★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{शिवसेना कोटे से राज्यमंत्री बनाये गए औरंगाबाद विधायक सत्तार ने कैबिनेट मंत्री न बनाये जाने से नाराज़ होकर दिया इस्तीफ़ा}
[संजय राउत ने कहा सत्तार को पहली बार मे ही मंत्रिमंडल में मौका दिया गया वे पहले से शिवसैनिक नही है, भरोसा है कि वह शिवबन्धन नही छोड़ेंगे]
(महाविकास आघाड़ी की उद्धव सरकार अभी तक मंत्रियों को नही आवंटित कर पाई है विभाग,मलाईदार विभागों के लिए सत्ताधारी दलों में चल रही है रस्साकशी)
♂÷सिर मुड़ाते ओले पड़े ये कहावत महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के ऊपर इस समय सटीक बैठ रही है।सूबे में तीन दलों वाली उद्धव ठाकरे सरकार बने दो महीने भी नहीं हुए हैं, लेकिन मलाईदार मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर सहयोगियों के बीच रार मची हुई है।आज शनिवार को औरंगाबाद से शिवसेना विधायक व राज्यमंत्री अब्दुल सत्तार ने नाराज होकर अपना इस्तीफा दे दिया है।अब्दुल सत्तार को शिवसेना कोटे से ही मंत्री बनाया गया था।बताया जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर अब्दुल सत्तार ने इस्तीफा दिया है। हालांकि शिवसेना और उनके परिवार ने इस्तीफे की बात से इनकार किया है।
मालूम हो कि अब्दुल सत्तार पहले काँग्रेस में रह चुके हैं मन्त्री भी रहे हैं लोकसभा चुनाव में काँग्रेस से टिकट न मिलने पर नाराज़ होकर कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हो गए थे व शिवसेना के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत कर विधायक बने हैं।शिवसेना का मुखपत्र माने जाने वाले अखबार सामना में कभी इन्ही अब्दुल सत्तार को भारत का मोस्ट वांटेड माफ़िया व बमविस्फोट करवाने का आरोपी दाऊद अब्राहिम का नजदीकी बताया था।ऐसे में शिवसेना द्वारा मन्त्री बनाये जाने पर विपक्षीदल बीजेपी ने तीखा विरोध किया था।
अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि, ‘अब्दुल सत्तार को पहली बार में ही मंत्रिमंडल में मौका दिया गया, वे पहले से शिवसैनिक नहीं हैं,उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री और राजभवन नहीं भेजा गया है।भरोसा है कि सत्तार शिवबंधन नहीं छोड़ेंगे।’ राउत ने यह भी कहा कि, कोई भी विभाग बड़ा या छोटा नहीं होता है।उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि, वह 5 साल तक विपक्ष में रहेगी।
बता दें कि उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस में परस्पर खींचतान की स्थिति है लेकिन कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर इस्तीफा देने वाले पहले शिवसेना कोटे से मंत्री बने अब्दुल सत्तार ही हैं।
शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस घटक दल हैं। नवंबर के आखिर में जब से यह सरकार बनी है, तीनों दलों के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर लगातार रस्साकस्सी चल रही है। बीते 30 दिसंबर को 36 नए मंत्रियों के शपथ लेने से उद्धव सरकार में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है, लेकिन इन मंत्रियों को सीएम उद्धव ठाकरे मलाईदार विभागों की चाहत की वजह से अभी तक विभागों का आवंटन नहीं कर पाए है।
गुरुवार को गठबंधन के घटक दलों की पांच घंटे से अधिक समय तक चली मैराथन बैठक के बाद भी मंत्रालयों के आवंटन पर आम सहमति नहीं बन पाई थी। सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच बैठक में इस विषय पर तीखी बहस भी हो गई थी। दरअसल मंत्रिमंडल विस्तार में 12 सीटें पाने वाली कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित दो विभाग और चाहती है और वो अपनी मांग पर अड़ी हुई है।
इस बैठक में एनसीपी नेता व उपमुख्यमंत्री अजित पवार व काँग्रेस नेता व कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण के बीच तीखी बहस भी हो चुकी है।कुल मिलाकर एक लंबे अरसे होने के बाद भी जिस तरह से उद्धव सरकार सरकार में मंत्रियों के बीच भारी भरकम मलाईदार विभागों को हथियाने के लिए सिरफुटौव्वल चल रही है उससे निश्चित रूप से यही सन्देश लोगों के बीच जा रहा है कि तीनों सत्ताधारी दलों को महाराष्ट्र व जनता की चिंताओं की नही बल्कि मलाईदार विभागों को किस प्रकार अपने हिस्से में लाया जा सके इसकी चिंता पहली प्राथमिकता बनी हुई है।
विदित हो कि बिन विभागों के मंत्रियों के चलते अभी तक मंत्रालय में अधिकारियों को करने के लिए कुछ भी विशेष नही है, नए मंत्रियों के आने व उनके विभाग सम्भालने के बाद इतना तो तय है कि मंत्रीगण अपने मनपसंद अधिकारियों को लाने के लिए एक बार बड़े पैमाने पर मंत्रालय से लेकर जिलास्तर अधिकारियों को ताश के पत्ते की तरह से फेटा जाना है।ट्रांसफर को लेकर आशंकित अधिकारी भी तेल व तेल की धार देखने की रणनीति पर चलते हुए शिथिल पड़े हुए हैं।
बिन विभागों के मन्त्री भी मंत्रालय नही जा रहे है क्योकि जब विभाग ही नही मिला तो कहाँ बैठेंगे और क्या करेंगे।
कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि जल्द से जल्द उद्धव सरकार में शामिल तीनों दल राज्य व जनहित को दृष्टिगत आपसी खींचतान को छोड़कर विभागों की जिम्मेदारी संभाल महाराष्ट्र की तरक़्क़ी में अपने योगदान दे क्योंकि जनता के बीच इनकी छवि सत्तालोलुप लोगो के जमावड़े की बनती जा रही है।