★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्विटर,फ़ेसबुक समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगने, सस्पेन्ड होने से भड़की जर्मनी की चांसलर मर्केल}
[मर्केल ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम्पनी के मालिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को तय नही कर सकते,विचारों की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है, इसे किसी भी कीमत पर बाधित नही किया जाना चाहिए]
(अमेरिकी कैपिटल हिल हिंसा के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगने से एक बार फ़िर बहस का मुद्दा बनी “अभिव्यक्ति की आज़ादी”)
♂÷हाल के दिनों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब चैनल को बंद करने से लेकर सस्पेन्ड करने की कार्रवाई को लेकर जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने इन सोशल साइट कम्पनियों पर इसे “बोलने की आज़ादी”पर हमला मानते हुए भड़क उठी हैं।
उन्होंने साफ़ कहा कि बोलने की आज़ादी का दायरा आप नही तय करेंगे, सोशल,मीडिया कंपनियों के मालिक ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ का दायरा तय नहीं कर सकते, ये सिर्फ कानून के माध्यम से कोई चुनी हुई सरकार ही कर सकती है।

सोशल मीडिया कंपनियों से नाराज़ चांसलर एंजेला मर्केल ने।कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मालिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को तय नहीं कर सकते।उन्होंने कहा कि विचारों का स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है और इसे किसी भी कीमत पर बाधित नहीं किया जाना चाहिए,इसे कानून के माध्यम से और विधायिका के परिभाषित ढांचे के भीतर की कम या बंद किया जा सकता है।
इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन के मीडिया ऑफिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म वाट्सऐप को छोड़ने का ऐलान किया है,हाल में ही वाट्सऐप ने नई प्राइवेसी पॉलिसी को जारी किया है जिसे लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर, फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगने के बाद से ही पूरी दुनिया में फिर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छिड़ी हुई है। कई लोग ट्रंप के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कंपनियों के लगाए गए प्रतिबंध की निंदा कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसे भविष्य में होने वाली हिंसा को रोकरने के लिए जरूरी बता रहे हैं। इसके अलावा वाट्सऐप ने नई प्राइवेसी पॉलिसी को जारी किया है, जिसको स्वीकार नहीं करने पर यूजर के अकाउंट को डिलीट भी किया जा सकता है। इस पॉलिसी को स्वीकार करने के बाद यूजर के डेटा को फेसबुक समेत कंपनी के कई प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया जाएगा। जिसके बाद से यूजर्स अपनी डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

जर्मन चांसलर मर्केल ने कहा कि विचारों की स्वतंत्रता प्राथमिक महत्व का एक मौलिक अधिकार है, और इस मौलिक अधिकार के साथ हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।इसमें केवल कानून के माध्यम से और विधायिका द्वारा परिभाषित ढांचे के भीतर ही कुछ किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के प्रबंधन के निर्णय के अनुसार किसी के अकाउंट पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। अमेरिकी संसद में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर ने 9 जनवरी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को स्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। ट्विटर की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर खाते को भविष्य में और हिंसा की आशंका को देखते हुए स्थायी रूप से सस्पेंड किया जाता है।
अमेरिकी संसद में हुई हिंसा को उकसाने के आरोप में फेसबुक ने भी 7 जनवरी को ट्रंप के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था।
फेसबुक के चीफ मार्क जुकरबर्ग ने लिखा था कि ट्रंप को पोस्ट करने की अनुमति देने के जोखिम बस बहुत खतरनाक है।
जुकरबर्ग ने कहा था कि फेसबुक ने राष्ट्रपति ट्रंप के पोस्ट को हटा दिया है क्योंकि हमने फैसला किया है कि उनका प्रयोग आगे हिंसा को भड़काने के लिए हो सकता है।
उधर ट्विटर के द्वारा राष्ट्रपति ट्रम्प का अकाउंट ब्लॉक करने की वजह से ट्विटर के शेयरों में 6% से भी ज्यादे की गिरावट देखी गयी है।मालूम हो कि डोनाल्ड ट्रम्प के ट्विटर अकाउंट पर उनके करोड़ो फॉलोवर थे और ट्रम्प ने घोषणा की है कि वह इन सोशल मीडिया साइट के स्थान पर नए प्रतिद्वंद्वी सोशल मीडिया कम्पनी खड़े करेंगे।
ट्विटर,फेसबुक समेत कुछेक सोशल मीडिया कम्पनियां समय-समय पर अपने फैसलों को लेकर विवादित हो जाती रही है, इन पर कई बार एक तरफ़ा व ख़ास विचारधारा का पक्ष लेते हुए विरोधियों के प्रति काम करने के आरोप लगे हैं।जिसके लिए इन कम्पनियों को कई देशों से व अति महत्वपूर्ण हस्तियों से माफ़ी भी मांगनी पड़ी है तो केस भी दर्ज हुए हैं।
विदित हो कि फ़ेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग, ट्विटर के मार्क डोरसेव व गूगल के सुन्दर पिचाई हैं।