★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा राज्यसरकार की सलाह पर राष्ट्रपति हटा सकते हैं अनुच्छेद 35A}
[डोभाल के दौरे के बाद 100 कम्पनियों की तैनाती व गृहमन्त्री अमित शाह के तेवर देख कश्मीरी नेताओँ की बयानबाजी हो गयी तेज़]
{महबूबा मुफ़्ती, फारुख,उमर अब्दुल्ला व फैसल ने भी तीखे बयान देकर मोदी सरकार को चेताया कि न हो छेड़छाड़}
♂÷जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की खबर मिलते ही घाटी में हलचल का माहौल है घाटी के राजनीतिक दल लगातार धमकी भरे अंदाज में बयानबाजी कर रहे है।
जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की खबर मिलते ही घाटी में हलचल का माहौल है। राजनीतिक दल लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।
इस बीच हर किसी का ध्यान अनुच्छेद 35A की तरफ जा रहा है।सवाल है कि क्या केंद्र सरकार इस पर कोई बड़ा फैसला लेने जा रही है क्या इस वक्त घाटी से 35A हटा पाना संभव है, इस पर विशेषज्ञों की भी अपनी एक राय है।
संविधान के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि अनुच्छेद 35A राष्ट्रपति के द्वारा जारी किया गया एक आदेश ही है. ऐसे में अगर इसे हटाना होगा तो सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश की ही जरूरत होगी. हालांकि, राज्य सरकार की सलाह इसमें काम करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि अभी क्योंकि राज्य में कोई सरकार नहीं है और राष्ट्रपति शासन लागू है. यानी अगर सलाह देनी होगी तो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ही सलाह देंगे।सुभाष कश्यप कहते हैं कि 35-A को हटाने का फैसला पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है, लेकिन सरकार पर ये निर्भर होगा कि वह राजनीतिक फैसला लेंगे या नहीं।
गौरतलब है कि तीन दिनों पूर्व NSA अजित डोभाल अचानक घाटी के दौरे पर जा पहुँचे थे।वहाँ पर डोभाल ने राज्यपाल समेत सेना व पुलिस के आला अधिकारियों से मुलाकात कर घाटी के वर्तमान हालात की जानकारी ली थी।
डोभाल के वापस आते ही केंद्र सरकार ने घाटी में 10000 जवानों की तैनाती के आदेश जारी कर दिए जिससे पूरे देश में ये चर्चा गर्म हो गयी है कि क्या मोदी सरकार जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 35A हटाने तो नहीं जा रही है।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इससे छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने जैसा साबित होगा तो नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुख व उमर अब्दुल्ला व आईएएस से नेता बने फैसल खान ने भी बुरे परिणाम की चेतावनी दी है। जम्मू-कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजे गए हैं, जिसके बाद स्थानीय नेताओं ने केंद्र सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं।
बता दें कि 35A से जुड़ा मामला सर्वोच्च अदालत में भी चल रहा है।हालांकि, इसपर फैसला अभी आया नहीं है. अनुच्छेद 35-A के खिलाफ 5 साल पहले वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी।
विदित हो की सदन में भी गृहमन्त्री अमित शाह ने अनुच्छेद 35A व धारा 370 को लेकर मोदी सरकार की नीयत साफ़ कर दी है कि ये सब आने वाले दिनों सरकार ख़त्म कर जम्मू कश्मीर को देश की मुख्यधारा के साथ लेकर चलेगी।