★मुकेश सेठ★
◆मुम्बई◆
{27 मार्च 1927 में आज के पाकिस्तान के सियालकोट में पैदा हुए धर्मपाल गुलाटी बंटवारे के बाद 27 सितम्बर 1947 को आ गए हिंदुस्तान}
[15 सौ रुपये जेब में लेकर आने वाले महाशय जी ने तांगा ख़रीद प्रति सवारी लेते थे 2 आना किराया,गाँधी जी को घुमाते थे निःशुल्क पूरा शहर]

(आज दुनियां के कई देशों में लगाई MDH की मसाला फैक्ट्री व अरबों रुपये प्रतिवर्ष है कम्पनी का टर्नओवर)
[ख़ुद मसाले तैयार करने वाले धर्मपाल गुलाटी ने पहली फैक्ट्री 1959 में दिल्ली के कीर्तिनगर में लगाई]

♂÷MDH मसालों के विज्ञापनों से घर घर में मशहूर हो चुके इसके मालिक धर्मपाल गुलाटी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को पद्म भूषण से सम्मानित किया है।
आपको बता दें कि एमडीएच (MDH) मसाले का पूरा नाम महाशियां दी हट्टी है।हालांकि कंपनी को इस मुकाम तक लाने के लिए इस कंपनी के मालिक 95 वर्षीय धर्मपाल गुलाटी को काफी मेहनत करनी पड़ी। धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1927 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था।उन्होंने 1933 में 5वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पिता के सहयोग से शीशे का छोटा सा बिजनेस शुरु किया।इस व्यवसाय में उनका मन नहीं लगा और बाद में उन्होंने साबुन और अन्य कई कारोबार किए।यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली और बाद में उन्होंने मसालों का कारोबार शुरू किया, जो उनका पुश्तैनी कारोबार था।

कहा जाता है कि भारत और पाक बंटवारे के समय 27 सिंतबर 1947 में वह भारत आ गए। उस दौरान उनकी जेब में मात्र 1500 रुपए ही थे।उन पैसों में से 650 रुपए में उन्होंने एक तांगा खरीदा और चलाने लगे।तब वह प्रति सवारी किराया दो आना लेते थे। उस समय वह अपने तांगे में गांधीजी को बिठाकर शहर घुमाया करते थे।बाद में उन्होंने मसालों का छोटा सा बिजनेस ‘देगी मिर्च’ के नाम से शुरू किया। मसलों में व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए 10 अक्टूबर 1948 में धर्मपाल ने अपना तांगा और घोड़ा बेच दिया।बाद में उनका व्यवसाय बढ़ता गया। सियालकोट की देगी मिर्च दिल्ली में है जैसे जैसे लोगों को यह पता चला धर्मपाल का कारोबार तेजी से फैलता चला गया।
खुद तैयार करते थे मसाले♀
धर्मपाल गुलाटी ने छोटी सी पूंजी से कारोबार शुरू किया था, लेकिन कारोबार बढ़ता गया और दिल्ली के अलग–अलग इलाकों में दुकान बढ़ते गए।पहले वह घर पर ही मसाले तैयार करते थे, लेकिन व्यवसाय बढने के बाद पहाड़गंज की मसाला चक्की में वह मसाले तैयार करने लगे। सियालकोट से ही मसाले की शुद्धता गुलाटी परिवार की पहचान थी, यही वजह है कि मसाले वह खुद ही तैयार करते थे।गुलाटी परिवार ने 1959 में दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाले तैयार करने की अपनी पहली फैक्ट्री लगाई थी. 93 साल के लंबे सफर में सियालकोट की महाशियां दी हट्टी यानी एमडीएच मसाले का नाम आज दुनियाभर में है।
अरबों का है कारोबार♀
धर्मपाल गुलाटी की कंपनी आज सालाना अरबों रुपयों का कारोबार करती है, लेकिन एक तांगे वाले से अरबपति बनने की कहानी एक लंबे संघर्ष और मेहनत से संभव हुआ।60 सालों की कड़ी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि उनके मसाले आज सौ से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किए जाते हैं और इसके लिए उन्होंने देश और विदेश में मसाला फैक्ट्रियां लगाई हैं।उनकी फैक्ट्री दुबई, लंदन, शारजाह और यूएस में है।MDH के पूरी दुनिया में डिस्ट्रिब्यूटर हैं और गल्फ देशों में, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, चीन और जापान में भी MDH मसाले सप्लाई होते हैं।MDH 40 सुपर स्टॉक देशभर में हैं और 1000 डिस्ट्रिब्यूटर हैं।