★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
[महाराष्ट्र से आने वाले मुकुल वासनिक यूथ काँग्रेस अध्यक्ष रहने के साथ ही मनमोहन सरकार में थे मन्त्री,गाँधी परिवार के है विश्वासपात्र]
{ज्योतिरादित्य सिंधिया,मिलिन्द देवड़ा 370 पर पार्टी लाइन से इतर मोदी सरकार के फ़ैसले पर थे साथ तो सचिन पायलट सिमटे रहे हैं राजस्थान तक}
(गाँधी परिवार के ख़ास मल्लिकार्जुन खड़गे 14वी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ मनमोहन सरकार में रहे मन्त्री किन्तु उम्र आ सकती है आड़े)
[सभी नेता राहुल से अध्यक्ष बने रहने की मांग करेंगे न मानने पर गाँधी परिवार पर ही छोड़ेंगे अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी]

♂÷ज्योतिरादित्य सिंधिय और सचिन पायलट कांग्रेस अध्यक्ष की पद से लगभग बाहर हो गए हैं
कांग्रेस के नए अध्यक्ष की रेस में महाराष्ट्र के युवा कांग्रेस नेता और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे मुकुल वासनिक का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है क्योंकि वासनिकगाँधी परिवार के वफ़ादार होने के साथ ही सांगठनिक क्षमता के धनी होने के साथ ही युवानेता है और उससे भी बड़ी बात उनके पक्ष में ये है कि आगामी कुछ ही महीनों में कुछेक राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य है देश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले महाराष्ट्र की,महाराष्ट्र वासनिक का गृहप्रदेश है।

ऐसे में भरपूर सम्भावना यही है कि गाँधी परिवार व उनकी इच्छाओं को सिरमाथे पर रखने वाली काँग्रेस अपना नया अध्यक्ष वासनिक को ही चुन सकती है।
वहीं ऐसी भी खबर मिल रही है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और गांधी परिवार के वफादार मल्लिकार्जुन खड़गे भी रेस में बने हुए हैं,वासनिक और खड़गे दोनों दलित नेता हैं।वासनिक पूर्व में यूथ कांग्रेस के प्रमुख और यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं, जबकि खड़गे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और कर्नाटक से आते हैं खड़गे मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री और 14वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
हालांकि, दोनों ही नेताओं को पिछले लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस का अगला अध्यक्ष तय करने के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक फिर से शुरू हो गई है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में शनिवार को नेताओं के पांच समूह बनाए गए थे, जिन्होंने देश भर के नेताओं से रायशुमारी की,इन पांच समूहों की रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी में पेश की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक लगभग सभी नेताओं ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बने रहने की मांग की है। राहुल के विकल्प पर नेताओं ने ये भी कहा है कि नया अध्यक्ष राहुल गांधी या फिर सीडब्ल्यूसी तय कर दें।राहुल के नहीं मानने की स्थिति में कुछ नेताओं ने अध्यक्ष के लिए प्रियंका गांधी का नाम भी लिया,वहीं कुछ नेताओं ने मुकुल वासनिक और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी लिया है।

पार्टी नेताओं से बात करने पर संकेत मिल रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट कांग्रेस के नए अध्यक्ष पद की रेस से अब करीब-करीब बाहर हो गए हैं। अगर बात करें सचिन पायलट की तो किसी भी प्रदेश ने खुलकर सचिन पायलट का नाम नहीं लिया है, जबकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया को त्रिपुरा का समर्थन मिला है,त्रिपुरा यूथ कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम को आगे बढ़ाया है।
जानकारों का मानना है कि वासनिक के पास एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस और संगठन में काम करने का अनुभव है इसलिए पार्टी के दूसरे नेता भी वासनिक को तरजीह दे रहे हैं।मौजूदा दौर के किसी भी नेता में मुकुल वासनिक जैसा संगठन चलाने का अनुभव नहीं है।अगर कुछ नेताओं को थोड़ा-बहुत भी अनुभव रहा है तो वह राज्य स्तर तक ही सिमटे हुए हैं।राष्ट्रीय स्तर पर वासनिक जैसा काम करने का अनुभव किसी भी युवा नेता के पास फिलहाल नहीं है।
वासनिक के पास एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस और संगठन में काम करने का अनुभव है इसलिए पार्टी के दूसरे नेता भी वासनिक को तरजीह दे रहे हैं।
वासनिक के पक्ष में सरकार और संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है, मुकुल वासनिक करीब 17 सालों तक पार्टी के महासचिव पद पर भी रह चुके हैं. उन्हें गांधी परिवार का नजदीकी माना जाता है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मुकुल वासनिक का अध्यक्ष पद बनना लगभग तय हो गया है और हालात भी कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।
बता दें कि कुछ दिन पहले तक ज्योतिरादित्य सिंधिया को अध्यक्ष पद की दौर में सबसे आगे बताया जा रहा था, लेकिन हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाक्रम घटित हुए हैं, जिससे सिंधिया इस रेस में पिछड़ गए। कुछ नेताओं का मानना है कि सिंधिया पिछला लोकसभा चुनाव हारने बाद मध्यप्रदेश पर ज्यादा फोकस दे रहे हैं। दिल्ली के 27 सफदरजंग रोड के बंगले को छोड़ने के बाद सिंधिया की सक्रियता भोपाल में ज्यादा दिखाई दे रहा है।
खड़गे मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री और 14वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
दूसरी बात यह भी है कि पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अनुच्छेद 370 और 35A पर कांग्रेस पार्टी से अलग हट कर राय दी थी।सिंधिया ने आर्टिकल 370 और 35A के समर्थन में खुल कर राय जाहिर की थी। कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि अगर सिंधिया जैसे नेता जब खुलकर ट्वीट कर रहे हैं तो यह पार्टी के लिए असमंजस वाली स्थिति हो जाती है। सिंधिया, राहुल गांधी के करीबियों में से एक हैं और उनका इस तरह से खुलकर आना पार्टी के लिए अच्छा नहीं है।सिंधिया के ट्वीट के बाद से ही यह कयास लगने लगे थे कि शायद ही वह अब कांग्रेस अध्यक्ष पद बन पाएं।
बता दें कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद लंबे समय से खाली पड़ा है। पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने को लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक लगातार चल रही है।इस मीटिंग से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद को अलग रखा है। सीडब्ल्यूसी की मीटिंग रात 9 बजे तक चलेगी।पूरी संभावना है कि रात 9 बजे तक कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाए।
वासनिक के पास एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस और संगठन में काम करने का अनुभव है इसलिए पार्टी के दूसरे नेता भी वासनिक को तरजीह दे रहे हैं।
अगर बात सचिन पायलट की करें तो वह अनुच्छेद 370 और 35 A पर पार्टी आलाकमान के साथ हैं। इसके बावजूद वह कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शामिल नहीं हैं। पार्टी को काफी दिनों से कवर करने वाले एक पत्रकार कहते हैं,कि ‘वह युवा हैं लेकन उनका राजस्थान से बाहर संगठन में काम करने का कोई अनुभव नहीं है फिलहाल कांग्रेस पार्टी को एक ऐसे नेता की जरूरत है जिसका पार्टी संगठन में जबरदस्त पैठ हो। इस लिहाज से सचिन पायलट का ग्रासरूट लेवल पर देश के अन्य राज्यों में पकड़ नहीं के बराबर है। दूसरी अगर सचिन पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाता तो राहुल गांधी का रबर स्टंप का तमगा लग जाता।
कांग्रेस ने लोकसभा और राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर विरोध किया था. लेकिन, सिंधिया ने इसके बावजूद ट्वीट करके आर्टिकल 370 हटाने का समर्थन कर दिया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के मसले पर पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने मोदी सरकार के फैसल का समर्थन किया था।