★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{30 साल भारतीय सेना में सूबेदार रहे सनीउल्लाह को मिल चुके है राष्ट्रपति पदक व रहे थे मानद लेफ्टिनेंट}
[असम के विदेशी न्यायाधिकरण ने भारतीय नागरिकता के पूर्ण कागज़ात पेश न कर पाने के चलते किया विदेशी घोषित]
(सीमा पुलिस में ASI मोहम्मद सनीउल्लाह को परिवार सहित भेजा गया गोलपारा जनपद के नजरबन्दी शिविर)
[वह भारतीय नागरिक है और नागरिकता संबन्धी सभी आवश्यक दस्तावेज है मेरे पास,बेटी करेगी कोर्ट में अपील कहा सनीउल्लाह ने]
{मतदाता सूची में”डी”(सन्दिग्ध)मतदाता के रूप में सनीउल्लाह का नाम 2008 मे एक मामले के बाद सूचीबद्ध कोर्ट के फैसले के बाद हुआ है=SP संजीब सैकिया}
♂÷भारतीय सेना में 30 साल सेवा देने वाले एक रिटायर्ड सैनिक को ‘विदेशी’ घोषित कर दिया गया है। असम के मोहम्मद सनाउल्लाह लंबे वक्त तक सेना में सूबेदार रहे,उन्हें सेना ने मानद लेफ्टिनेंट भी बनाया था,लेकिन असम के विदेशी न्यायाधिकरण ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया है क्योंकि सनीउल्लाह ने भारतीय नागरिकता सम्बन्धी सभी कागज़ात नहीं पेश कर पाए है जिस पर उनको विदेशी घोसित कर परिवार समेत नजरबन्दी शिविर में भेज दिया गया है।उधर वह कहते हसि की उनके पास कागजात है तो उनकी बेटी ने शिविर में जाने से पहले कहा कि वह इस मामले को असम हाइकोर्ट में लेकर जाएगी। न्यायाधिकरण के फैसले के बाद सनाउल्लाह को हिरासत में ले लिया गया है।
सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने वाले ट्राइब्यूनल के सदस्य और वकील अमन वादुद ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी इसमें उन्होंने रिटायर्ड सैनिक को लेकर लिए गए फैसले की एक वजह का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, ‘सनाउल्लाह 1986 की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं थे। वे तब 19 साल के थे, वहीं, 1989 में वोट डालने के लिए जरूरी उम्र 21 से 18 हो गई थी।
असम में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित एक पूर्व सेना अधिकारी को बुधवार को ‘विदेशी’ घोषित कर हिरासत में ले लिया गया। भारतीय सेना में 30 साल सेवा दे चुके मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया है। विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह और उनके परिवार को नजरबंदी शिविर में भेजा गया।
कामरूप जिले के बोको थाना क्षेत्र के कोलोहिकस गांव निवासी और अब सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) के पद पर कार्यरत मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी न्यायाधिकरण, कामरूप द्वारा ‘विदेशी’ घोषित किया गया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
कामरूप जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया के मुताबिक, मतदाता सूची में ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाता के रूप में सनाउल्ला का नाम सूचीबद्ध होने के बाद वर्ष 2008 में वहां दर्ज एक मामले के बाद आया था। न्यायाधिकरण के फैसले के बाद, सैकिया ने कहा कि पुलिस निर्धारित प्रक्रिया के मुताबिक, सनाउल्लाह को ले गई और उन्हें गोलपारा जिले के नजरबंदी शिविर में भेज दिया गया है।
30 साल तक सेना में रहे सनाउल्लाह
सनाउल्लाह ने शिविर में जाने से पहले पत्रकारों से कहा कि वह एक भारतीय नागरिक हैं और उनके पास नागरिकता संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने देश की सेना में 30 वर्षों (1987-2017) तक इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एक अधिकारी के रूप में सेवा की और 2014 में राष्ट्रपति के पदक से सम्मानित किया गया।
असम पुलिस में एएसआई के पद पर हैं कार्यरत
सनाउल्लाह ने कहा कि उन्होंने जिले के बोको में चंपो पारा गवर्नमेंट हाई स्कूल से हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एचएसएलसी) की परीक्षा पास की थी और सेना से रिटायर होने के बाद वह पिछले वर्ष से सीमा पुलिस में एएसआई के पद पर कार्यरत हैं।
‘कोर्ट में करेंगे अपील’
उनकी बेटी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पिता ने न्यायाधिकरण को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे, जिसमें मतदाता कार्ड और पैतृक संपत्ति के दस्तावेज शामिल थे। उनके परिजनों ने कहा कि वह न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील करेंगे।