★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{क़द्दावर उत्तर भारतीय नेता व पूर्व गृहराज्य मन्त्री कृपाशंकर सिंह ने शुरू की संकल्प यात्रा,कहा राजनीतिक मतलब न निकाले}
[महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूर्व ही काँग्रेस से इस्तीफ़ा देने वाले कृपाशंकर सिंह को रिझाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस व शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सिंह के आवास पर गणपति पूजा के बहाने जा चुके हैं]
(काँग्रेस से राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करने वाले कृपाशंकर सिंह की गाँधी परिवार व शीर्ष नेताओं से निकटता ने महाराष्ट्र व दिल्ली में बैठे विरोधी गुटों ने काटने शुरू किये कद,नुकसान उठाया पार्टी ने)
♂÷उत्तर भारतीय के कद्दावर नेता एवं पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने संकल्प यात्रा की शुरुआत की है। पूर्व मंत्री रमेश दुबे से मुलाकात के साथ शुरू हुई कृपाशंकर की यह यात्रा एक लाख उत्तर भारतीयों के घरों तक जाने वाली है। इस मुलाकात के दौरान समाजसेवी देवेन्द्र तिवारी और अर्जुन सिंह उपस्थित थे।
पूर्व मंत्री रमेश दुबे ने 501 रुपये का शगुन देकर कृपाशंकर सिंह को संकल्प यात्रा की शुभकामना दी।
उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र में बसे लाखों उत्तर भारतीयों के स्वाभिमान व अधिकार को जगाने के लिए वे संकल्प यात्रा पर निकले हैं इस यात्रा का कोई राजनीतिक मक़सद न निकाला जाए।
मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूर्व क़द्दावर नेता ने काँग्रेस पर देश के मूड के विपरीत राजनीति करने के चलते इस्तीफ़ा दे दिया था और कुछ मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की खुलकर प्रशंसा की थी।उन्होंने यह कहते हुए कि वह राष्ट्रहित में निर्णय लेने वालों के फ़ैसले का समर्थन करते हैं।

तब महाराष्ट्र की राजनीतिक सरगर्मी तेज़ रही कि काँग्रेस के दिग्गज उत्तर भारतीय नेता भारतीय जनता पार्टी में जा सकते हैं उस दौरान श्री सिंह ने अवश्य यह बयान देकर इस मुद्दे पर पानी डाला कि अभी किसी भी पार्टी में जाने का विचार नही है।
उस दौरान यह भी कहा जा रहा था कि बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व व तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के जरिये ऊपर तक बात कर कृपाशंकर सिंह को पार्टी में लाने की जुगत की जा रही थी किंतु कुछ बातें तय न हों पाने के चलते मामला सर्द पड़ गया।
मालूम हो कि देश मे सबसे ज्यादे 80 लोकसभा सीट वाले व राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक उर्वर माने जाने वाले सूबे उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ज़िले जौनपुर के सहोदरपुर गांव निवासी कृपाशंकर सिंह ने मुम्बई में राजनीतिक यात्रा काँग्रेस से प्रारम्भ की थी।इनकी राजनीतिक सरपरस्त तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा ताई पाटिल को माना जाता है।
श्री सिंह की उत्तर भारतीयों में मजबूत पकड़ व तगड़े जनाधार लोकप्रियता को काँग्रेस ने भली भाँति देखा-परखा और इनकी उपयोगिता को ख़ूब भुनाया भी तो कृपाशंकर सिंह ने अपने राजनीतिक कौशल व मिलनसार स्वभाव के बूते एमएलसी,विधानसभा सदस्य होते हुए तत्कालीन विलास राव देशमुख सरकार में गृहराज्य मन्त्री जैसे महत्वपूर्ण व ताक़तवर पद को हॉसिल किया।
सिंह के मुम्बई प्रदेशाध्यक्ष रहने के दौरान मुंबई में लोकसभा की लगभग सभी सीटों पर काँग्रेस का परचम लहराया था,बीएमसी चुनाव में भी काँग्रेस के नगरसेवक बड़ी संख्या में जीत कर आते रहे थे।कृपाशंकर सिंह ने उस दौरान उत्तर भारतीय नगरसेवक राजहंस सिंह को लगातार कई बार बृहन्नमुम्बई महानगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष बनवाने में सफ़ल रहे थे,किंतु काँग्रेस में उनकी बढ़ती लोकप्रियता व गाँधी परिवार से लेकर शीर्ष नेताओं तक उनकी स्वीकार्यता ने महाराष्ट्र व दिल्ली तक पार्टी में उनके विरोधियों ने उनकी राह में काँटे बिछाने शुरू किए हालाँकि इससे काँग्रेस को मुम्बई में खासा नुकसान उठाना पड़ा है विगत कई चुनावों में,क्योकि कहीं न कहीं उत्तर भारतीय भी कांग्रेस से दूरी बनाकर कई दलों में विभक्त हुए किंतु सबसे बड़ा फ़ायदा कमलदल ने उठाया।
श्री सिंह के काँग्रेस छोड़ने के बाद इनके आवास पर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस व शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गणपति पूजन के बहाने जाकर इनको रिझाने की कोशिश अंदरखाने से की थी किंतु बेहद ठंडे मस्तिष्क से राजनीति करने में माहिर कृपाशंकर सिंह ने मौके की नज़ाकत को देखते हुए पहले अपनी ताक़त को तौलने की नीति पर चल काफ़ी दिनों तक सक्रिय राजनीति से दूर रह सामाजिक व उत्तर भारतीयों के कार्यक्रमों में शिरकत कर अपनी शक्तिवृद्धि करने में जुटे रहे।
जिससे मजबूरन कहे या वक्त की चाल को देखते हुए काँग्रेस को छोड़कर फ़िलहाल बाहर हुए कृपाशंकर सिंह ने उत्तर भारतीयों के सामाजिक व राजनीतिक मुद्दे पर संकल्प यात्रा प्रारंभ कर दिए हैं।
कुल मिलाकर यह तो निश्चित है कि इनकी संकल्प यात्रा से उस पार्टी को उत्तर भारतीयों के मतों का अवश्य बड़ा लाभ होगा जिसके पक्ष में मुम्बई में निर्विवाद रूप से इनके क़द्दावर नेता माने जाने वाले कृपाशंकर सिंह का झुकाव होगा या फ़िर उस दल में प्रवेश।
फ़िलहाल कुछ समय के लिए ज़नाब-ए-अली तेल देखिए तेल की धार।