★मुकेश शर्मा★
★मुरैना(मध्यप्रदेश)★
{सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर के बाद भी चार साल से नहीं लग पा रही हैं हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट}

{2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर दिए फैसले में केंद्र व समस्त राज्यों को आदेशित किया था कि 15 जून 2012 तक लग जाये वाहनों में HSRP प्लेट}
[चहेती कम्पनी को उपकृत कर करोड़ों के बंदरबांट के लगे थे आरोप]
{उत्सव प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मिला था ठेका किन्तु गड़बड़ियों के आरोप में तत्कालीन परिवहन मन्त्री भूपेन्द्र सिंह ने रद्द कर दिया था कांट्रेक्ट}
(सूबे में 18 अक्टूबर 2014 से ही बन्द पड़े है HSRP नम्बर प्लेट लगाने के कार्य,मामला सिर्फ़ सेटिंग न होने से लटका है पड़ा)
[परिवहन मन्त्री गोविन्द सिंह राजपुर व परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव से उनके पक्ष नही जाने जा सके क्योंकि दोनों जिम्मेदारों ने नही किया कॉल रिसीव]

♂÷सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सभी वाहनों पर जनहित में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट लगाना तय किया गया था जिससे वाहन के चोरी होने की आशंका कम हो जाती है और चोरी हुए वाहन का आसानी से पता लगाया जा सके किन्तु चर्चाएं आम है कि मध्यप्रदेश शासन के परिवहन विभाग में बैठे आला अफसरों ने चहेती कम्पनी को ठेका देकर करोड़ों की रकम का बंदरबांट कर लिया ! मामला खुलते ही सरकार ने ठेका निरस्त कर दिया तब से अब तक हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट का मामला उठाकर ताक ओर रख दिया है विभाग ने! सड़क परिवहन मंत्रालय के आदेश पर 1 अप्रैल 2019 से डीलर शोरूम से बिकने वाले वाहनों में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाकर देने आदेश जारी हुए !
मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग करीब चार साल से वाहनों में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) नहीं लगवा पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक व्यापक जनहित में इसे लगवाना अनिवार्य है। इससे वाहन चोरी की घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है। चोरी के वाहनों की रजिस्ट्रेशन प्लेट बदलकर अन्य अपराधों में उसका उपयोग करने वालों पर नकेल कसी जा सकती है लेकिन प्रदेश में अधूरी तैयारी के साथ शुरू होने के बाद यह मामला चार सालों से अदालतों के चक्कर काट रहा है। वाहनों- आमजन की सुरक्षा से जुड़ा एक तार्किक उपाय अदालती कार्रवाई में लग रहे समय की वजह से अंजाम तक नहीं पहुंच रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 2012 में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि 15 जून 2012 तक सभी वाहनों में एचएसआरपी लगाना सुनिश्चित करें। कोर्ट ने इस आदेश में यह भी कहा था कि यह न सिर्फ राज्य की सुरक्षा के हित में बल्कि व्यापक जनहित में भी है। कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए इसका पालन अनिवार्य किया था। इसकी अवमानना के मामले में मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों को नोटिस भी जारी हो चुका है। याचिका में टेंपर प्रूफ नंबर प्लेट यानी एचएसआरपी लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि समाज विरोधी तत्व मौजूदा व्यवस्था को नुकसान न पहुंचा सकें।
दरअसल, पूरे प्रदेश में वाहनों में एचएसआरपी लगाने का ठेका लिंक- उत्सव प्रा.लि. (कंपनी) को दिया गया था,भ्रष्टाचार के आरोप व गड़बड़ियों की शिकायत के बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ठेका निरस्त करने के निर्देश दिए थे। कंपनी फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक गई लेकिन राहत नहीं मिली। इस कवायद में एचएसआरपी लगाने का ठप हुआ काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। इस दौरान विभाग इसके लिए अन्य कोई कंपनी भी तलाश नहीं पाया। प्रदेश में 18 अक्टूबर 2014 से वाहनों में एचएसआरपी लगाने का काम बंद है, ऐसे में लोग मोटर व्हीकल एक्ट का पालन किए बगैर सामान्य रजिस्ट्रेशन (नंबर) प्लेट लगवाने को मजबूर हैं।
अब सवाल यह है कि पिछले चार साल पहले चलने वाला हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट का हाई वॉल्टेज ड्रामा क्या अब नहीं होगा .?
परिवहन महकमे के शीर्ष पर बैठे आला अफसरान जनहित में काम करेंगे या वाहन कम्पनी के मालिकों से साठगांठ कर अपनी जेबें भरते रहेंगे ये विचारणीय प्रश्न जनता के दिलोदिमाग को मथे हुए है।
इस बाबत जब प्रदेश के परिवहन मन्त्री गोविन्द सिंह राजपूत से उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नम्बर पर शनिवार की शाम 7.21 व 7.29 पर दो बार फोन किया गया किन्तु उन्होंने कॉल रिसीव नही किया तो वही उनके ही अधीनस्थ परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव भी उनके ही पदचिन्हों पर चलते हुए शनिवार शाम 7.16 व 7.22 पर की गई तहलका की तरफ से फ़ोन का कोई जवाब न देकर ये अवश्य साबित करने में सफ़ल रहे कि ऊपर हो नीचे मनमानियों की कमी नही है जिम्मेदारों के आचरण में।