★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{सीएम व सरकार के लिए “मातोश्री” से बाहर निकल एनसीपी काँग्रेस नेताओं से जाकर मिल रहे हैं उद्धव,आदित्य ठाकरे}
[बाला साहब ठाकरे के दौर में अटल,आडवाणी,पवार,प्रणव मुखर्जी,सुषमा स्वराज,अरुण जेटली,देशमुख, रजनीकांत, माइकल जैक्सन समेत दिग्गज मत्था टेकते रहे”मातोश्री”]
(महाराष्ट्र के”सरकार”माने जाते रहे बाला साहब ठाकरे,चलती थी “मातोश्री”के इशारे पर कभी मुम्बई महाराष्ट्र)
♂÷महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के लिए बहुत कुछ बदल गया। पार्टी ने चुनाव के बाद ना सिर्फ अपना अजेंडा बदला बल्कि उसने अब अपना काम करने का तरीका भी बदल दिया है। पहली बार ठाकरे परिवार से आदित्य ठाकर चुनाव में उतर कर विधायक बने हैं। अब शिवसेना अपने मुख्यमंत्री बनवाने के लिए उस कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बनाने के प्रयास कर रही है जिसके कट्टर विरोधी राजनीति करते रहे शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे।
कौन नही जानता कि एक वो भी दिन शिवसेना के थे जब अटल विहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, शरद पवार, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, प्रमोद महाजन, विलासराव देशमुख और रजनीकांत,माइकल जैक्सन जैसी शख्सियतें ‘मातोश्री’ जाकर बाला साहब ठाकरे से मुलाकात किया करती थीं। उस जमाने में ‘मातोश्री’ की हनक व धमक पूरे देश मे महसूस की जाती थी और वह राजनीति का पावर सेंटर हुआ करता था ख़ासकर महाराष्ट्र में निर्विवाद रूप से।
2012 के राष्ट्रपति चुनाव में काँग्रेस के उम्मीदवार के रूप में प्रणव मुखर्जी ने भी शरद पवार के साथ ‘मातोश्री’ जाकर खुद के लिए समर्थन मांगा था जिस पर बाल ठाकरे ने एनडीए में होने के बाद भी प्रणव मुखर्जी के पक्ष में शिवसेना के वोट डलवाये थे।
अब बीजेपी और एनडीए से रिश्ते तोड़ने के बाद परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं।पहली बार ठाकरे परिवार के सदस्य आदित्य ठाकरे चुनाव लड़कर विधायक बन चुके हैं तो वहीं शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाने के प्रयासों में लगी अपने धुर विरोधियों कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत के लिए उनके दरवाज़े पर जा रही है। सीएम की कुर्सी की खातिर शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे खुद मातोश्री से बाहर आए और उन्होंने होटेल में जाकर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की।
सोमवार को उद्धव ठाकरे ने ने बांद्रा के होटेल ताज लैंड्स में शरद पवार से मुलाकात करके इस नए गठबंधन की सरकार की संभावनाओं पर चर्चा की। शिवसेना की राजनीति के बारे में समझ रखने वाले कई लोगों का कहना है कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में भी यह कभी नहीं हुआ करता था कि उद्धव ‘मातोश्री’ से बाहर जाकर किसी से मिलें।
यही नहीं शिवसेना के दूत अब दिल्ली जाकर भी अहमद पटेल या अमित शाह जैसे नेताओं से मुलाकात करने लगे हैं। शिवसेना के बारे में लिखने वाले एक पत्रकार ने बताया कि दादर (शिवसेना ऑफिस से) से दिल्ली तक ठाकरे अब बहुत आगे आ चुके हैं। बुधवार को भी उद्धव ठाकरे ने अहमद पटेल और अशोक चव्हाण सरीखे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से होटेल ट्राइडेंट में मुलाकात की। इसके अलावा नरीमन पॉइंट स्थित वाई बी चव्हाण सेंटर और शरद पवार का घर राजनीतिक हलचल का केंद्र बना हुआ है।
कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी फोन पर बातचीत की। बता दें कि लंबे समय तक खुद बाला साहब ठाकरे और शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने सोनिया गांधी के इटली मूल के होने पर लगातार हमले किए हैं तो वहीं उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी को भी नही छोड़ा था। इस सबके बारे में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘शिवसेना के जहाज ने कम से कम जमीन तो छू ही ली है। उसने यह तय किया है कि अगर सीएम के पद के लिए उसे एनसीपी-कांग्रेस के दरवाजे पर भी खड़ा होना पड़े तो वह जाएगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दो बार ‘मातोश्री’ गए थे।शरद पवार और अहमद पटेल को अगर शिवसेना का समर्थन भी चाहिए होगा तो वह कभी मातोश्री नहीं जाएंगे।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, ‘पांच साल सरकार चलाने के दौरान संतुलन बनाए रखने के लिए देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से लगातार मुलाकात की लेकिन ठाकरे परिवार को अब अपने नए सहयोगियों के साथ प्रोटोकॉल का ख्याल रखना होगा। अब उन्हें असली खेल समझ आएगा।’