★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{शून्य से शिखर की राजनीति करने वाले क़द्दावर उत्तर भारतीय काँग्रेस नेता पूर्व गृहराज्यमंत्री ने कहा इस्तीफ़ा दिया हूँ किसी अन्य पार्टी में नही जा रहा}
[मुम्बई काँग्रेस की गुटबाज़ी के चलते दरकिनार किये जाते रहे हैं कई सालों से कृपाशंकर सिंह बेदाग़ निकले हैं भ्र्ष्टाचार के तमाम आरोपों से]
(सिंह के इस दौरान बीजेपी खासकर मुख्यमंत्री फड़नवीस से नजदीकियां बढ़ती रही जिसके चलते गत दिनों आवास पर सीएम व उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए गणपति पूजा में)
♂÷अन्ततः जिसकी सरगोशियां काफ़ी दिनों से राजनैतिक हलकों में गर्म रही थी आज वह हक़ीक़त के धरातल पर उतर ही गयी।महाराष्ट्र काँग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए पार्टी के कद्दावर उत्तर भारतीय नेता व पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
वहीँ इस इस्तीफे के बाद पूछने पर श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने काँग्रेस से इस्तीफा दिया है अभी किसी भी पार्टी में नही शामिल हो रहे हैं।
विदित हो कि इसकी चर्चा काफ़ी दिनों से गर्म चल रही थी कि काँग्रेस की महाराष्ट्र खासकर मुम्बई की राजनीति में गुटबाजी की वजह से श्री सिंह को दरकिनार करने की कोशिश लम्बे समय से की जाती रही है।जिसका परिणाम ये रहा कि कभी कृपाशंकर सिंह गृहराज्य मन्त्री रहे हो या फ़िर मुम्बई अध्यक्ष, काँग्रेस पार्टी को लोकसभा, विधानसभा बीएमसी में भीअच्छी सफलताएं मिलती रही हैं तो वहीं अब गुटबाजी के चलते कुछ वर्षो के दौरान हुए प्रत्येक चुनाव में काँग्रेस चुनावी मैदान में दम तोड़ती जा रही है हालाँकि ये भी अकाट्य सत्य है कि पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता व गृहमंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति भी काँग्रेस के लिए डूबते जहाज़ बनते जाने के बड़े कारण होते जा रहे हैं।
इतना तो निश्चित है कि सूबे में काँग्रेस को कृपाशंकर सिंह के इस्तीफा दे देने से तगड़ा झटका लगा है क्योंकि महाराष्ट्र ख़ासकर मुम्बई प्रदेश में पूर्व मुम्बई प्रदेश अध्यक्ष रहे कृपाशंकर सिंह यू तो सभी वर्गों में उनके असर रहे हैं किन्तु ख़ासकर उनकी लोकप्रियता व स्वीकार्यता उत्तर भारतीयों में जबरदस्त है।
उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े जिले जौनपुर के मूल निवासी कृपाशंकर सिंह कभी काँग्रेस में जमीनी स्तर से अपनी राजनैतिक यात्रा प्रारम्भ कर अपने जुझारू तेवर व सभी के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से राजनीति के शतरंजी विसात पर बेहद सधी चाले चलकर देखते ही देखते सियासी फ़लक़ पर छाते चले गए।
काँग्रेस हाइकमान ने उनके योगदान व उपयोगिता को दृष्टिगत उनको विधान परिषद में भी भेजा तो वहीँ कालीना विधानसभा से जीतकर तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलास राव देशमुख सरकार में महत्वपूर्ण माने जाने वाले गृहराज्यमंत्री पद की महती जिम्मेदारी दी गयी थी।
उस दौर में मुम्बई अंडरवर्ल्ड के आतंक से राज्य व मुम्बई दहशतजदा रहा था किंतु कृपाशंकर सिंह ने गृहराज्यमंत्री बनते ही मुम्बई से अंडरवर्ल्ड को नेस्तनाबूद करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
श्री सिंह की छवि व कद उस दौरान इतनी व्यापक हो चुकी थी उनकी गिनती काँग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में होने लगी थी व उनके ऊपर उनकी राजनीतिक गुरु माने जाने वाली तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ ही वह गाँधी परिवार के भी विश्वस्त रहे।
पूर्व मंत्री श्री सिंह की सौम्य,सामंजस्य व समानता वाले स्वभाव का नतीजा है कि उनके राजनैतिक विरोधी व दलों के नेता,राजनेता भी उनके मुरीद रहते हैं।एक दौर ऐसा भी आया कि उनके ऊपर ढेरो भ्र्ष्टाचार के मामले काँग्रेस की ही सरकार में लगे,मुक़दमे दर्ज हुए और कई दिनों तक मीडिया ट्रायल भी होता रहा जिससे उनकी छवि व लोकप्रियता भी प्रभावित हुई किन्तु श्री सिंह के ऊपर सारे मामले को कोर्ट ने राजनीति से प्रेरित मानकर बाइज्जत बरी कर दिया,इसके बाद भी पार्टी ने उनको मुम्बई में मुख्यधारा की राजनीति में उनको यथोचित दायित्व नही दिया।
विदित हो कि इधर कुछ समय से उनकी बीजेपी खासकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के साथ सम्बन्ध मजबूत होते रहे जिसका परिणाम रहा कि कुछेक वर्षो से मुख्यमंत्री फड़नवीस उनके आवास पर गणपति पूजन में आते रहे हैं तो इस बार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी दर्शन हेतु सिंह के आवास पर आए थे।
इस दर्शन के बाद पूर्व गृहराज्यमंत्री सिंह के बीजेपी में जाने की चर्चा जोर पकड़ चुकी है तो वही अभी श्री सिंह इस पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे है।
कुल मिलाकर सियासी दुनियां के मंझे खिलाड़ी कृपाशंकर सिंह किस दिन किस दल के दलपति के नेतृत्व में नई पार्टी और नए राजनीतिक सफ़र पर निकलते हैं इस समय मुम्बई से लेकर यूपी दिल्ली तक कि निगाहें टिकी हुई है।