★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{टैक्स विभाग के 15 वरिष्ठ नौकरशाहों को सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के चलते मंगलवार को निकाल दिया जबरन नौकरी से}
[भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर रुख अख्तियार किये मोदी सरकार की वित्तमन्त्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ़्ते 12 भ्रष्ट अफ़सरो की ख़त्म की थी नौकरी]
(कथित तौर पर कई अफ़सरो पर है बेईमानी के जरिये अकूत सम्पत्ति बनाने,भ्रष्टाचार फैलाने व यौन शोषण के लगे हैं आरोप)

♂÷मंगलवार को फिर मोदी सरकार ने टैक्स विभाग के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया। इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
वित्त मंत्री लगातार उठा रहीं सख्त कदम इसी क्रम में नरेंद्र मोदी सरकार 2 में सरकारी विभागों की सफाई यानी नाकारा अफसरों को निकालने का सिलसिला लगातार जारी है। मंगलवार को फिर सरकार ने टैक्स विभाग के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया।इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
इसके पहले भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही सख्त फैसला लिया था।
पिछले हफ्ते टैक्स विभाग के ही 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) कर दिया गया था। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय ने इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है।
पिछले हफ्ते नियम 56 के तहत रिटायर किए गए सभी अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे।
इन 12 अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र
प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल थे।
क्या है नियम 56?
दरअसल, वित्त मंत्रालय रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के आरोप लग चुके अधिकारियों पर आने वाले दिनों में भी रूल 56 का इस्तेमाल किया जा सकता है। माना जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा नाकारा और भ्रष्ट अफसरों को सेवा से मुक्त करना है, रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार ने खराब परफॉर्मेंस करने वाले अधिकारियों की लिस्ट भी बनाई है।अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने से सरकार की इस प्रक्रिया के जरिए रोजगार में भी इजाफा।
होगा, क्योंकि सरकारी पद खाली होंगे तो उस पर भर्ती के लिए सरकार के जरिए रिक्तियां भी निकाली जा सकती हैं।