★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{पासपोर्ट के लिए मांगी मदद तो विदेश मंत्री के बेटे ने दिया मजेदार जवाब}
[पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज करती थी ट्विटर पर मदद तो नए विदेशमंत्री एस जयशंकर प्रसाद से भी लोगो की अपेक्षा]
♂÷एस जयशंकर अब देश के नए विदेश मंत्री हैं और उन्होंने सुषमा स्वराज की जगह ले ली है। सुषमा को एक ऐसी विदेश मंत्री के तौर पर याद किया जाएगा, जिन्होंने बस ट्वीट पर लोगों की मदद की। उनके पासपोर्ट और वीजा से जुड़े मुद्दों का पलभर में सुलझाया। निश्चित तौर पर जयशंकर से भी लोगों को ऐसी ही उम्मीदें हैं लेकिन अभी एस जयशंकर को शपथ लिए हुए एक दिन भी नही बीता कि उनसे मदद मांगने वाले लोग ट्विटर पर सक्रिय हो गए,लोगों ने विदेश मंत्री की जगह उनके बेटे ध्रुव को टैग कर दिया। ध्रुव ने भी अपने ही अंदाज में इसका जवाब दिया है।
ड्यूट गलत हैंडल
जिस समय ध्रुव को ट्वीट किया गया, उनके पिता को कौन सा मंत्रालय दिया गया है इसका ऐलान तक नहीं हुआ था। एक ट्विटर यूजर ने ध्रुव को अपनी ट्वीट में टैग किया। इसके जवाब में ध्रुव ने लिखा, ‘ड्यूड गलत ट्विटर हैंडल।’ इसके बाद कोई कुछ और कहता उन्होंने ही स्पष्टीकरण दे डाला। ध्रुव ने लिखा, ‘और इससे पहले कोई कुछ पूछे, मैं बता देना चाहता हूं कि मैं किसी की भी पासपोर्ट, वीजा या फिर विदेशी जेल में फंसे होने जैसी समस्याओं से छुटकारा नहीं दिला पाऊंगा। मैं खुद इन समस्याओं का सामना कर रहा हूं (जेल की समस्या से अलग)।’
दादा और पिता की ही तरह ध्रुव
अपने दादा और अपने पिता की ध्रुव भी एक मशहूर रणनीतिकार हैं। साल 2012 से 2016 तक ध्रुव जर्मन मार्शल फंड (जीएमएफ) से जुड़े रहे और वॉशिंगटन डीसी में रहे। यहां पर ध्रुव ने इंडिया ट्रिलैटरल फोरम की शुरुआत की। यह फोरम नियमित तौर पर भारत, यूरोप और अमेरिका के नीतिकारों के साथ कई मुद्दों पर वार्ता करता था। साल 2009 से 2012 तक ध्रुव को जीएमएफ का प्रोग्राम ऑफिसर नियुक्त किया गया था। फिलहाल ध्रुव ब्रुकिंग्स इंडिया के साथ नई दिल्ली और ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के साथ वॉशिंगटन में विदेश नीति स्टडीज में फेलो हैं।
सुषमा की तरह काम करना होगी चुनौती
जन्में जयशंकर की शादी एक जापानी मूल की महिला के साथ हुई। उनके बेटे ध्रुव जयशंकर जहां विदेश नीति के जानकार हैं तो छोटे बेटे अर्जुन भी न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं। बेटी मेधा प्रोड्यूसर है।सुषमा स्वराज को हमेशा लोग इस बात के लिए याद रखेंगे कि उन्होंने एक ट्वीट पर ही विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद की। सुषमा स्वराज ने दरअसल आज के दौर में ‘टेक्नोलॉजी डिप्लोमैसी’ की एक नई परिभाषा लिखी और हमेशा ट्विटर से लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद की। निश्चित तौर पर यह नए विदेश मंत्री की बड़ी चुनौती होगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह कैसे इसे पूरा करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएमओ पहुंचने वाले गैर-कांग्रेसी राजनेता हैं। गुरुवार को उनकी कैबिनेट के मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई। लेकिन इन सभी कैबिनेट मिनिस्टर्स में एक नाम चौंकाने वाला था और वह नाम है पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर का। जयशंकर देश के अकेले ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास विदेश मंत्रालय में बतौर विदेश सचिव सेवा करने का चार दशकों का अनुभव है। एस जयशंकर को इसी वर्ष मार्च में राष्ट्रपति की तरफ से पद्मश्री से नवाजा गया है। एस जयशंकर चीन और अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके हैं।