★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{प्रेस कांफ्रेंस में फडणवीस ने कहा कि शिवसेना पहले से ही सौदेबाजी कर थी,हमने उनके मुख्यमंत्री बनाने के लिए कभी नही कहा}
[तीन पहियों वाली सरकार चलना मुश्किल,हम निभाएंगे विपक्ष की भूमिका कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने]
(डिप्टी सीएम पद से अजित पवार के इस्तीफ़ा देते ही बिगड़ा बीजेपी का खेल सदन में जाने से पहले ही फडणवीस ने दिया इस्तीफ़ा)
♂÷अन्ततः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पद से इस्तीफा दे दिया है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ी खबर तब आई थी जब देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ले थी और साथ में NCP नेता अजित पवार भी थे, जिन्होंने राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अब एक और बड़ा दिन सबके सामने है, जब शपथग्रहण के तीन दिनों के भीतर ही अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।जिसपर देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और उन्होंने ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान किया।
अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना पहले से ही हमसे सौदेबाजी कर रही थी, उन्होंने हमसे पहले एनसीपी और कांग्रेस से बातचीत की,जनता ने बीजेपी को सबसे ज्यादा सीट दी थी। हमने उनका काफी इंतजार किया, लेकिन शिवसेना ने अपना ही मजाक बनाया।
फडणवीस ने कहा ऐसा कभी नहीं कहा गया कि सीएम शिवसेना का होगा, हर मंच पर यही कहा गया कि गठबंधन भाजपा के नेतृत्व में हो रहा है।
फडणवीस ने कहा हमने जनादेश का सम्मान किया
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नई सरकार अच्छा काम करेगी। हम विपक्ष के रूप में अपना काम करेंगे।उन्होंने कहा कि शिवसेना नेता लाचारी में सोनिया गांधी के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन पहियों वाली सरकार चलना काफी मुश्किल है।
देवेंद्र फडणवीस बोले कि शिवसेना उन वादों को लेकर अड़ गई थी, जिन्हें हमने कभी किया नहीं था।
एनसीपी नेता व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के दम पर फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते हुए सरकार बनाई थी और बीजेपी के दिग्गजों ने भरपूर दावे किए थे कि सदन में फडणवीस सरकार बहुमत साबित कर देगी।आज दिन में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने अपने भतीज़े अजित पवार की घरवापसी की कमान सम्भाली तो बीजेपी के खेल को ख़त्म करके ही माने।
शरद पवार व उनकी सांसद बेटी ने अजित पवार से बात की और कहा कि परिवार व पार्टी को बचाने के लिए इस्तीफ़ा देकर वापस लौट आये।कहा जा रहा है कि चाचा ने भतीज़े को सख़्ती से हिदायत दी थी कि या तो इस्तीफ़ा देकर वापस लौट आओ या फिर कल विधानसभा में मत आना।
इससे पहले आज सुबह से ही एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल,छगन भुजबल के साथ ही सुप्रिया सुले के पति व अजित पवार के भाई श्रीनिवासन ने भी अजित पवार को डिप्टी सीएम पद से इस्तीफ़ा देकर परिवार व पार्टी में टूट न होने देने के लिए काफ़ी मनुहार किया था।जिसपर अजित पवार पहले बीजेपी नेता भूपेन्द्र यादव से होटल ट्राइडेंट में मिलने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर उनको अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया।
तेज़ी से बदले घटनाक्रम के तहत अपनी रणनीति में मात खाये मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी प्रेस कान्फ्रेंस करके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने की जानकारी दी।
कुल मिलाकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ये साबित किया कि महाराष्ट्र में उनको चैलेंज देना किसी भी के लिए आसान काम नही है।
तीन दिनों तक चले महाराष्ट्र में कुर्सी की किचकिच फ़िलहाल थमती दिखी।उधर कांग्रेस ने बाला साहेब थोरात को अपना विधायक दल का नेता चुन लिया है तो शिवसेना विधायकों ने भी उद्धव ठाकरे को नेता चुना।
उद्धव ठाकरे ने नेतृत्व में एनसीपी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनना तय हो गया है।
इतना तो निश्चित है कि जो शिवसेना के द्वारा सीएम पद व 50-50 सरकार में हिस्सेदारी की मांग को लेकर बिजेपी से केंद्र से लेकर महाराष्ट्र में गठबंधन तोड़कर भाग जाने व अपने धुर विरोधी एनसीपी काँग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने की कवायद से जहाँ बीजेपी व फडणवीस को सहानुभूति मिलती दिख रही थी वो अब बिना होमवर्क व तैयारी के फडणवीस को मुख्यमंत्री व अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की आनन फ़ानन में शपथ दिलवाने व अजित पवार के पलटी मारने के बाद फडणवीस के इस्तीफ़े के बाद बीजेपी ने सहानुभूति खोया है।
अब किस मुँह से वह शिवसेना एनसीपी व काँग्रेस को अवसरवादी साबित कर पायेगी क्योंकि उसने भी नम्बर न होते हुए भी सत्ता के लिए ताक़त का अनुचित इस्तेमाल कर आगामी राजनीति के लिए ठीक नही किया।
फ़िलहाल ये देखना दिलचस्प रहेगा कि कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी शिवसेना व घोर सेक्युलर एनसीपी कांग्रेस की नई नई दोस्ती व सरकार महाराष्ट्र में कितने दिनों तक राजपाट सम्भाल पाती है।