★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{मालदीव के विदेशमंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने श्रीलंका सरकार के आदेश की कोरोना से मरने वाले के शवों को जलाया जायेगा, जिससे संक्रमण रोकने में मिलेगी मदद पर की है टिप्पणी}
[संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद शौहिद ने मालदीव के एलान की आलोचना करते कहा कि इससे श्रीलंका के मुसलमान देश मे पड़ जायेंगे अलग-थलग]
♂÷श्रीलंका की सरकार ने मार्च महीने में कोविड-19 से मरने वाले लोगों का दाह संस्कार करने का आदेश लागू किया था। श्रीलंका में कोरोना से मौत के बाद मुस्लिमों का भी अंतिम संस्कार इस्लामिक रीति-रिवाज के बजाय शवों को जलाकर किया जा रहा है। श्रीलंका की सरकार का कहना है कि शवों को जलाने से कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन में कोरोना पीड़ितों के अंतिम संस्कार को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।अब इस पूरे प्रकरण में मालदीव की भी एंट्री हो गई है।मालदीव ने ऐलान किया है कि वो श्रीलंका में कोरोना से मरने वाले मुसलमानों के शवों को अपने यहां दफनाने के लिए तैयार है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यकर्ता ने मालदीव के इस ऐलान की कड़ी आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि अहमद शौहीद ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा है कि मालदीव की इस तरह की घोषणा से श्रीलंका के मुसलमान और अलग-थलग पड़ जाएंगे।
बौद्ध-बहुल आबादी वाले श्रीलंका की सरकार ने एक आदेश जारी करके कोविड से मौत के बाद शवों को जलाना अनिवार्य कर दिया था। इस्लाम में शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया जाता है और सरकार के इस आदेश को लेकर मुस्लिम समुदाय ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। श्रीलंका के मुसलमान काफी समय से ये मांग कर रहे हैं कि कोविड पीड़ित परिजनों की मौत के बाद उनके इस्लामिक तौर-तरीके से अंतिम संस्कार की इजाजत मिलनी चाहिए।
मालदीव सुन्नी बहुल देश है और श्रीलंका का पड़ोसी भी है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने सोमवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की अपील पर विचार कर रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका ने अपील की है कि मालदीव अपने यहां श्रीलंका में कोविड से मरने वाले मुस्लिमों का अंतिम संस्कार इस्लामिक तौर तरीके से करने की इजाजत दे दे।ट्विटर पर शाहिद ने लिखा, हमारी इस मदद से श्रीलंका के मुस्लिम भाई-बहनों को राहत मिलेगी जो अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए परेशान हो रहे हैं.
हालांकि, यूएन राइट्स एक्सपर्ट्स ने मालदीव के रुख को चिंताजनक बताया है।
यूएन एक्सपर्ट शाहिद ने अलजजीरा को दिए बयान में कहा, ऐसा लगता है कि ये अनुरोध मुस्लिम समुदाय या उनकी सहमति से नहीं किया गया है।इससे श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय और हाशिए पर आ जाएगा।उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन कोविड-19 से मौत के मामले में दफनाने और जलाने दोनों तरीके से अंतिम संस्कार की अनुमति देती है।
श्रीलंका में मुस्लिमों की आबादी लगभग 2 करोड़ है और कुल आबादी का 10 फीसदी है। साल 2009 में तमिल अलगाववादियों और सेना के बीच दशकों लंबे गृहयुद्ध का अंत हुआ लेकिन उसके बाद से बौद्धों और मुस्लिमों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता गया है।श्रीलंका के अतिवादी बौद्ध संगठन मुस्लिमों पर ऊंची जन्म दर और धर्मांतरण का आरोप लगाते हैं।श्रीलंका में सिंहल बौद्धों की आबादी कुल आबादी की 70 फीसदी है। इस साल, अतिवादी बौद्ध भिक्षुओं ने मुस्लिमों के घरों पर हमले भी किए और उनकी दुकानें जला दीं।अप्रैल 2019 में श्रीलंका में ईस्टर रविवार को चर्च और होटल पर हुए हमले के बाद मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं और बढ़ गई हैं,इस हमले की जिम्मेदारी ISIL (ISIS) ने ली थी।
