★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सीरियल ब्लास्ट के पीछे आतंकी संगठन ISIS ख़ुरासान का बताया जा रहा हाथ तो वहीं ब्रिटिश पीएम ने कहा तीन दिन पहले ही दिया था संकेत}
[हमले के बाद पेंटागन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन NSA समेत अधिकारियों संग कर रहे गम्भीर मन्त्रणा,यूएन ने भी की आलोचना]
(अब तक सैकड़ों लोगों को निकाल चुका है भारत,अफगानिस्तान में बंद कर चुका है अपना दूतावास)
♂÷अफगानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे के बाहर हुए सिलसिलेवॉर बमविस्फोट में 4 अमेरिकी मरीन कमांडो और 40 नागरिकों की मौत हो गयी है तो 3 अमेरिकी सैनिकों समेत 120 नागरिक धमाकों की चपेट में आकर ज़ख्मी हो चुके हैं।
इस सीरियल ब्लास्ट के पीछे कुख्यात आतंकी संगठन ISIS ख़ुरासान का हाथ होने की शंका प्रकट की जा रही है तो वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन रक्षा मुख्यालय पेंटागन में NSA समेत बड़े अधिकारियों के साथ गम्भीर मन्त्रणा कर रहे हैं।

उधर इस बमविस्फोट के बाद काबुल एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है और अंदर ही अमेरिकी सैनिक अधिकारी भी मीटिंग करते हुए अपने देश के साथ संपर्क बनाए हुए।
उधर इस खौफनाक आतंकी हमले की निंदा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने की तो दूसरी तरफ़ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि हमने तीन दिन पहले ही आतंकी हमले का अलर्ट दे दिया था,और लोगों को काबुल से निकालने का कार्य नही रुकेगा।
अभी कल ही अफगानिस्तान पर काबिज़ हुए आतंकी संगठन तालिबान ने अमेरिका को चेताया था कि वह हर हाल में अपने सैनिकों को 31 अगस्त तक निकाल ले।
आज दिन में इटली वायुसेना के जहाज पर भी फायरिंग की गई थी जब वह अपने नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट से लेकर उड़ान भर रहा था।
दुनियां में इस घटना को लेकर चिंता व्याप्त हो उठी है क्योंकि अभी भी तमाम देशों के नागरिक व सैनिक अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं।
मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह अपने सैनिकों व नागरिकों को निकालने के लिए तय समय सीमा 31 अगस्त के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रख सकता है जिसको लेकर तालिबान ने कल अमेरिका को धमकी दी थी कि डेडलाइन नही बढ़ाई जाएगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के द्वारा चेतावनी दी गयी थी कि अगर उसके सैनिकों,नागरिकों को कुछ होता है तो अंजाम ठीक नही होगा,अब देखना होगा कि इस भयंकर हमले में अपने सैनिक गवांने वाला दुनिया का महाशक्तिशाली देश क्या कदम उठाता है।
विदित हो कि जो बाइडन ने अपने चुनावी प्रचार अभियान के तहत वादा किया था कि राष्ट्रपति बनते ही वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी कराएंगे।
भारत भी अब तक सैकड़ो भारतीय व अफगानी नागरिकों को काबुल से निकालने में कामयाब रहा है,जिसमे भारतीय दूतावास के लोग भी शामिल हैं क्योंकि भारतीय दूतावास बंद कर दिया गया है।