★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{अगर अमेरिकी राजदूत ताइवान के दौरे पर जाएंगी तो इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी,वे आग से खेल रहे हैं कहा ड्रैगन ने, पहले भी अमेरिकी अधिकारियों के ताइवान दौरे पर चीन ने जताई थी नाराज़गी}
[अमेरिका, ताइवान रिलेशन एक्ट 1979 के तहत उसका बड़ा अंतरराष्ट्रीय सपोर्टर होने के साथ भी देता है हथियार]
(ट्रम्प सरकार रहने के दौरान कई मुद्दों पर चीन से बढ़ी है तनातनी,ताइवान भी है बड़ी वज़ह,भारत की मोदी सरकार भी ताइवान को दे रही तवज्जों)
♂÷अमेरिका जब से ताइवान के मुद्दे पर सक्रिय हुआ है और उससे सीधा सरोकार रखना शुरू किया है तबसे चीन की बौखलाहट दिनोंदिन बढ़ती जा रही है वहीं भारत भी ताइवान को महत्व देना शुरू कर चुका है जो कि चीन के लिए असहनीय होता जा रहा है।
चीन लम्बे समय से ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। जबकि असल में ताइवान एक स्वायत्ततशासी देश है। अमेरिका और ताइवान के बीच नजदीकियां बढ़ने से चीन परेशान है।
चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिकी राजदूत ताइवान दौरे पर जाएंगी तो इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। वे आग से खेल रहे हैं।
इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। दरअसल ताइवान की सरकार और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूतावास की तरफ से बताया गया है कि अमेरिका की राजदूत केली क्राफ्ट अगले सप्ताह ताइवान के दौरे पर जा रही हैं। जहां वह ताइवान के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगी।
इस बात की जानकारी मिलते ही चीन एकदम से बौखला उठा है। वह अब धमकी देने पर उतारू हो गया है। उसने इशारों ही इशारों में अमेरिका राजदूत को ताइवान का दौरा कैंसिल करने को कहा है।
दरअसल चीन लम्बे समय से ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। जबकि असल में ताइवान के स्वायत्ततशासी देश है।
अमेरिका और ताइवान के बीच नजदीकियां बढ़ने से चीन परेशान है।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा ताइवान से मेलजोल बढ़ाना अब चीन को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि वह अब अमेरिका को एक बार फिर से आंखें दिखा रहा है।
इसके पहले भी अमेरिकी अधिकारियों की ताइवान यात्रा को लेकर चीन ने कड़ी नाराजगी जताई थी। वहीं अमेरिका लगातार ताइवान के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रहा है।
दूसरे देशों की तरह अमेरिका ने भी वन चाइना नीति को मान्यता दी है और ताइवान से उसके औपचारिक सम्बन्ध नहीं हैं लेकिन अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सपोर्टर है और ताइवान को सैन्य हथियार भी पहुंचाता है।
अमेरिका ऐसा ताइवान रिलेशन एक्ट 1979 के तहत करता है। इस एक्ट के तहत अमेरिका ताइवान को किसी खतरे से बचाने के लिए उसे सहायता प्रदान करेगा। चीन ने इस प्रस्तावित यात्रा की निंदा की है।
