★आलोक मिश्रा★
★मथुरा★
{चेकिंग के नाम पर विभागीय अधिकारियों के हो जाते है जेब गर्म, कार्यवाही कुछ भी नहीं}
[कृतिम दूध की बिक्री है बेखौफ जारी तो तेल मसाले तक बिक रहे है खुलेआम मिलावटी]

♂÷कान्हा नगरी मथुरा में जहाँ कभी दूध घी की नदियां बहती थी उसी नगरी में आज दूध में मिलावट,आटे में मिलावट, मसालों में मिलावट, तेल में मिलावट मिलावटखोरों द्वारा धड़ल्ले से करके जहाँ एक तरफ लोंगो को सरेआम जानलेवा रोग बेच रहे है तो दूसरी तरफ सबकुछ जानते बुझते हुए न जाने क्यों खाध व स्वास्थ्य विभाग इन संगठित अपराध के प्रति मुँह मोड़े बैठा है।
कार्यवाही के नाम पर बस सैंपल लिए जाते है और फिर अधिकतर मामलों में सेटिंग कर दोनो हाथो से जेब गर्म कर दोषियों को निर्भयता प्रदान कर दी जा रही है।मिलावट के आधे से ज्यादा मामले अदालत पहुंचने से पहले ही निपटा दिए जाते है, सब कुछ सेटिंग के साथ चल रहा है।
मथुरा में मिलावट का कारोबार तेजी और बड़े पैमाने पर चल रहा है। इस विषय की गम्भीरता को इसी से समझा जा सकता है कि पूर्व वित्तीय वर्ष २०१८-१९ में ५०० सैंपल लिए गए थे जिसमे से ८२ फीसदी सैम्पलों की रिपोर्ट फेल आए है तो वही सबसे सेम्पल फेल रहे है दूध, मसाले, तेल, मिठाईया के।हैरतअंगेज तथ्य तो ये है कि अब मिलावटखोरों ने हल्दी में भी लेड जैसे घातक पदार्थ मिलाने शुरू कर दिए है,दूध के नाम पर जबरदस्त खेल चल रहा है,नकली दूध बनांकर धड़ल्ले से बेचा जा रहा हैं जिससे नौनिहालों को दूध नही परिजन रोग पिला रहे है तो वही उसी कृतिम दूध से हलवाई मिठाई बना रहे है तो तीज त्यौहार आने पर घरों में दूध निर्मित तमाम पकवान भी बनाये जाते है।
इस नकली दूध को बनाने में मिलावटखोरों द्वारा पामोलीन, यूरिया,व पॉवडर मिलाकर कृतिम दूध तैयार कर महँगे दामो में खुलेआम बेचा जा रहा है तो वही शुद्ध दूध का क्रीम निकालने की मशीन अब गांव गांव में लगी हुई हैं और इसकी पूरी खबर अधिकारियो को भी होती हैं परन्तु न जाने क्यों कुछ भी कार्रवाई करने से जिला प्रशासन डरता हैं।