★आरिफ़ अन्सारी★
★केराकत(जौनपुर)★
{अधिकारियों की खामोशी पर उठ रहे सवाल}
♂÷इन दिनों केराकत तहसील के सैदखानपुर,बीरमपुर, नरहन और सिहौली ग्रामों में चकबन्दी की प्रक्रिया चल रही है किन्तु सहायक चकबन्दी अधिकारी का कार्यालय जौनपुर ज़िला मुख्यालय पर स्थित है।
यह कार्यालय इन दिनों गोपनीयता भंग करने के मामले में टॉप 5 में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है, इस के बावजूद भी अधिकारियों की खामोशी चर्चा का विषय हो गयी है और उस पर सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं।
हुआ कुछ यूँ कि 16 फरवरी को केराकत में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस पर एक व्यक्ति द्वारा ग्राम नरहन स्थित एक भूखण्ड सम्बन्धित प्रार्थना पत्र दिया गया था।समाधान दिवस प्रभारी एस डी एम केराकत ने उसे चकबन्दी अधिकारी सी ओ को इंडोर्स कर दिया।
चकबन्दी अधिकारी ने नियमानुसार इस प्रार्थना पत्र को सहायक चकबन्दी अधिकारी को इंडोर्स कर दिया और फिर इसी क्रम में सहायक चकबन्दी अधिकारी ने इसे कानूनगो को इंडोर्स कर दिया।
कानूनगो ने 22 फरवरी को सहायक चकबन्दी अधिकारी को सम्बोधित करते हुए अपनी आख्या तैयार किया।
यह आख्या नियमानुसार सहायक चकबन्दी अधिकारी से होते हुए चकबन्दी अधिकारी अर्थात सी ओ साहब,और फिर सी ओ साहब की टिप्पणी के साथ समाधान दिवस प्रभारी एस डी एम साहब को आना चाहिये जिस पर निर्णय लेने का अधिकार उन्हें ही हासिल है।
किन्तु कानूनगो ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए निर्णयात्मक आख्या तैयार किया,और अपने किसी अधिकारी को दिया या नहीं दिया लेकिन गोपनियता के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए इसे वायरल कर दिया।
बात इतने पर ही बस नहीं होती बल्कि यह भी आम चर्चा है कि किसी एक ही मामले में यह दोनों पक्षों को सन्तुष्ट करने का प्रयास करते हैं और एक ही मैटर में दो दो तरह की आख्या देते हैं जिस से झगड़ा झंझट और मारपीट तक हो जाती है।
अब देखना यह है कि यह सिलसिला कब तक जारी रहता है और अधिकारी कब तक अपनी आंखें बन्द किये रहते हैं।