★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{देश मे सिर्फ़ 5 टीबी सर्जन और सिर्फ यही पर होती हैं सुपर मेज़र सर्ज़री=मेडिकल सुपरिंटेंडेंट}
[देश से टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिए एलोपैथी के साथ होम्योपैथी,आयुर्वेदिक,यूनानी व यौगिक पद्धति भी लेना पड़ेगा साथ कहा चिकित्सा अधीक्षक ने]
(डॉ. ललितकुमार आंनदे का मानना है कि शरीर को ABCDE विटामिन के साथ ही शहद,मूंगफली, चिकन,अंडे, सहजन की सब्जी के प्रयोग से जानलेवा टीबी को पस्त किया जा सकता है)
[2014 में पेरिस तो 2019 में भारत मे हैदराबाद में होगा WHO का सेमिनार जिसमे रखेंगे अपने सुझाव डॉ आंनदे]
♂÷GTB हॉस्पिटल यू तो भले ही ब्रिटिश दासता के दौरान वर्ष 1935 में रमेश प्रेमचन्द् हॉस्पिटल के नाम से अस्तित्व में आया हो और फिर 1946 में ब्रिटिश ग्रुप ऑफ टीबी हॉस्पिटल के तौर पर इस भारत विख्यात हॉस्पिटल को गुरुत्तर जिम्मेदारी देकर इसके तहत मुम्बई के पांच और उन दौर के बड़े अस्पतालों के इसके तहत कार्यरत कर दिया गया हो किन्तु एक बात तो उतने ही तय है कि ये GTB हॉस्पिटल भले ही अंग्रेज़ो के जमाने के हो किन्तु इसके मेडिकल सुपरिंटेंडेंट यानी चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टरललित कुमार डी आनन्दे बिल्कुल अत्याधुनिक वक़्त से बहुत ही आगे की सोच वाले मूर्द्धन्य मनोमस्तिष्क के स्वामी है तभी तो उनसे दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित विज्ञान व वैज्ञानिकों की संस्था नासा भी सम्पर्क रख आने वाले दशकों में होने वाली बीमारियों के बाबत चर्चा ही नही करती वरन उन बीमारियों से बचाव के तहत उपायों व औषधियों के तहत योजनाएं भी बनाती है और उनकी सलाह को भरपूर तवज्जों भी देती है।
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ आनंदे कहते है कि उनको बेहद शर्म महसूस होता है कि अपना भारत देश टीबी यानी क्षयरोग के क्रमांक में 2014 में पेरिस में हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सम्मेलन में सबसे ज्यादे रोगियों वाले देश के रूप में सबसे ऊपर इंडेक्स में काबिज़ था जबकि उसके नीचे यानी अच्छी दशा में चीन-नाइजीरिया-पाकिस्तान था।
डॉ आनंदे बताते है कि उक्त सम्मेलन में भारत की बीमार गाँव की महिला के फ़ोटो को प्रदर्शित करने के बाद उन्होंने द्रवित होकर WHO को पत्र लिखकर कड़ा विरोध जताया था देश की छवि पर आघात करने के लिए।
चिकित्सा अधीक्षक ने जानकारी दी कि आगामी विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)के सम्मेलन भारत के हैदराबाद में आयोजित है जिसमे वह किस तरह व किन औषधियों के साथ किन तरह के बेहद सस्ते व प्राकृतिक तरीके अपना कर जानलेवा हो जाने वाले टीबी रोग को कमतर कर खत्म किया जा सके इस पर अपने शोध व सुझाव रखेगे।
जीटीबी अस्पताल अधीक्षक ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि देश मे आज भी टीबी के रोगियों को जान जाते है तो लोग एक तरह से उनसे दूरी भी बनाते है और उनसे ही नही बल्कि उनके परिवार व बच्चों से भी मिलना जुलना बन्द से कर देते है ये मरीज़ो व उनके परिजनों के लिए पीड़ादायक वक्त होते हैं, इसीलिए जिनको टीबी मर्ज की शिकायत होती है तो वह सरकारी अस्पताल में आने से कतराता है व निजी अस्पतालों में जाना पसंद करते है जबकि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं व चिकित्सा व्यवस्था बेहद सस्ती व बेहतर होती है।
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने जानकारी दी कि अगर टीबी मर्ज को देश मे समाप्त करना है तो सभी पैथियों को चाहे वो एलोपैथी हो आयुर्वेदिक हो होमिओपेथी हो यूनानी हो हकीमी हो या फिर यौगिक क्रिया वाली हो सबकी खूबियों का सम्मिलित उपयोग करके देश ही नही बल्कि दुनियाभर के जिन देशों में टीबी रोग के कोप है को जड़ से समाप्त किया सकता है आने वाले कुछेक वर्षो में।
चिकित्सा अधीक्षक ने समझाया कि रोगी हो या निरोगी सभी लोग अगर ABCDE विटामिन को पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक व औषधीय तरीके से शरीर को देते रहे तो टीबी क्या उनको शायद ही कोई बड़े मर्ज छू पाए।
डॉ आनंदे कहते है कि प्रकृति ने इतना बेशुमार चीजें मुहैया कराई है कि इंसान अपने को उनके उपयोग से चुस्त दुरुस्त रह सकता है और उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता को काफी मजबूत किया जा सकता है जैसे सूरज की सुबह की धूप, सहजन की सब्जी व सहजन के पत्ते को सुखाकर उसका पावडर बनाकर प्रतिदिन एक चम्मच पीने से ही टीबी रोग समाप्त भी हो जाएंगे और अन्य रोगों मे भी ये बढ़िया दवा के रूप में काम करते है,शहद भी बेहतरीन रोगप्रतिरोधक होते है इसीलिए जब बच्चे होते है तो कुछ वर्षों तक उनको शहद चटायें जाते है गांवो में जिनको हम भूलते जा रहे है ।
डॉ आंनदे सलाह देते है कि जिनको टीबी रोग की शिकायत हो उनको मुँह पर रुमाल रख कर ही छीकने व खाँसने चाहिए क्योंकि एक बार की छीक व खाँसने से वातावरण में अरबो-खरबो की संख्या में वायरस फैलते है जो अपने आसपास के लोगो के अंदर प्रवेश कर जाते है और फिर वर्षो बाद वह चपेट में ले लेते है।
जीटीबी हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य में सिर्फ़ यही पर टीबी से बुरी तरह से प्रभावित मरीजो की सर्ज़री की जाती है और टीबी के सिर्फ 5 ही सर्जन है पूरे देश में।
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ आनंदे बताते है कि अंग्रेजो ने इस अस्पताल के तहत मुम्बई के पाँच और टीबी हॉस्पिटल को मातहत किया था जो कि डॉकयार्ड रोड स्थित नवाब टैंक टीबी हॉस्पिटल जो 1860 में बना था,दूसरा ग्रांट रोड स्थित बलाराम स्ट्रीट टीबी क्लिनिक, तीसरा चरनीरोड स्थिति प्रिंसेज स्ट्रीट क्लिनिक,चौथा दादर स्थि त आरबी टीबी क्लिनिक व पांचवा खार स्थिति आरडी टीबी क्लिनिक या उसको मुन्शी टीबी क्लिनिक भी बोलते है।
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने जानकारी दी कि इन पांचों अस्पतालों में से नवाब टैंक व प्रिंसेज स्ट्रीट क्लिनिक बन्द हो चुके है।
डॉ आनंदे ने बताया कि चाहे सरकारी हो या फिर निजी जब बेहद गम्भीर दशा हो जाती है रोगियों की तब उनको इस अस्पताल में रिफर कर दिया जाता है क्योंकि यही पर ही टीबी के मरीजों के ऑपरेशन किये जाते है।
इस जीटीबी अस्पताल में 2 कैम्पस है जिनमे बहादुर जी ब्लॉक में MDR पेशेंट रखे जाते है तो एक मे सुपर मेजर सर्ज़री के मरीज़ो को एडमिट किया जाता है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने जानकारी दी कि नासा की चीफ़ डायटीशियन जो मूल रूप से पोलिश है डॉ ओला ने उनसे संपर्क किया व इस मर्ज को समाप्त करने के बाबत किन फूड को सर्वाधिक कारगर पाया गया है उसपर चर्चाएं हुई है व शोधकार्य चल रहे है,डॉ ओला का कहना है कि धरती पर सबसे ज्यादे प्रतिरोधक क्षमता वाले फूड काई माने जाते है जो कि पानी जब एक तरह से सड़कर हरे रंग के होते है तो उनमें काई पैदा होते है,जो अंतरिक्ष यात्री जब अंतरिक्ष मे महीनों जाकर रहते है तब उनको इसी सुपर फूड का इस्तेमाल करना पड़ता है जिससे कि वो स्वास्थ्य को संभाले भी रहते है व उनकी अंतरिक्ष मे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता उच्च स्तर पर बनी रहती है,इस सुपर फूड पर नासा रिसर्च कर रहा हैं और आने वाले वर्षों मे इसे दुनियाभर में दवा के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने जानकारी दी कि महाराष्ट्र में सर्वाधिक टीबी के मरीज़ मुम्बई शहर में है,और इन सरकारी अस्पतालों में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा,डॉक्टर व सर्जन उपलब्ध है।
अस्पताल में चिकित्सकों के 59 पदों के सापेक्ष वर्तमान में 29 डॉक्टर ही सारी चिकित्सा का भार सम्भाले हुए है 30 पद रिक्त चल रहे है।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में सादर आमंत्रित किये जाने वाले चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर ललितकुमार आंनदे बताते है कि मोदी सरकार ने देश मे टीबी को कम करने व ख़त्म करने के प्रयास तेज किये है जिनका अच्छा नतीजा आने वाले कुछ सालों में दिखना शुरू हो जायेगा, बजट में भी इज़ाफ़ा हो रहा है,जिससे दुश्वारियों में कमी आ रही है।
इस अस्पताल की महत्ता व उपयोगिता इसी से जानी जा सकती है कि जब हर तरफ़ से निराश हो जाते है नामी गिरामी टीबी के रोगी तो उन्हें यही अस्पताल ठीक भी कर देता है, कुछ वर्षों पूर्व सुपर स्टार सलमान खान की हेरोइन रही वीरगति फ़िल्म की अभिनेत्री को भी जानलेवा टीबी की बीमारी हो गयी थी जिसको डॉ ललितकुमार आनंदे ने ही इलाज़ कर टीबी मुक्त कर ठीक किया था।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ आनंदे का मानना है कि चाहे वो रोगी ही क्यों न हो उसको भी खुशहाल जीवन जीने का हक़ है ऐसे में हम लोग अपने अस्पताल में आये दिन मरीज़ो को हल्के फुल्के खुशहाल माहौल देने के लिए गीत संगीत तक के छोटे मोटे व्यक्तिगत आयोजन करते है जिनसे उनके मनोमस्तिष्क में जीवन के प्रति लालसा व रोग से लड़ने की अंदुरुनी जज़्बे पैदा होते है।