★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{NRC की लिस्ट से बाहर हुए लोगों को मिलेगा ट्राइब्यूनल से ले ,हाइकोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक कर सकेंगे अपील कहा केंद्र सरकार ने}
[असम में लोगों की नागरिकता की हो रही है चरणबद्ध जाँच,25 मार्च 1971 के बाद भारत मे आये लोगों को घोषित किया जायेगा घुसपैठिया]
(राजीव गाँधी सरकार ने घुसपैठियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से लगाई थी दशकों पूर्व गुहार,अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई)
[NRC लिस्ट से बाहर हुए लोगो को देश से बाहर करने की मांग उठा रही बीजेपी तो काँग्रेस उनके समर्थन में कर रही बयानबाजी]

♂÷राजनैतिक गहमागहमी व तनावभरे माहौल में असम में राष्ट्रीय नागिरक रजिस्टर (NRC) की आखिरी सूची शनिवार को जारी कर दी गई जिसमें 19 लाख लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं है।राज्य में हर तरफ तनाव का माहौल है लोगों को अपनी भविष्य की चिंता सता रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर असम में NRC की लिस्ट को अपडेट किया जा रहा है। इस लिस्ट में ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा जो 25 मार्च 1971 के बाद भारत आए हो। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी का नाम इस लिस्ट में नहीं आता है तो फिर उसका क्या होगा।

उधर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में घुसपैठियों को देश से बाहर करने के मुद्दे को अपने घोषणपत्र में शामिल की थी जिससे अब वह एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए लोगो को देश से निकालने की मांग उठानी शुरू कर दी है तो वही काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में NRC मुद्दे को लेकर बैठक हो रही है।जबकि लोकसभा में काँग्रेस संसदीय दल के नेता सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उनके पिता भी भारत में बाहर से आकर बसे थे उनको भी देश से बाहर कर दिया जाए।
विदित हो कि NRC मुद्दा बीजेपी का नही है लेकिन उसको मुद्दा बनाकर राजनीतिक बढ़त लेने में सफ़ल हुई है जबकि कुछ दशक पूर्व काँग्रेस की राजीव गाँधी सरकार ने असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा पहुँचे थे जिस पर तब से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये कवायद केंद्र सरकार कर रही है।

केंद्र सरकार ने कहा है कि NRC की लिस्ट में जिसका नाम नहीं होगा उसे तुरंत विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा बल्कि उसे कानूनी लड़ाई लड़ने का समय दिया जाएगा।
NRC की लिस्ट में जिनका नाम नहीं होगा वो विदेशी ट्रायब्यूनल में अपील कर सकते हैं। इसके लिए वो 120 दिनों के अंदर अपील कर सकते हैं,पहले ये समयसीमा 60 दिनों की थी।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि मामले के निपटारे के लिए 1000 ट्रायब्यूनल अलग-अलग फेज में खोले जाएंगे,100 ट्रायब्यूनल पहले से ही काम कर रहे हैं, जबकि सितंबर के पहले हफ्ते में 200 और ट्रायब्यूनल की शुरुआत की जाएगी।
ट्रायब्यूनल में केस हारने पर लोग हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. इसके बाद लोग सुप्रीम कोर्ट में भी इसको लेकर अपील कर सकते हैं।
NRC की लिस्ट में जिनका नाम नहीं होगा, उन्हें तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।जब तक ट्रायब्यूनल उन्हें विदेशी घोषित नहीं कर देता तब तक वो भारतीय नागरिक को दिए गए सारे अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं।