★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{खत्म हुई कांग्रेस की बैठक,CWC नही चुन पाया अपना नया अध्यक्ष, राहुल ने कहा गाँधी परिवार से नही होगा अध्यक्ष}
[यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी ने स्पष्ट किया कि राहुल व मैं नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में नही भाग ले सकते हैं]
(कई कार्यकर्ताओं ने प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, जगदीश शर्मा ने कहा प्रियंका में पार्टी को एक रखने की है क्षमता)

♂÷कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नए अध्यक्ष को चुनने के लिए यहां कांग्रेस मुख्यालय पर शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की महत्वपूर्ण बैठक दोपहर को खत्म हो गई।
बैठक से बाहर आते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि वे और राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष को चुनने के लिए सीडब्ल्यूसी में क्षेत्रवार बनाए गए पांच समूह में शामिल नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “राहुल और मैं नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में भाग नहीं ले सकते। हमारा नाम इसमें शामिल करना सही नहीं है।” कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “मैं रविवार दो दिनों के लिए वायनाड जाऊंगा क्योंकि वहां बाढ़ के कारण स्थिति बहुत खराब है।

सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ अहमद पटेल, पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका गांधी वाड्रा, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद और सिद्दारमैया जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ अन्य लोग मौजूद रहे।
CWC को पांच समूहों में विभाजित किया गया है, जो पार्टी के नए अध्यक्ष को चुनने के लिए प्रदेश प्रमुखों, सीएलपी, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सभी विभागों, प्रदेश प्रभारियों और सांसदों से बात करेंगे। नए अध्यक्ष पर आम सहमति रविवार तक होगी, जब सभी पांच सदस्य अपनी सिफारिशें देंगी।
इससे पहले, बैठक के दौरान मुख्यालय के बाहर कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की अगुआई कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ता जगदीश शर्मा ने कहा, “प्रियंका गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनना चाहिए क्योंकि उनमें पार्टी को एक रखने की क्षमता है।”
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा
अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी वह पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहेंगे। उनके समर्थन में बहुत सारे नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया था।
कुल मिलाकर देश की सबसे पुरानी पार्टी काँग्रेस गाँधी परिवार के सम्मोहन से बाहर नही निकल पा रही है या यूं भी कह सकते हैं कि गाँधी परिवार के बाहर के किसी भी नेता को नेतृत्व नही देंगी जो कि गांधी परिवार को चुनौती देकर अध्यक्ष बने या गाँधी परिवार के लिए भविष्य में ख़तरा बन सके।
वैसे भी इतिहास रहा है कि काँग्रेस पार्टी नेहरू, गाँधी परिवार के इतर किसी भी नेता के लिए कभी भी सहज नही रही है चाहे वो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव व सीताराम केसरी ही क्यों न रहे हो।
गाँधी परिवार की बहू सोनिया गाँधी के हाथ मे काँग्रेस को सौंपने के लिए इन दोनों कांग्रेसी दिग्गजों के साथ दुश्मनों तक से भी बुरा बर्ताव इतिहास में दोहराया गया है।कहना कत्तई गलत।नही होगा कि होइए वही जो गाँधी परिवार ने रच राखा।