★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{आईपीएस सँवर्ग में 191वा स्थान लाने वाली ईशा सिंह कहती है IPS पिता को आदर्श कि माँ की मेहनत से प्रेरित होकर बन पाई IPS}
[हाई पेड जॉब छोड़कर की वकालत और वकालत करने के दौरान ही करती रही आईपीएस की तैयारी]
(आईपीएस ईशा सिंह के पिता भी थे तेज तर्रार आईपीएस ऑफिसर, माँ आभा सिंह भी इंडियन पोस्टल सर्विस में ऑफ़िसर पोस्ट से इस्तीफ़ा देकर कर रही वकालत व समाजसेवा)
♂÷कहते हैं की अगर इंसान के अंदर मंजिल पाने की तड़प और हौसले हो तो वह अपने इरादों से आसमान को भी नाप देता है।
कुछ ऐसी ही कहानी एडवोकेट ईशा सिंह के भी है जिन्होंने शुक्रवार को निकले आईपीएस संवर्ग में 191 स्थान लाकर परिजनों व शुभचिंतकों को गौरवान्वित होने का बड़ा मौका दिया है।
ईशा सिंह मुंबई हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं और समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुड़ी हुई हैं। देश की प्रतिष्ठित सरकारी सेवा क्षेत्र में सफ़ल होने पर ईशा सिंह ने कहा मेरी सफलता के पीछे मां की मेहनत व पिता को अपना आदर्श मानना है मेरे पिता मुंबई में तेजतर्रार आईपीएस के रूप में जाने जाते रहे हैं मां वकील होने के साथी मानववाद मानवाधिकार वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इन दोनों लोगों के कार्य से प्रेरित होकर मुझको लगा की समाज सेवा के लिए मुझे एक ऐसा प्लेटफार्म चाहिए जो जरूरतमंदों एवं पीड़ितों को संवैधानिक न्याय दिला सकू। जिसके चलते मैंने पूर्व में हाई पेड जॉब छोड़ा उसके बाद वकालत किया इस दौरान आईपीएस की तैयारी भी करती रही।
मालूम हो कि ईशा सिंह पूर्व आईपीएस ऑफिसर पोस्ट से रिजाइन कर चुके वाई पी सिंह व इंडियन पोस्टल सर्विस के अधिकारी पद से इस्तीफ़ा देकर वकालत के साथ मानवाधिकार व मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट आभा सिंह की सुपुत्री हैं तो वहीं ईशा सिंह के भाई आदित्य सिंह भी एडवोकेट हैं।
वक़ील के रूप में भी ईशा सिंह ने महत्वपूर्ण जीत हासिल कर पीड़िताओं को न्याय दिलाया। मुम्बई हाईकोर्ट में तीन विधवाओं को क्षतिपूर्ति दिलाने के केस में पैरवी कर उनको गत शुक्रवार को जीत दिलाई।सेप्टिक टैंक की सफ़ाई के दौरान हुए तीन सफाईकर्मियों की मौत के मामलें में एडवोकेट आभा सिंह ने मुम्बई हाईकोर्ट में वाद दायर किया था,जिसमें शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने विधवा महिलाओं के पक्ष में आदेश देते हुए 10 लाख की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया और मौके पर ही सवा लाख का चेक सौंपा गया।यह दुर्घटना दिसम्बर 2019 को गोवंडी में हुई थी।
के बाद बड़े प्लेटफॉर्म पर कर सकूँगी समाजसेवा=ईशा सिंह】
★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{आईपीएस सँवर्ग में 191वा स्थान लाने वाली ईशा सिंह कहती है IPS पिता को आदर्श कि माँ की मेहनत से प्रेरित होकर बन पाई IPS}
[हाई पेड जॉब छोड़कर की वकालत और वकालत करने के दौरान ही करती रही आईपीएस की तैयारी]
(आईपीएस ईशा सिंह के पिता भी थे तेज तर्रार आईपीएस ऑफिसर, माँ आभा सिंह भी इंडियन पोस्टल सर्विस में ऑफ़िसर पोस्ट से इस्तीफ़ा देकर कर रही वकालत व समाजसेवा)
♂÷कहते हैं की अगर इंसान के अंदर मंजिल पाने की तड़प और हौसले हो तो वह अपने इरादों से आसमान को भी नाप देता है।
कुछ ऐसी ही कहानी एडवोकेट ईशा सिंह के भी है जिन्होंने शुक्रवार को निकले आईपीएस संवर्ग में 191 स्थान लाकर परिजनों व शुभचिंतकों को गौरवान्वित होने का बड़ा मौका दिया है।
ईशा सिंह मुंबई हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं और समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुड़ी हुई हैं। देश की प्रतिष्ठित सरकारी सेवा क्षेत्र में सफ़ल होने पर ईशा सिंह ने कहा मेरी सफलता के पीछे मां की मेहनत व पिता को अपना आदर्श मानना है मेरे पिता मुंबई में तेजतर्रार आईपीएस के रूप में जाने जाते रहे हैं मां वकील होने के साथी मानववाद मानवाधिकार वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इन दोनों लोगों के कार्य से प्रेरित होकर मुझको लगा की समाज सेवा के लिए मुझे एक ऐसा प्लेटफार्म चाहिए जो जरूरतमंदों एवं पीड़ितों को संवैधानिक न्याय दिला सकू। जिसके चलते मैंने पूर्व में हाई पेड जॉब छोड़ा उसके बाद वकालत किया इस दौरान आईपीएस की तैयारी भी करती रही।
मालूम हो कि ईशा सिंह पूर्व आईपीएस ऑफिसर पोस्ट से रिजाइन कर चुके वाई पी सिंह व इंडियन पोस्टल सर्विस के अधिकारी पद से इस्तीफ़ा देकर वकालत के साथ मानवाधिकार व मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट आभा सिंह की सुपुत्री हैं तो वहीं ईशा सिंह के भाई आदित्य सिंह भी एडवोकेट हैं।
वक़ील के रूप में भी ईशा सिंह ने महत्वपूर्ण जीत हासिल कर पीड़िताओं को न्याय दिलाया। मुम्बई हाईकोर्ट में तीन विधवाओं को क्षतिपूर्ति दिलाने के केस में पैरवी कर उनको गत शुक्रवार को जीत दिलाई।सेप्टिक टैंक की सफ़ाई के दौरान हुए तीन सफाईकर्मियों की मौत के मामलें में एडवोकेट आभा सिंह ने मुम्बई हाईकोर्ट में वाद दायर किया था,जिसमें शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने विधवा महिलाओं के पक्ष में आदेश देते हुए 10 लाख की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया और मौके पर ही सवा लाख का चेक सौंपा गया।यह दुर्घटना दिसम्बर 2019 को गोवंडी में हुई थी।