्त रिहाई,सोशल एक्टिविस्ट व कुछ पत्रकारों को भी नक्सली कमाण्डर जवान की रिहाई से कर दिया था मना]
(परिजनों ने पीएम मोदी से लगाई थी जवान की रिहाई की गुहार,तो गृहमंत्री ने की थी दिल्ली में हाइलेबल मीटिंग हमले के बाद)
♂÷बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षा जवानों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए कोबरा के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को आखिर रिहा कर दिया गया।
पत्नी ने पति की रिहाई पर सरकार का आभार जताया है, बंधक बनाए जाने के बाद से ही जवान के परिजन प्रधानमंत्री मोदी से उनकी रिहाई की गुहार लगा रहे थे।
मालूम हो कि गत 3 अप्रैल को हुए लोमहर्षक हमलें में शहीद हुए जवानों व घायलों की खबर मिलते ही चुनावी रैली छोड़कर गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में हाइलेबल मीटिंग की थी।
उधर अधिकारियों ने बताया कि कोबरा कमाण्डो राकेश्वर सिंह को जंगल के रास्ते से वापस लाया जा रहा है।
मालूम हो कि बीते 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर जवानों पर घात लगाकर सैकड़ो नक्सलियों ने हमला कर दिया था,जिसमें 22 जवान शहीद तो 31 घायल हो गए थे। हमले के बाद राकेश्वर सिंह को बंधक बना लिया गया था। आखिरकार लंबे समय के बाद जवान को गुरुवार शाम को वापस भेजा गया। इससे पहले जवान को वापस लेने के लिए बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी गई थीं लेकिन उन्हें नक्सलियों ने लौटा दिया था।
बीते बुधवार को सोनी सोरी कुछ स्थानीय पत्रकारों के साथ जंगल गईं थीं।उनकी नक्सली लीडर से उनकी मुलाकात भी हुई थी लेकिन उन्होंने बंधक जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करने से उस समय मना कर दिया था।

गौरतलब है कि नक्सली बीते मंगलवार को एक पत्र जारी कर सरकार की ओर से नामित मध्यस्त को ही जवान सौंपने की बात कह रहे थे।
गौरतलब है कि बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में बीते 3 अप्रैल को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी, इसमें सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद तो 31 घायल हो गए थे।
मुठभेड़ के बाद से ही सीआरपीएफ के राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे। नक्सलियों ने 5 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि लापता जवान उनके कब्जे में है,इसके बाद उन्होंने बीते बुधवार को जवान की एक तस्वीर भी जारी की।जवान को छुड़ाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी नक्सलियों से मिलने गईं थीं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था।