★मुकेश सेठ★
◆हेल्थ डेस्क◆
{सफ़ल व्यक्ति बनने के लिए स्वस्थ्य मनोबल-आत्मबल व सकारात्मक सोच की होती है सबसे बड़ी भूमिका=प्रो.संजय गुप्ता}
[बीएचयू के प्रोफ़ेसर संजय गुप्ता को भारतीय मनोचिकित्सा संघ ने पॉजिटिव साइकेट्री टास्कफोर्स का बनाया है नेशनल प्रेसिडेंट]
(बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डॉ.केएन उड्डपा सभागार में सम्पन्न हुआ सकारात्मक सोच पर आधारित सेमिनार)

♂÷भारतीय मनोचिकित्सा संघ ने इस साल एक नई पॉजिटिव साइकेट्री टास्क फोर्स गठित कर दी है
इस टास्क फोर्स के अंतर्गत पूरे देश में जागरूकता कार्यशाला और सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है,इसी क्रम में गत दिनों बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सभागार डॉक्टर के.एन.उडुपा सभागार में जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम पॉजिटिव एटीट्यूड इमोशनल इंटेलिजेंस, तनाव प्रबंधन एवं कार्य क्षेत्र में सकारात्मकता विषय पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि रेक्टर प्रोफेसर वी. के.शुक्ला ने किया।

आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मनोचिकित्सा संघ के पॉजिटिव साइकेट्री टास्क फोर्स के नेशनल प्रेसिडेंट प्रोफेसर संजय गुप्ता ने किया।
मुख्य अतिथि रेक्टर प्रोफेसर वीके शुक्ला ने इस अवसर पर उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि टास्कफोर्स अध्यक्ष प्रोफेसर संजय गुप्ता द्वारा विगत कई वर्षों से मानव जीवन मे खुशहाली किस प्रकार लायी जाए और किन उपायों से पैदा की जा सकती है उसके लिए दिन रात प्रयत्नशील रहते है,उनके योगदान को देखते हुए ही पॉजिटिव साइकेट्री टास्क फ़ोर्स का नेशनल प्रेसिडेंट बनाकर उनके ऊपर दृढ़ विश्वास जताया गया है कि यही सर्वाधिक सुयोग्य व्यक्ति है।
रेक्टर ने आगे कहा कि मेरी शुभकामना है कि प्रोफेसर संजय गुप्ता अपने अनथक प्रयासों से मनोचिकित्सा विज्ञान व बीएचयू संस्थान को भी गौरवान्वित कर रहे हैं,इनके इस अभियान में प्रत्येक जन को अपने सामर्थ्य अनुसार योगदान देकर देश को खुशहाल बनाने की दिशा में कदम से कदम मिलाना चाहिए।
इस मौके पर मनोचिकित्सा संघ के पॉजिटिव साइकेट्री टास्क फोर्स अध्यक्ष प्रोफ़ेसर संजय गुप्ता ने अपने सम्बोधन में कहा कि पॉजिटिव साइकेट्री के महत्वपूर्ण भूमिका को इस प्रकार समझा जा सकता है कि प्रत्येक इंसान के लिए जिंदा रहने के लिए जिस प्रकार प्राण की आवश्यकता रहती है तो ठीक उसी प्रकार स्वस्थ्य मनोबल,आत्मबल के लिए पॉजिटिव साइकेट्री भी है।

टास्कफोर्स प्रेजिडेंट ने समझाया कि साधन-सुविधा-सम्पन्नता है कि नही ये बहुत मायने नही रखते सफ़ल इंसान बनने के लिए किन्तु ये मायने निश्चित रूप से अहम है आप के अंदर पॉजिटिव साइकेट्री यानी सकारात्मक सोच,स्वस्थ्य मनोबल-आत्मबल है कि नही।
प्रोफेसर गुप्ता ने आगे कहा कि इन्सान को हर क्षेत्र में इतने तनाव उत्पन्न होते जा रहे हैं,होते जा रहे हैं की जिससे सभी हैरान परेशान है,आज दुनिया में खुशहाल देशों की रैंकिंग में भारत देश नीचे की तरफ़ लुढ़कता जा रहा है क्योकि इसका सबसे बड़ा कारण है कि कई दशकों पूर्व लोक मानसिक रोगियों को रोगी ना मान पागल मानते थे और उनका इलाज करने वाले मनोचिकित्सकों को पागलों का डॉक्टर कहते थे,जिनकी वजह से मनोचिकित्सको और मानसिक रोगियों के बीच में इस तरह की बातें कर धारणा बनाने वालों ने एक बड़ी दीवार सी खड़ी कर दी थी मरीज़ो व मनोचिकित्सकों के बीच,किन्तु आज ख़ुशी है कि कुछ वर्षों से आमजनमानस अब उनको पागल न समझ मानसिक रोगी समझने के साथ-मनोचिकित्सको के पास जा रहे है।
कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर ए. के पांडेय द्वारा आगतों के प्रति आभार प्रकट कर धन्यवाद के साथ किया गया।