★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{“द केस फॉर रैपिड वैक्सिनेशन ऑफ़ इंडिया-एन्ड द रेस्ट ऑफ़ द वर्ल्ड”लेख में विशेषज्ञ जनों ने मार्च के अंत तक भारत में कोरोना के केसों में आएगी बड़ी गिरावट, जताई उम्मीद}
[एक्सपर्ट्स ने कहा भारत में कोरोना वायरस का पहला चरण हुआ ख़त्म और यह कहना फ़िलहाल कठिन है कि कोरोना के केसों में वृद्धि दोबारा नही होगी]
(विशेषज्ञ दल ने सरकार को दिया सुझाव कि टीकाकरण प्राकृतिक संक्रमण की तुलना में अधिक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करता है)
♂÷देश मे ख़ासकर महाराष्ट्र व केरल में जिस तरह से कोविड 19 कोरोना संक्रमण तेज़ी से बढ़ना शुरू हुआ है उससे देश मे फ़िर एक बार भय का वातावरण बनता जा रहा है,क्योंकि महाराष्ट्र के पुणे,अकोला, यवतमाल, अमरावती जिलों में रात का कर्फ़्यू लगाया जा चुका है।मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी बार-बार नागरिकों से मास्क पहनने व दूरी बनाने का आग्रह करते हुए कहा रहे हैं कि अगर लोगों ने गाइडलाइंस का पालन नही किया तो लाकडाउन जैसे सख़्त कदम उठाने पड़ेंगे।
वहीं इन सबके बीच आयी ख़बर देशवासियों के लिए राहत वाली साबित हो सकती है।

सरकार के विशेषज्ञों के एक पैनल ने संभावना जताई है कि मार्च 2021 के अंत तक भारत में कोरोना वायरस के मामलों में हजारों की संख्या में कमी आ सकती है। सरकारी विशेषज्ञ पैनल के सदस्यों द्वारा लिखे गए एक लेख में उल्लेखित अनुमानों के अनुसार, भारत में सक्रिय कोरोनावायरस के मामले मार्च 2021 के अंत तक हजारों की संख्या में कमी आने की संभावना है।
भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों में तेज गिरावट की भविष्यवाणी करने वाले इस लेख को विज्ञान और प्रौद्दोगिकी विभाग द्वारा स्थापित राष्ट्रीय सुपर मॉडल समिति का हिस्सा रहे विशेषज्ञों ने लिखा है। ‘द केस फॉर रैपिड वैक्सीनेशन ऑफ इंडिया – एंड द रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड’ नामक शीर्षक के इस लेख को चेन्नई गणितीय संस्थान के राजीव एक करंदीकर, सीएसआईआर हेडक्वाटर्स के डॉ. शेखर सी मांडे और आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर ने लिखा है।
विशेषज्ञों द्वार लिखे गए इस लेख के अनुसार, ‘दोनों सीरोलॉजिकल सर्वे और आधुनिक भविष्यवाणियों के अनुसार, भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा वर्तमान में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी में है, जिनमें से कुछ ने प्राकृतिक रूप से कोरोना के खिलाफ प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) प्राप्त कर ली है।’
टीका मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करता है
विशेषज्ञों ने लेख में लिखा है कि कोविड -19 के खिलाफ सबसे विश्वसनीय दीर्घकालिक सुरक्षा टीकाकरण के माध्यम से प्रदान किया जा सकता है। लेख के अनुसार, सबसे विश्वसनीय दीर्घकालिक सुरक्षा टीकाकरण के माध्यम से प्रदान की जाती है। हाल ही में यह सुझाव दिया गया है कि टीकाकरण प्राकृतिक संक्रमण की तुलना में अधिक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करना है और इसलिए यह बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने की कुंजी है।’ लेख आगे कहता है कि, हालांकि यह मुद्दा अभी तक निर्णायक रूप से तय नहीं किया गया है, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण की तुलना में एंटीबॉडी की उपस्थिति वायरस के म्यूटेशन से दोबारा संक्रमण के खिलाफ कम सुरक्षा प्रदान करती है। इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
लेख में यह भी कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस का फिलहाल पहला चरण खत्म हुआ है और यह कहना अभी कठिन है कि कोरोना के केसों में दोबारा वृद्धि नहीं होगी। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस के केसों में वृद्धि देखने को मिली है। लेख के अनुसार, ‘कोविड-19 महामारी की प्रगति पर सार्वजनिक रूप से जारी डेटा के अनुसार, भारत में सितंबर 2020 के आसपास कोरोना के मामले सबसे अधिक बढ़े थे और उसके बाद इन केसों में लगातार कमी देखने को मिली है। लेख कहता है कि इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि भारत में सितंबर 11, 2020 में एक दिन में कोरोना के सर्वाधिक मामले 97,655 सामने आए थे, जबकि फरवरी 2021 के पहले सप्ताह में कोरोना के दैनिक नए मामले 11,924 आए हैं। इससे पता चलता है कि भारत में कोरोना के मामले दोबारा इतनी तेजी से नहीं बढ़ जितने की इटली, यूके और यूएसए में बढ़ रहे हैं। लेखकों ने यह भी कहा कि भारत न केवल अपनी वैक्सीन की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि दुनिया भर के विभिन्न देशों की जरूरतों को भी पूरा कर रहा है।