★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{शिवसेना सांसद ने कहा कि शिवसेना का बीजेपी नीत गठबंधन में बने रहना जरूरी लेकिन सम्मान से समझौता किये बगैर}
[बीजेपी विधायकों ने फडणवीस को चुना है अपना नेता तो गुरुवार को शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायक भी चुनेंगे अपना विधायक दल नेता]
(शिवसेना 50-50 फार्मूले के तहत आदित्य ठाकरे को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी से कर रही थी दो-दो हाथ किन्तु राउत के बयान दे रहे सँकेत मिल गया सरकार बनाने का फार्मूला)
♂÷महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही रस्साकशी का अंत होने के संकेत मिलने लगे हैं।शिवसेना नेता संजय राउत की ओर से आए बयान में ऐसा संदेश मिलता दिख रहा है।साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि बीजेपी के साथ शिवसेना का गठबंधन टूटा नहीं है।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि व्यक्तिगत फायदा मायने नहीं रखता, राज्य जरूरी है। जिससे यह माना जा रहा है कि बीजेपी और शिवसेना को सत्ता में सहयोग का फॉर्मूला मिल चुका है।
संजय राउत ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र के वृहद हित में पार्टी के लिए भाजपा नीत गठबंधन में बने रहना जरुरी है लेकिन ‘सम्मान’ से समझौता किए बगैर। उन्होंने कहा कि अगली सरकार बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं है और उन्होंने उन कयासों को खारिज कर दिया कि अगर नई मंत्रिपरिषद के गठन में देरी होती है तो शिवसेना बंट सकती है।पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि राज्य के हित में शिवसेना के लिए भगवा गठबंधन में बने रहना जरुरी है लेकिन ‘सम्मान’ भी महत्वपूर्ण है।
शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा है कि सरकार बनाने का दावा करने वाले पक्ष को सदन में 145 सीटों की जरूरत होगी मात्र इतना ही मायने रखता है। इसके बाद कोई भी नेता, विधायक महाराष्ट् का मुख्यमंत्री बन सकता है। गवर्नर उन्हें आमंत्रित करेंगे, जिनके पास भी 145 सीटों का आंकड़ा होगा लेकिन उन्हें भी फ्लोर पर अपना बहुमत सिद्ध करना होगा,साथ ही उन्होंने कहा है कि बीजेपी के साथ उनका गठबंधन चल रहा है।
हालांकि संजय राउत ने यह भी कहा है, ‘महाराष्ट्र की कुंडली तो हम ही बनाएंगे कुंडली में कौन सा ग्रह कहां रखना है और कौन से तारे जमीन पर उतारने हैं, किस तारे को चमक देना है, इतनी ताकत आज भी शिव सेना के पास है।
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायक गुरुवार को विधायक दल का नेता चुनने के लिए दादर स्थित शिवसेना भवन में आयोजित बैठक में शामिल होंगे जहाँ पर विधायक दल का नेता का चुनाव होना है।आदित्य ठाकरे को ही नेता चुने जाने की सर्वाधिक सम्भावना व्यक्त की जा रही।
उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना का अगली सरकार में सत्ता बंटवारे को लेकर सहयोगी भाजपा के साथ 24 अक्टूबर से ही खींचतान चल रहा है, जब चुनाव परिणाम घोषित हुए थे शिवसेना भाजपा के साथ समान अवधि के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है। मालूम हो कि वरिष्ठ नेता एवं मंत्री एकनाथ शिंदे निवर्तमान विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता हैं।
एक अन्य घटनाक्रम में बीजेपी ने बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को फिर से विधायक दल का नेता चुन लिया। इस बीच सूत्रों ने बताया कि दो निर्दलीय विधायकों मंजुला गावित और चंद्रकांत निंबा पाटिल ने बुधवार को ठाकरे से मुलाकात के बाद शिवसेना को समर्थन देने की घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि पाटिल ने हाल के चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की पुत्री रोहिणी खड़से को हराया है।
शिवसेना ने चुनाव में 56 सीटें जीती हैं और अभी तक गावित और पाटिल सहित छह विधायकों का समर्थन हासिल कर चुकी है इससे 288 सदस्यीय विधानसभा में उसकी संख्या बढ़कर 62 हो गई है।
वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में 105 सीटें जीतने वाली भाजपा को कम से कम छह विधायकों का समर्थन हासिल हुआ है जिसमें से अधिकतर पार्टी के बागी हैं जिन्होंने निर्दलीयों के तौर पर चुनाव लड़ा था भाजपा और शिवसेना के बीच बारी..बारी से मुख्यमंत्री के मुद्दे पर वाकयुद्ध चल रहा है।
ठाकरे का दावा है कि ऐसी व्यवस्था पर उस फार्मूले के दौरान सहमति बनी थी जिस पर उन्होंने, फडणवीस और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच 2019 चुनाव से पहले चर्चा हुई थी,हालांकि फडणवीस के इस बयान से नाराज होकर कि शिवसेना को कभी भी समान अवधि के लिए मुख्यमंत्री पद का वादा नहीं किया गया था, ठाकरे ने भाजपा के साथ सत्ता बंटवारे को लेकर बातचीत रद्द कर दी थी।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि शिवसेना ने अपने सख़्त तेवर व बड़ी मांग की बदौलत महाराष्ट्र की सत्ता में इस बार ज्यादे हिस्सेदारी हासिल करने में सफ़ल रहेगी तो वही केंद्र सरकार में भी आने वाले दिनों में शिवसेना की भागीदारी बढ़ सकती है।