★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि सभी याचिकाओं को सुना जायेगा, उसके बाद ही अदालत सुनाएगी कोई फैसला}
[अभी भी दाख़िल की जा रही है याचिकाएं,कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा 4 हफ़्ते में जवाब,अलग अलग कैटगरी में होगी सुनवाई]
(कपिल सिब्बल ने उठाये NPR की प्रक्रिया पर सवाल तो अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा यूपी में 40 हज़ार लोगो को नागरिकता देने की बात की जा रही)

♂÷CAA को लेकर देश मे राजनीतिक दल जहाँ अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं तो वहीँ आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिससे CAA विरोधियों को तगड़ा झटका लगा है तो वहीं मोदी सरकार के लिए ये राहत की बात साबित हुई।इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब दाख़िल करने को कहा है।
मालूम हो कि जबसे केंद्र सरकार ने CAA एक्ट देश मे लागू किया है तब से तमाम दलों के साथ मुस्लिम समुदाय इसके विरोध में खड़े हो गए हैं और इसे संविधान के विपरीत बताते हुए धरना प्रदर्शन कर इसको वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।वहीं सरकार का कहना है कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिकों की नागरिकता पर ख़तरा नही है।
सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ और समर्थन में 142 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिसपर आज बुधवार को उच्चतम न्यायालय में अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है।इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में भारी भीड़ जमा हो गई, जिसपर CJI बोबड़े को सभी से शांति बनाए रखने को कहना पड़ा।
कोर्ट ने कहा कि अधिकतर याचिकाओं में एक जैसी ही बात है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सभी याचिकाओं को सुना जाएगा और इसके बाद ही अदालत कोई फैसला सुनाएगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप हो, हम एकपक्षीय रोक नहीं लगा सकते हैं। सीजेआई ने वकीलों से असम और नॉर्थ ईस्ट से दाखिल याचिकाओं का आंकड़ा मांगा।
इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया कि उन्हें अभी तक 144 में से 60 याचिकाओं की ही कॉपी मिली है। इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि मुद्दा अभी ये है कि क्या इसे संवैधानिक बेंच को भेजना चाहिए। सिब्बल ने NPR की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए। वहीं,अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हजार लोगों को नागरिकता देने की बात कही जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो फिर कानून वापस कैसे होगा। उन्होंने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की।
कोर्ट ने कहा कि NRC की प्रक्रिया को देखते हुए असम और त्रिपुरा का मसला अलग किया जा सकता है। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि आप असम से संबंधित याचिका कब दायर करेंगे? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि वे दो सप्ताह में याचिका दायर करेंगे। इसपर सीजेआई ने कहा कि ठीक है, हम इसे दो सप्ताह के बाद सुन सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी भी याचिकाएं दायर की जा रही हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे मामले पर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का वक्त दिया। पांचवें हफ्ते में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सरकार ने 6 हफ्ते का वक्त मांगा था जिसका याचिकाकर्ताओं की तरफ से विरोध किया गया।
कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग कैटेगरी में याचिकाओं की सुनवाई होगी। साथ ही हर केस के लिए एक वकील को ही मौका मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगा सकते। कोर्ट ने कहा कि रोक लगाने से संबंधित मामला अगली सुनवाई या अगली बेंच द्वारा तय किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रक्रियात्मक मुद्दे पर चैंबर बेंच सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ के गठन पर विचार किया जा सकता है।
सीएए को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, एएएसयू), पीस पार्टी, एसएफआई, और सीपीआई शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। वहीं, इस कानून में मुस्लिमों को शामिल ना करने का विरोध हो रहा है और मांग की जा रही है कि या तो सरकार इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करे या फिर इस एक्ट को वापस ले।