★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पड़ोसी देशों में मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना नही होती है इसलिए इस बिल का लाभ उन्हें नही मिलेगा}
[शाह ने कहा कि शरणार्थी के रूप में विभाजन के बाद आये मनमोहन सिंह व लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री व उपप्रधानमन्त्री के पद पर देश ने बिठाया]
(बिल पेश करने के समर्थन में 293 तो विरोध में पड़े 82 मत जबकि काँग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार पर हमला किया कि यह बिल अल्पसंख्यको खिलाफ है)
♂÷भारी हंगामे के बीच सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक सरकार ने पेश किया।बिल के पेश होते ही कांग्रेस ने सरकार पर इस बिल को लेकर कई आरोप लगाए। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया।करीब एक घंटे तक इस बात पर तीखी नोकझोंक हुई कि इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है या नहीं बाद में इस बिल के पेश करने के तरीके को लेकर वोटिंग भी कई जिसमें सरकार के पक्ष में 293 वोट पड़े तो विरोध में 82 मत।
गृहमंत्री अमित शाह आज पूरी रौ में दिखें उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का जिक्र किया।उन्होंने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया,उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है कांग्रेस ने अगर धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया होता तो आज यह बिल लाने की नौबत नही आती।उन्होंने कहा कि देश ने विभाजन के दौरान सच्चे दिल से शरणार्थियों को स्वीकार किया, मनमोहन सिंह व लालकृष्ण आडवाणी इसके उदाहरण है देश ने उन्हें प्रधानमंत्री व उपप्रधानमंत्री जैसे पद पर बिठाया
।गृहमंत्री ने कहा कि पड़ोसी देशों में मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना नहीं होती है, इसलिए इस बिल का लाभ उन्हें नहीं मिलेगा।
अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमल बोलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के फैसलों की याद दिलाई।उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि 1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय किया था कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं, सारे लोगों को नागरिकता दी जाए, तो फिर पाकिस्तान से आए लोगों को क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा कि सदन के नियम 72(1) के हिसाब से यह बिल किसी भी आर्टिकल का उल्लंघन नहीं करता है।
अमित शाह ने कांग्रेस से सवाल किया कि उन्होंने सवाल किया कि जब आर्टिकल 14 ही था तो फिर बांग्लादेश ही क्यों? आज भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को कचुन-चुन कर मारा जा रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि युगांडा से आए सारे लोगों को कांग्रेस के शासन में नागरिकता दी गई, तब इंग्लैंड से आए लोगों को क्यों नहीं दिया गया? फिर दंडकारण्य कानून लाकर नागरिकता दी गई, इसके बाद राजीव गांधी ने असम अकॉर्ड किया।
अमित शाह ने कहा कि दुनियाभर के देश अलग-अलग आधार पर नागरिकता देते हैं।हर देश तार्किक वर्गीकरण के आधार पर ही नागरिकता देते हैं जब कोई देश कहता है कि ग्रीन कार्ड उस देश में निवेश करने वाले लोगों को मिलेगा। ऐसे लोगों को नागरिकता मिलेगी जो उसके देश में निवेस करे तो क्या वहां समानता का संरक्षण हो पाता है? अमित शाह ने कांग्रेस से सवाल पूछते हुए कहा कि अगर अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकार हैं तो वह समानता का अधिकार कैसे है।
अमित शाह ने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ। इसमें दोनों देशों ने तय किया था वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के संरक्षण देंगे।
भारत में तो इसका गंभीरता से पालन हुआ, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या हालत है वह पूरी दुनिया जानती है,भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख ईसाई, इन सभी धर्मावलंबियों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना हुई है।