★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सैन्य कार्रवाई की तैयारी में इजराइल, गाजा पट्टी सीमा पर तैनात किए हजारों सैनिक,वर्ष 2014 के बाद 2021 में हो रहा भीषण संघर्ष}
[हमस ने वर्षों बाद तेल अवीव व येरुशलम में किया है रॉकेट से हमला तो इजराइल ने भी बमवर्षक विमानों से गाजा में की जमकर बमबारी,जिसमें मारे गए हमस के कई शीर्ष कमांडर्स]
(इजराइल,शेख जर्राह में रमजान के माह में बनवा रहा था लोगों को बसाने का लिए कॉलोनी जिसको लेकर अरब नागरिकों में फूट पड़ा गुस्सा,इजराइल में 21%रहते हैं अरब)
♂÷फिलिस्तीन के चरमपंथी गुट हमस के द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद अब इजराइल उनपर जबरदस्त पलटवार कर रहा है,इजराइली हमले में हमस के कई टॉप कमांडर्स के भी मारे जाने की खबर है।कुल मिलाकर अब तक फिलिस्तीन में 65 से ऊपर लोगों की इस हमले में मौत हो गयी है तो वहीं हमस के हमले से इजराइल में 6 लोगों की मौत और कुछ लोगों के ज़ख्मी होने की ख़बर है।कई दशकों से चली आ रही यह संघर्ष इस बार विकराल रूप लेती नज़र आ रही है।
मालूम हो कि ये हिंसा एकाएक शुरू नहीं हुई, एक अरसे से फिलिस्तीनी मूल के लोगों को लग रहा था की उनके भविष्य पर कोई राजनीतिक फैसला नहीं लिया जा रहा है. उसके बीच ये महीना रमज़ान का रहा. तभी पूर्वी येरूशलेम के शेख जर्राह के इलाके में इजराइल नयी कॉलोनियां बनवाने का काम शुरू किया।
इजराइल ने सीमा पर हजारों सैनिकों को भारी लाव लश्कर के साथ तैनात किया है जिससे यह तय है कि इस बार वह फिलिस्तीन व हमस से जमकर दो-दो हाथ करने के मूड में है।
अब तक जहाँ हमस के द्वारा दागी गयी मिसाइलों की चपेट में आकर इजरायल में 6 लोगों की मौत व कई लोगों के घायल होने की खबर है तो वहीं फिलिस्तीन में इजराइली कार्रवाई में 65 से ऊपर की मौत और सैकड़ो के ज़ख्मी होने की खबर की पुष्टि दोनों देशों की सरकारों ने किया है।
2014 के बाद पहली बार फिलिस्तीन और इजराइल फिर युद्ध के इतने करीब हैं। सालों बाद हमस ने तेल अवीव और येरूशलेम में राकेट से हमला किया और एक अरसे के बाद इजराइल ने हवाई जहाज़ से गाज़ा में जम कर बमबारी की है, इन हमलों में 50 से ज़्यादा लोग और कई बच्चे मारे गए हैं। इजराइल का कहना है की वो गाज़ा पट्टी में चुन चुन कर हमस के कमांडर्स को मारेगा वहीं दूसरी तरफ कई सालों बाद इजराइल के शहरों के अंदर हमस ने हमला किया है। इसके साथ साथ इजराइल में अरब और यहूदियों के बीच लड़ाई भी हुई है। इजराइल में 21 प्रतिशत अरब रहते हैं जिनके पास इजराइल की नागरिकता है लेकिन इनके सारे के सारे अधिकार कागज़ पर ही हैं।
ये हिंसा एका एक शुरू नहीं हुई है, एक अरसे से फिलिस्तीनी मूल के लोगों को लग रहा था की उनके भविष्य पर कोई राजनीतिक फैसला नहीं लिया जा रहा है. उसके बीच ये महीना रमज़ान का रहा, तभी पूर्वी येरूशलेम के शेख जर्राह के इलाके में इजराइल नयी कॉलोनियां बनवाने का काम शुरू किया। यहाँ फिलिस्तीन मूल के लोग रहते हैं जो 1948 हाइफा से भाग कर यहाँ आ कर बस गए थे। 1948 में इजराइल की स्थापना हुई थी और भारी संख्या में लोगों का पलायन हुआ था। 1967 इजराइल ने पूर्वी जेरूसलम पर कब्ज़ा कर लिया था। फिलिस्तीन के लोग मानते थे कि जब फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिलेगा तो पूर्वी येरूशलेम उनकी राजधानी होगी।
लेकिन उनका ये सपना भी उजड़ गया वैसे इजराइल येरूशलेम को अपनी राजधानी घोषित कर चुका है लेकिन जबसे अमेरिका ने अपनी एम्बेसी को तेल अवीव से येरूशलेम में खोलने की घोषणा की तबसे ये साफ़ हो गया कि येरूशलेम के विभाजन की अब कोई संभावना नहीं बची है। इसको लेकर लोगों में काफी नाराज़गी थी।उसके साथ साथ रमज़ान के दिनों शेख जर्राह में लोगों को बसाने का काम भी चलने लगा। इजराइल पिछले 10 साल से हथियाई गए इलाक़ों में यहुदिओं को भारी संख्या में बसा रहा है ये गुस्सा रमज़ान के दिनों अपने शबाब पर पहुँच गया।
ये तनाव रमज़ान के महीने में बढ़ता रहा और एक दिन अल अक़्सा के परिसर हरम अल शरीफ में फट गया।जहाँ एक तरह इजराइल के खिलाफ वहां जम कर नारेबाजी हुई वहीं इजराइल ने परिसर में घुस कर रबर की गोलियां चला दीं। इजराइल का कहना है कि ये लोग अल अक़्सा मस्जिद जाकर बैठ गए थे और उसका खाली करना ज़रूरी था,लेकिन दूसरा पहलू ये है की फिलिस्तीन के लोग वहां धरना दे रहे थे जो नयी कॉलोनी बनने के खिलाफ था। इसके बीच इस साल येरूशलेम दिवस भी रमज़ान के महीने में पढ़ गया। इजराइल इसे खुशी से मनाता है क्योंकि 1967 में पूरा येरूशलेम उसके कब्ज़े में आ गया था पर फिलिस्तीन के लोग उसको लेकर दुःख मानते हैं।
यहीं कारण रहा की सारा का सारा उपद्रव येरूशलेम के पुराने इलाक़ों से उबल कर अल अक़्सा परिसर में जा बरसा और उसके बाद ये हमस और इजराइल के बीच बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गया।
येरूशलेम से जन्नत की ओर रुख्सत हुए थे मोहम्मद पैगंबर
लेकिन सवाल ये है कि अल अक़्सा में ऐसा क्या है जिसको लेकर प्रदर्शनकारी अंदर धरने में बैठ गए और इजराइल ने आनन फानन में उसे खाली करने का फैसला लिया,अल अक़्सा का अरबी में मतलब है जो सबसे दूर है।
माना जाता है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब एक दिन में मक्का से येरूशलेम आये थे और यहीं से जन्नत की तरफ रुख्सत हुए थे। इसलिए मक्का और मदीना के बाद ये इस्लाम का तीसरा सबसे बड़ा पाक स्थल है,
मुस्लिमों के साथ-साथ यहूदियों और ईसाइयों के लिए भी पाक है।
जिस जगह से वो जन्नत रुख्सत हुए थे उस जगह अल अक़्सा मस्जिद बनी है लेकिन येरूशलेम और अल अक़्सा परिसर ईसाइयों और यहूदियों के लिए भी बहुत पाक है। यहूदियों की पश्चिम दीवार जिसे वेस्टर्न वेलिंग वाल भी कहा जाता है, यहूदियों के लिए बहुत पवित्र है,यहाँ पर उनका मंदिर होता था जिसे रोमन साम्राज्य ने तोड़ दिया था।बाद में टर्की के ओटोमन साम्राज्य ने फिलिस्तीन पर कब्ज़ा किया था तबसे यहूदियों को यहाँ आने की अनुमति आसानी से नहीं मिलती थी और जब मिलती थी तो लोग दीवार को देख भावुक हो रो पढ़ते थे जिसके कारण इसका नाम वेस्टर्न वाल पड़ा,वहीं ईसाई धर्म का जन्म भी येरूशलेम में हुआ. जीसस को यहाँ प्रताड़ित किया गया और उनका पुनर्जन्म भी यहीं हुआ, यहीं कारण है कि सारी हिंसा के बीच अल अक़्सा है क्योंकि उसका येरूशलेम के हर निवासी के लिए काफी महत्त्व है।