★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सोमवार शाम से लापता रहे सिद्धार्थ का शव मिला नेत्रावती नदी में गोताखोरों को}
[पूर्व विदेशमंत्री एसएम कृष्णा के थे बड़े दामाद सिद्धार्थ सोमवार को निकले ठगे 1600 करोड़ के कर्ज़ जुटाने के लिए]
(कई कम्पनियों से कर रहे थे बात अपने शेयर व प्रोपर्टी बेचकर मिली रकम से कर्ज चुकाने के बाबत,नतीजे नही निकलने से उठाए प्राणघाती स्टेप)
♂÷Cafe Coffe Day के फाउंडर का शरीर बुधवार सुबह नेत्रावति नदी में मिल गया। वह सोमवार रात से ही लापता थे। उनके आत्महत्या करने से कारोबार जगत में खलबली मच गई है।
दरअसल CCD के कारोबार को विस्तार देने के लिए पिछले 12 महीनों से सिद्धार्थ शॉर्ट टर्म लोन ले रहे थे। यह लोन काफी बढ़ गया था, जिसकी वजह से सिद्धार्थ काफी परेशान थे। इसके साथ ही IL&FS क्राइसिस की वजह से फाइनेंशियल सिस्टम में नकदी संकट शुरू हो गया। इस वजह से सिद्धार्थ के लिए और लोन जुटा पाना मुश्किल हो गया था।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, कॉफी डे एंटरप्राइज के फाउंडर के करीबी सूत्रों ने बताया कि सिद्धार्थ अपनी कुछ रियल एस्टेट होल्डिंग्स बेचना चाहते थे। लेकिन उसमें कामयाबी नहीं मिली। अगर उसमें कामयाबी मिली होती तो सिद्धार्थ की फाइनेंशियल सिचुएशन में कुछ सुधार हुआ होता।
29 जुलाई सोमवार को लापता होने से पहले सिद्धार्थ 1600 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाने की कोशिश में थे ताकि संकट से निकला जा सके। अगर वो लोन जुटा लेते तो उनकी मुश्किल आसान हो सकती थी। कंपनी ने कर्ज चुकाने के लिए माइंडट्री में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी L&T को बेचकर 3200 करोड़ रुपए जुटाए थे। टैक्स और बाकी खर्चे हटाकर उनके पास कर्ज चुकाने के लिए सिर्फ 2100 करोड़ रुपए बचे थे।
माइंडट्री में अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद सिद्धार्थ ग्लोबल टेक विलेज बेचकर फंड जुटाना चाहते थे। यह बेंगलुरु में 120 एकड़ में फैला है। इस प्रॉपर्टी की डील 2800 करोड़ रुपए में होने वाली थी। प्राइवेट इक्विटी की दिग्गज कंपनी ब्लैकस्टोन के साथ लोकल डेवलपर सलारपुरिया सत्व यह प्रॉपर्टी खरीदने की दौड़ में थी।
कोका कोला से भी बातचीत
इसके साथ ही कंपनी अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका-कोला से भी बातचीत कर रही थी। सिद्धार्थ कोका कोला को CCD में बड़ी हिस्सेदारी बेचना चाहते थे। सिद्धार्थ के एक नजदीकी बैंकर ने कहा कि इन दोनों डील पर एकसाथ काम करने से उनका ध्यान भटका था। अगर बिजनेस पार्क की सेल हो जाती तो फाइनेंशियल प्रेशर कम होता।
पिछले 12 महीनों में CCD का शॉर्ट टर्म कर्ज 5 गुना बढ़कर 3890 करोड़ रुपए हो गया था। ये लोन अगले 12 महीनों में चुकाना था। इसकी वजह से सिद्धार्थ अपने एसेट्स बेचकर फंड जुटाना चाहते थे।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य शख्स ने बताया कि उनकी समस्या शॉर्ट टर्म लोन चुकाने को लेकर थी। आमदनी नहीं होने की वजह से संकट बढ़ता जा रहा था। पिछले कुछ समय में CCD का जितना एक्सपैंशन किया गया, उतनी कमाई नहीं हो पाई। मजबूत ब्रांड वैल्यू के बावजूद कंपनी लॉस में रही। कई ऐसी जगहों पर भी CCD शुरू किया गया जहां किराया बहुत ज्यादा था।
CCD के ऊपर कुल 6547.38 करोड़ का कर्ज हो गया था वह पूर्व विदेशमंत्री व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के बड़े दामाद थे।